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समानताअफ्रीका

अफ्रीकी महिला उद्यमियों को कब मिलेगा भेदभाव से छुटकारा

मोकी किंद्जेका
२ दिसम्बर २०२२

अफ्रीका की 30 फीसदी महिलाएं उद्यमी हैं. अफ्रीकी अर्थव्यवस्था में उनका महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन उन्हें पुरुषों के बराबर अवसर नहीं मिल रहा है. अगर उन्हें समान अवसर मिलता है, तो वे काफी कुछ कर सकती हैं.

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Straßenverkauf Afrika l Madagaskar, Imbiss
तस्वीर: Wiese/Helga Lade Fotoagentur GmbH, Ger/picture-alliance

 जब 1 जनवरी, 2021 को अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (ACFTA) की घोषणा की गई, तो कई महिला उद्यमियों के बीच उम्मीद जगी कि 1.2 अरब लोगों के बाजार के साथ दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त-व्यापार क्षेत्र उनके कारोबार को बढ़ावा देगा. साथ ही, स्थानीय स्तर पर गरीबी को कम करने में मददगार साबित होगा.

हालांकि, उनकी उम्मीदें पूरी होती नहीं दिख रही हैं. कई महिलाओं ने डीडब्ल्यू को बताया कि उन्हें पर्याप्त अवसर नहीं मिल रहे हैं, क्योंकि उनका कारोबार छोटा है और उनकी उत्पादन क्षमता कम है. उन्हें सरकार और अन्य एजेंसियों से काफी कम आर्थिक मदद मिलती है.

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महिला कारोबारियों का कहना है कि उन्हें अपना सामान निर्यात करने के लिए जरूरी वीजा और अन्य दस्तावेज हासिल करने में भी संघर्ष करना पड़ रहा है. कैमरून की राजधानी याऊंदे में पोल्ट्री फॉर्म चलाने वाली महिला कारोबारी ने कहा कि उन्हें अपनी 30 हजार मुर्गियों को गेबॉन के बाजार में भेजना था, लेकिन अभी तक मुर्गियां पोल्ट्री फॉर्म में ही हैं.

नाइजर में ग्रामीण उद्यमों को बढ़ावा देने वाली संस्था की निदेशक बिस्सो नकाटुमा ने कहा कि उनके देश में महिला कारोबारियों को भीतरी इलाकों से पड़ोसी देशों तक समान निर्यात करने में इसी तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.

अफ्रीका के कारोबार में महिलाओं को नहीं मिल रहा बराबरी का मौका
2022 में अफ्रीका के कारोबार में महिला उद्यमियों ने 350 अरब डॉलर का योगदान दिया तस्वीर: picture-alliance/Godong/P. Lissac

महिलाओं की मुश्किलें अलग 

नकाटुमा ने कहा, "अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र के तहत उपलब्ध कराए गए अवसरों का लाभ उठाने और माल निर्यात करने के दौरान, महिला कारोबारियों को सीमा शुल्क अधिकारियों के उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. पुलिस और सीमा शुल्क अधिकारी उनसे रिश्वत की मांग करते हैं.”

संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि अफ्रीका में सीमा पार होने वाले 70 फीसदी अनौपचारिक व्यापार महिला कारोबारी करती हैं. नकाटुमा ने यह भी कहा कि किस तरह बैंकों ने महिलाओं को कर्ज देने से इनकार कर दिया. इसलिए, उन्हें पूरी तरह से अपने परिवारों, समुदायों और छोटी बचत पर निर्भर रहना पड़ता है.

2014 से 2016 तक मध्य अफ्रीकी गणराज्य की अंतरिम राष्ट्रपति के तौर पर कार्य करने वाली वकील और राजनीतिज्ञ कैथरीन सांबा-पंजा कहती हैं कि अफ्रीकी उद्यमियों में 20 फीसदी हिस्सेदारी महिलाओं की है. लिंग आधारित चुनौती के अलावा उन्हें कई अन्य कठोर मुश्किलों का भी सामना करना पड़ता है.

उन्होंने कहा, "कोविड-19 महामारी, अफ्रीका में लगातार जलवायु परिवर्तन और सशस्त्र संघर्ष और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध, इन सब की वजह से महिला कारोबारियों को काफी ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ा.”

इस महीने कैमरून में ‘महिला उद्यमी: चुनौतियां और अवसर' नाम से अफ्रीकी महिला उद्यमी फोरम का आयोजन किया गया. यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम था जिसमें 35 अफ्रीकी देशों की सैकड़ों महिला उद्यमी शामिल हुईं. याऊंदे में हुई इस बैठक में 200 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया.

बराबरी को तरसती अफ्रीका की कारोबारी महिलाएं
अफ्रीकी कारोबार जगत में भी महिलाओं को भेदभाव झेलना पड़ता हैतस्वीर: AP

फोरम ने अनुरोध किया कि निर्यात क्रेडिट, गारंटी और कर्ज सहित महिलाओं के नेतृत्व वाले कारोबार की जरूरतों के मुताबिक आर्थिक मदद मिलनी चाहिए. इस फोरम में शामिल प्रतिभागियों ने निष्कर्ष निकाला कि महिलाओं के सशक्त होने पर ही स्थानीय स्तर पर गरीबी कम हो सकती है. साथ ही, अफ्रीका के ग्रामीण क्षेत्रों का रहन-सहन बेहतर हो सकता है.

जमीन पर महिलाओं का हक

कैमरून में जन्मे आर्थिक विश्लेषक सर्ज गुइफो ने डीडब्ल्यू को बताया कि महिलाओं को जमीन पर भी ज्यादा अधिकार दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "महिलाएं हमें भोजन उपलब्ध कराती हैं. वे जमीन का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन उनके पास इसका मालिकाना हक नहीं होता है. हम थाईलैंड और वियतनाम से चावल खरीदते हैं. यूक्रेन से गेहूं खरीदते हैं. अब हमें इसे बदलने की जरूरत है. इस बदलाव के लिए हमें भूमि सुरक्षा अधिकार चाहिए.” भूमि सुरक्षा का मतलब है जमीन का मालिकाना हक मिलना.

क्या महिलाओं को जमीन का मालिकाना हक मिलना चाहिए? इसके जवाब में गुइफो कहते हैं, "आपको यह देखने को मिलेगा कि शहरों में रहने वाले कई लोग वापस अपने समुदाय में लौट आते हैं, क्योंकि यहां जीवन की गुणवत्ता बेहतर होगी. उनकी आय शहरों में रहने वाले लोगों की तुलना में ज्यादा होगी.”

वर्ष 2022 में महिला उद्यमियों ने अफ्रीका की अर्थव्यवस्था में 350 अरब डॉलर का योगदान दिया, जो इस महाद्वीप की जीडीपी के लगभग 13 फीसदी हिस्से के बराबर है.

अफ्रीकी महिलाएं अब चाहती हैं कि उन्हें अफ्रीका के मुक्त व्यापार क्षेत्र का ज्यादा से ज्यादा लाभ मिले. साथ ही, उन्हें ज्यादा से ज्यादा अवसर मिले, ताकि वे महाद्वीप को विकसित करने में अहम भूमिका निभा सकें.