खराब हवा रोजाना ले रही है 2,000 बच्चों की जान: रिपोर्ट
एक नई रिपोर्ट ने फिर से पुष्टि की है कि वायु प्रदूषण की वजह से दुनियाभर में हर साल लाखों लोगों की जान जा रही है. वैसे तो हर उम्र के व्यक्ति को खतरा है, लेकिन मरने वालों में विशेष रूप से बच्चों की संख्या काफी ज्यादा है.
जानलेवा प्रदूषण
'स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर' की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में पूरी दुनिया में 81 लाख लोगों की मौत के पीछे वायु प्रदूषण का योगदान था. ये आंकड़ा अलग-अलग कारणों से हुई सभी मौतों के 12 प्रतिशत के बराबर है. अमेरिका के 'हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टिट्यूट' ने यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ के साथ मिलकर बनाई है.
जल्दी मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण
इसका मतलब वायु प्रदूषण वैश्विक स्तर पर असमय होने वाली मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण बन गया है. उच्च रक्तचाप सबसे बड़ा कारण है. स्वास्थ्य से जुड़े सबसे बड़े खतरों की सूची में वायु प्रदूषण ने तंबाकू और खराब भोजन को पीछे छोड़ दिया है.
आधी से ज्यादा मौतें भारत और चीन में
वायु प्रदूषण की वजह से दुनिया में होने वाली कुल मौतों में आधी से ज्यादा भारत और चीन में दर्ज की गईं. चीन में 23 लाख और भारत में 21 लाख लोग मारे गए. बच्चों की मौत में तो भारत ही सबसे आगे रहा. देश में 2021 में वायु प्रदूषण की वजह से पांच साल से कम उम्र के 1,69,400 बच्चों की जान चली गई.
अधिकांश मौतें पीएम2.5 की वजह से
दुनियाभर में इन मौतों में से 90 प्रतिशत से ज्यादा का जिम्मेदार पीएम2.5 प्रदूषकों को पाया गया. भारत में इसके अलावा ओजोन एक्सपोजर भी काफी बढ़ा हुआ पाया गया. जलवायु परिवर्तन की वजह से दुनियाभर में ओजोन प्रदूषण बढ़ने की संभावना जताई गई है. 2021 में करीब पांच लाख मौतों का संबंध ओजोन प्रदूषण से पाया गया.
हजारों बच्चों की मौत का कारण
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रोजाना करीब 2,000 बच्चों की मौत वायु प्रदूषण से हुई स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से हो जाती है. 2021 में पांच साल से कम उम्र के सात लाख से ज्यादा बच्चों की मौत में वायु प्रदूषण का योगदान था. इनमें से पांच लाख से ज्यादा बच्चों की मौत अधिकांश रूप से एशिया और अफ्रीका में कोयला, लकड़ी या गोबर जैसे प्रदूषण फैलाने वाले ईंधनों के इस्तेमाल की वजह से हुई.
चीन से सबक
रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन ने सुधार के कई प्रभावी कदम उठाए हैं. जैसे, अच्छे ईंधन से खाना पकाने की वजह से आंशिक रूप से वायु प्रदूषण से होने वाले बच्चों की मौतों में साल 2000 के मुकाबले 50 प्रतिशत गिरावट आई है.