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विज्ञानसंयुक्त राज्य अमेरिका

50 साल बाद: 25 जनवरी को चांद पर लौटेगा अमेरिका

१ दिसम्बर २०२३

पिछले अपोलो मिशन के 50 से अधिक सालों के बाद अमेरिका अगले साल एक बार फिर चंद्रमा पर एक यान उतारने की कोशिश करेगा. एक निजी कंपनी यह कोशिश करने जा रही है.

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चांद
चांदतस्वीर: Luis R0bayo/AFP/Getty Images

चांद पर यान उतारने की कोशिश अमेरिका की एक निजी कंपनी करने वाली है. कंपनी के प्रमुख का कहना है कि उसकी कोशिश अगले साल 25 जनवरी को चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक यान उतारने की है. अगर ऐसा करने में कंपनी सफल होती है तो वह पहली निजी कंपनी बन जाएगी.

लैंडर का नाम पेरेग्राइन है और उसपर कोई सवार नहीं होगा. इसे अमेरिकी कंपनी एस्ट्रोबोटिक द्वारा विकसित किया गया है, कंपनी के सीईओ जॉन थॉर्नटन ने कहा कि यह नासा के आर्टेमिस मिशन के उपकरणों का इस्तेमाल चांद के पर्यावरण का अध्ययन करने के लिए करेगा.

चांद पर पहुंच गया भारत

चांद पर उतरने की कोशिश

पचास साल पहले 1972 में अपोलो 17 मिशन के तहत अमेरिकी यान चांद की सतह पर गया था.

कई साल पहले नासा ने सीएलपीएस कार्यक्रम के तहत चंद्रमा पर वैज्ञानिक प्रयोग और तकनीक भेजने के लिए अमेरिकी कंपनियों को अभियान देने का विकल्प चुना था.

इस तरह की कोशिश के तहत चांद तक जाने के लिए कम लागत पर परिवहन सेवाएं और फिक्स्ड कॉन्ट्रैक्ट को तैयार करना है.

पिट्सबर्ग में कंपनी के हेडक्वार्टर पर पत्रकारों से बात करते हुए थॉर्नटन ने कहा, "हम यहां जो कोशिश कर रहे हैं उसमें एक बड़ी चुनौती चंद्रमा की सतह पर प्रक्षेपण और लैंडिंग का प्रयास करना है."

कंपनी के लिए बड़ी चुनौती

उन्होंने कहा, "चंद्रमा की सतह पर गए लगभग आधे मिशन ही सफल रहे हैं.  निश्चित रूप से यह एक कठिन चुनौती है. मैं इसके हर चरण में एक साथ भयभीत और रोमांचित हो जाऊंगा."

24 दिसंबर को फ्लोरिडा से नए रॉकेट की उद्घाटन उड़ान की तारीख तय है. थॉर्नटन ने कहा कि यान को चांद की कक्षा तक पहुंचने में "कुछ दिन" लगेंगे, लेकिन लैंडिंग का प्रयास करने से पहले 25 जनवरी तक इंतजार करना होगा, ताकि लक्ष्य स्थान पर रोशनी की स्थिति सही हो.

इस यान को इंसानी दखल के बिना चांद की सतह पर उतारने की कोशिश की जाएगी, लेकिन कंपनी के कंट्रोल सेंटर से इसकी निगरानी की जाएगी.  

इसी साल अप्रैल में जापान की एक स्टार्ट-अप कंपनी इजस्पेस ने भी चंद्रमा पर लैंड कराने की कोशिश की. लेकिन संवाद टूटने के बाद रोवर की हार्ड लैंडिंग हुई. अगर यह कंपनी कामयाब हुई होती, तो चंद्रमा पर लैंडिंग कराने वाली पहली निजी कंपनी बन जाती.

2019 में इस्राएल को भी झटका लग चुका है. अब तक केवल चार देश चंद्रमा पर सफलतापूर्वक पर अपने यान उतार पाए हैं, जिनमें अमेरिका, रूस, चीन और हाल ही में भारत को कामयाबी मिली.

दूसरी ओर आर्टेमिस कार्यक्रम का लक्ष्य है चांद पर स्थायी इंसानी मौजूदगी कायम करने का है. इसके तहत चांद की कक्षा में लगातार घूमने वाला गेटवे नाम का केंद्र बनाने और चांद की सतह पर एक अड्डा बनाने का लक्ष्य है. गेटवे मंगल ग्रह की यात्रा के लिए एक रुकने और ईंधन भरने के केंद्र का काम करेगा.

एए/वीके (रॉयटर्स)