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सेना: अग्निवीर की आत्महत्या से मौत, सैन्य सम्मान का हक नहीं

१६ अक्टूबर २०२३

भारतीय सेना ने कहा कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह की 11 अक्टूबर को पूंछ सेक्टर में संतरी ड्यूटी के दौरान आत्महत्या से मौत हो गई और ऐसे मामलों में सैन्य सम्मान का अधिकार नहीं है.

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भारतीय सेना
भारतीय सेनातस्वीर: Anuwar Hazarika/NurPhoto/picture alliance

सेना ने कहा है कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह की मौत आत्महत्या का मामला है. पंजाब में उनके अंतिम संस्कार में गार्ड ऑफ ऑनर नहीं होने को लेकर भारी विवाद के बीच सेना ने अपना बयान जारी किया है. सेना ने उनकी मृत्यु से संबंधित "कुछ गलतफहमी और तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने" की बात भी स्वीकार की.

सेना का यह बयान अग्निवीर भर्ती को गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिए जाने पर एक बड़े राजनीतिक विवाद के बाद आया है. इसमें कहा गया है कि हर साल लगभग 100 से 140 सैनिक आत्महत्या या खुद को लगी चोटों के कारण अपनी जान गंवा देते हैं, ऐसे मामलों में सैन्य अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं दी जाती है.

बयान में कहा गया है, "आत्महत्या/खुद को लगी चोट के कारण होने वाली मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं में सशस्त्र बलों द्वारा परिवार के साथ गहरी और स्थायी सहानुभूति के साथ-साथ उचित सम्मान दिया जाता है. लेकि‍न ऐसे मामले सैन्य अंत्येष्टि के हकदार नहीं हैं. 1967 के मौजूदा सेना आदेश के अनुसार इस विषय पर नीति का बिना किसी भेदभाव के लगातार पालन किया जा रहा है."

अग्निवीर को लेकर क्या चिंताएं हैं?

आंकड़ों के मुताबिक 2001 के बाद से औसतन हर साल 100-140 सैनिकों की मौतें आत्महत्या/खुद को लगी चोटों के कारण हुईं और ऐसे मामलों में सैन्य अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं है.

पात्रता के मुताबिक वित्तीय सहायता या राहत के वितरण को उचित प्राथमिकता दी जाती है. इसमें अंत्येष्टि के संचालन के लिए तत्काल वित्तीय राहत भी शामिल है. बयान में कहा गया अग्निवीर अमृतपाल सिंह की मृत्यु दुर्भाग्यपूर्ण है. इसमें कहा गया है कि उनकी मौत से जुड़े तथ्यों को लेकर कुछ गलतफहमी और गलत बयानी हुई है.

2001 के बाद से औसतन हर साल 100-140 सैनिकों की मौतें आत्महत्या/खुद को लगी चोटों के कारण हुईं
2001 के बाद से औसतन हर साल 100-140 सैनिकों की मौतें आत्महत्या/खुद को लगी चोटों के कारण हुईं तस्वीर: Satyajit Shaw/DW

रविवार को जारी बयान में कहा गया है कि "नुकसान की ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं परिवार और बलों पर भारी पड़ती हैं. ऐसे समय में दुख की घड़ी में उनके साथ सहानुभूति रखते हुए परिवार के सम्मान, गोपनीयता और प्रतिष्ठा को बनाए रखना समाज के लिए महत्वपूर्ण और अनिवार्य है."

सेना ने कहा सशस्त्र बल अग्निपथ योजना के कार्यान्वयन से पहले या बाद में शामिल हुए सैनिकों के बीच हकदार लाभ और प्रोटोकॉल के संबंध में अंतर नहीं करते हैं. यह परिवार और भारतीय सेना के लिए एक गंभीर क्षति है कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली.

मौजूदा प्रथा के अनुरूप, चिकित्सीय-कानूनी प्रक्रियाओं के संचालन के बाद, पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए एक एस्कॉर्ट पार्टी के साथ सेना की व्यवस्था के तहत मूल स्थान पर ले जाया गया.

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि सेना की नीति जो भी हो, उनकी सरकार की नीति शहीद के लिए वही रहेगी और वह सैनिक के परिवार को एक करोड़ रुपये देगी. सेना ने कहा, "भारतीय सेना अपने स्थापित प्रोटोकॉल का पालन करते हुए समाज के सभी वर्गों से सहयोग का अनुरोध करती है."