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स्वास्थ्यसंयुक्त राज्य अमेरिका

शोध: 2050 तक 130 करोड़ लोगों को होगी डायबिटीज

२६ जून २०२३

एक ताजा शोध से पता चला है कि अगले तीन दशकों में दुनिया भर में डायबिटीज के मरीजों की संख्या लगभग तीन गुना हो सकती है.

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तेजी से बढ़ रही है डायबिटीज की बीमारी
तेजी से बढ़ रही है डायबिटीज की बीमारीतस्वीर: Andrey Popov/imago-images

एक नए शोध में सामने आया है कि अगर डायबिटीज से निपटने के तत्काल और ठोस उपाय नहीं किए तो अगले 30 सालों में यह बीमारी दुनिया के हर देश में तेजी से फैल जाएगी.

नए शोध के मुताबिक डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़कर अगले तीन दशकों में बहुत अधिक हो जाएगी. यह अध्ययन बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सहयोग से पूरा किया गया और इसके नतीजे मेडिकल जर्नल द लांसेट में छपे हैं.

भारत में 10 करोड़ से ज्यादा लोगों को है डायबिटीज

दुनिया के हर देश में डायबिटीज बढ़ने का अंदेशा

इस शोध अध्ययन के मुताबिक साल 2050 तक दुनिया भर में डायबिटीज रोगियों की संख्या लगभग दोगुनी होकर 1.3 अरब हो सकती है.

वर्तमान में दुनिया भर में लगभग 52 करोड़ लोग डायबिटीज के शिकार हैं, जिनमें से 95 प्रतिशत टाइप 2 रोगी हैं. इसके अलावा डायबिटीज शारीरिक विकलांगता और मानव मृत्यु दर के दस प्रमुख कारणों में से एक है.

शोधकर्ताओं ने कहा दुनिया भर में मधुमेह का प्रसार एक समान नहीं है. भविष्य में कुछ देश और क्षेत्र अधिक प्रभावित होंगे. संभावना है कि उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व में इस बीमारी की व्यापकता दर 16.8 प्रतिशत होगी, जबकि लैटिन अमेरिका और कैरेबियन में इसकी दर 11.3 प्रतिशत होगी.

मोटापे का शिकार बनती आधी दुनिया

डायबिटीज की दर में कमी के आसार नहीं

इस तरह से 2050 तक दुनिया भर में डायबिटीज रोगियों की संख्या में वृद्धि की दर 9.8 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है. इस बीमारी की वर्तमान वार्षिक प्रसार दर 6.1 प्रतिशत है.

शोध में यह भी बताया गया है कि आने वाले 30 सालों में उम्र से जुड़ी डायबिटीज की दर में कोई कमी के आसार नहीं है.

शोध के लेखक लियाने ओंग ने कहा, "मधुमेह में तेजी से वृद्धि न केवल चिंताजनक है बल्कि हर स्वास्थ्य प्रणाली के लिए एक बड़ी चुनौती भी है. दिल और स्ट्रोक जैसी बीमारियों में भी वृद्धि होगी."

मोटापा बढ़ने के कारण डायबिटीज की संख्या बढ़ रही है. वहीं जनसंख्या और जीवन प्रत्याशा में बदलाव भी इसमें प्रमुख भूमिका निभाते हैं. बुजुर्गों और मध्यम आयु वर्ग के लोगों में इस बीमारी का अनुपात अधिक है.

204 देशों से एकत्र किए गए आंकड़ों पर आधारित अध्ययन में कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी के प्रभाव को शामिल नहीं किया गया, क्योंकि कोई अलग और विश्वसनीय डेटा उपलब्ध नहीं है.

एए/सीके (रॉयटर्स)