9/11 से बदनाम हैम्बर्ग की मस्जिद बंद
१० अगस्त २०१०जर्मनी में पुलिस विभाग ने एक बयान जारी कर कहा, "हैम्बर्ग के आंतरिक विभाग ने अरब-जर्मन कल्चरल क्लब ताइबा को बंद कर दिया है. अल-कुद्दूस मस्जिद को भी बंद कर दिया गया है."
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक अधिकारियों ने इसे बंद करने की वजह नहीं बताई लेकिन सूत्रों के हवाले से मिल रही सूचनाओं में पता चलता है कि सेंट जॉर्ज क्वार्टर की यह मस्जिद एक बार फिर से चरमपंथियों का अड्डा बनती जा रही थी. ऐसी रिपोर्टें भी हैं कि जर्मन पुलिस के 20 जवानों ने सोमवार तड़के इस मस्जिद की तलाशी ली.
अल-कुद्दूस मस्जिद 1993 में तैयार हुई. यह शहर के केंद्रीय स्टेशन के नजदीक रेड लाइट डिस्ट्रिक्ट में स्थित है. तिमंजिला इमारत में करीब 400 लोगों के नमाज पढ़ने की जगह है. महिलाओं के नमाज पढ़ने के लिए भी अलग जगह है.
इससे पहले जर्मनी की साप्ताहिक पत्रिका फोकस एक रिपोर्ट में कह चुकी है कि यह जगह फिर से गलत वजहों से सक्रिय हो रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ताइबा ग्रुप के कुछ ऐसे सदस्य जो इस मस्जिद में आते जाते हैं, उज्बेकिस्तान में एक ट्रेनिंग कैंप में गए. हैम्बर्ग के आंतरिक विभाग के प्रवक्ता फ्रांक रेष्राइटर ने बताया, "हमने मस्जिद को बंद कर दिया है क्योंकि यह ऐसे लोगों के मिलने की जगह थी जो तथाकथित जिहाद में हिस्सा लेना चाहते हैं."
अमेरिकी शहर न्यू यॉर्क पर 11 सितंबर 2001 के आतंकवादी हमलों से भी इस मस्जिद के रिश्ते कुछ इसी तरह जुड़े हैं. हमले के बाद जब साजिशों की कड़ियां खुलनी शुरू हुईं, तब हैम्बर्ग की यह मस्जिद चर्चा में आई. पता चला कि आतंकवादी हमलों में जो 19 हमलावर शामिल हुए, उनका ग्रुप लीडर मोहम्मद अता इस मस्जिद में आता जाता रहा. इसके बाद अमेरिकी और जर्मन खुफिया एजेंसियों की निगाहें मस्जिद के इर्द गिर्द घूमने लगीं. साजिश परत दर परत उधड़ी और अल-कुद्दूस का जिक्र बढ़ता गया. मूल रूप से मिस्र का निवासी मोहम्मद अता 1998 में हैदर जमर से इसी मस्जिद में मिला.
जमर 9/11 के आतंकी हमले की साजिश में शामिल उस शख्स का नाम है, जिसने 'हैम्बर्ग सेल' तैयार किया. सूत्रों के मुताबिक 'हैम्बर्ग सेल' के लिए भर्तियां अल-कुद्दूस मस्जिद में ही हुईं. मस्जिद में भर्तियां होती रहीं और इसका पता तब चला जब 9/11 के हमले में मारे गए फिदायीन में से तीन के तार हैम्बर्ग से जुड़े. अता के अलावा जारा और अल-शेही भी इसी मस्जिद में आते जाते और मिलते रहे थे.
जर्मन सुरक्षा तंत्र के सूत्रों का कहना है कि इस मस्जिद में आने जाने वाले 10 लोग पिछले साल पाकिस्तान या अफगानिस्तान भी गए, जहां शायद उन्होंने उग्रवाद की ट्रेनिंग ली. बताया जाता है कि इनमें से कम से कम एक शख्स ने पाकिस्तान में चल रहे इस्लामी मूवमेंट ऑफ उजबेकिस्तान में शामिल होकर ग्रुप के लिए प्रपोगंडा वीडियो तैयार किया.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए जमाल