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जलवायु परिवर्तन पर काबू पाने के सात तरीके

स्टुअर्ट ब्राउन
७ अक्टूबर २०२२

कार्बन फुटप्रिंट के मामले में पेट्रोल डीजल का इस्तेमाल करने वाली दुनिया की कंपनियां आम लोगों से बहुत ऊपर हैं लेकिन इसके बाद भी हम जलवायु संकट से निपटने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं.

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Global Ideas | Borneo Aufforstung
तस्वीर: Nicole Ris/DW

हममें से बहुत लोग, जलवायु परिवर्तन की वजह से जंगल की आग, चक्रवात और बाढ़ की बढ़ती घटनाओं को काबू में करने की अपनी अक्षमता का रोना रोते हैं. माना जाता है कि जीवाश्म ईंधन इस्तेमाल कर प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों को रोकना मुश्किल है. सरकारें उन्हें नियंत्रित करेंगी नहीं, और उत्सर्जन में कटौती के लक्ष्य कभी पूरे नहीं हो पाएंगे.

हालांकि वैश्विक तापमान को भड़काने वाली ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जनों को सीमित करने के लिए कई सारी चीजें ऐसी है जो हम व्यक्तिगत तौर पर और फिर सामूहिक रूप से कर सकते हैं.

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1. विमान और पेट्रोल के वाहन छोड़िए और बस, ट्रेन या साइकिल से चलिए

परिवहन से दुनिया का 20 प्रतिशत उत्सर्जन निकलता है. सबसे बुरी स्थिति बनती है सड़क यातायात से.

परिवहन को कार्बनमुक्त करने के लिए उत्सर्जनों में कटौती का एक आसान तरीका है, पेट्रोल से चलने वाली कारों के बदले ट्रेन, साइकिल, ई-वाहन का इस्तेमाल करें और जहां तक संभव हो पैदल चलकर आना जाना करें यानी सबसे शून्य उत्सर्जन वाला ट्रांसपोर्ट.

शहरों में, ई-स्कूटर से लेकर ई-बसों तक बिजली से चलने वाले परिवहन विकल्प मौजूद हैं और वो एक ठिकाने से दूसरे ठिकाने तक एक कम उत्सर्जन मार्ग बनाते हैं. इलेक्ट्रिक स्कूटर की तुलना में एक पेट्रोल कार दस गुना ज्यादा कार्बन का उत्सर्जन करती है. इसमें उत्पादन से लेकर कबाड़ के निपटारे तक से जुड़ा उत्सर्जन भी शामिल है.

विमान से कभी सफर नहीं करने वाली दुनिया की करीब 10 फीसदी आबादी के लिए विमान के बदले ट्रेनों से आवाजाही का भी एक बड़ा असर पड़ सकता है. यूरोपीय शहरों के बीच एक आम रेल सफर उसी दूरी की उड़ान के मुकाबले 90 फीसदी कम सीओटू उत्सर्जित करता है.

प्लांट बेस्ड मीट की मांग बढ़ रही है
प्लांट बेस्ड मीट और शाकाहारी खाना बड़ा फर्क ला सकता हैतस्वीर: Hollie Adams/Getty Images

2. मांस नहीं, फल सब्जी और अनाज खाइये

मीट और डेयरी उत्पाद, 15 फीसदी वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन का जिम्मेदार है. जैव विविधता का नुकसान, मिट्टी का दूषित हो जाना और प्रदूषण तो जो है सो अलग है.

इस साल जब जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय पैनल (आईपीसीसी) ने कहा था कि ग्लोबल वॉर्मिंग को कम करने के लिए उत्सर्जनों को 2030 तक आधा करना होगा, तो उसने इस बात पर भी जोर दिया था कि प्लांट प्रोटीन की अधिकता वाले और मीट और डेयरी रहित आहार में, ग्रीनहाउस गैसों की कटौती करने की सबसे ज्यादा क्षमता है.  

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लिहाजा शाकाहारी होना या वीगन आहार लेना, इस जलवायु असर को कम करने का एक तरीका हो सकता है.जलवायु अनुकूल पौधा आधारित मांस की बढ़ती मांग और लोकप्रियता, उपरोक्त विकल्प को और आसान बना देते हैं.

हालांकि अभी तक पौधे सिर्फ 2 फीसदी प्रोटीन देते हैं. बोस्टन कन्सलटिंग ग्रुप के मुताबिक 2035 तक इसके 11 फीसदी तक बढ़ जाने की संभावना है, ये और तेज भी हो सकता है अगर हममें से ज्यादातर लोग मांस और डेयरी उत्पादों की अपनी मांग में कटौती कर दें.

3. सरकारों पर कार्रवाई के लिए दबाव डालिए

फ्राइडेज फॉर फ्यूचर आंदोलन में शामिल स्कूली बच्चों ने दिखाया कि जलवायु के लिए एक सामूहिक कदम उठाना संभव है. राजनीतिज्ञ पर्याप्त काम ना कर रहे हों लेकिन उन्हें सुनना तो पड़ेगा ही क्योंकि दुनिया भर में जलवायु चिंताएं भी वोटिंग के इरादों को संचालित कर रही हैं, जैसे कि हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में नये नेता जलवायु आकांक्षाओं को उल्लेखनीय स्तर पर बढ़ाने का वादा करते देखे गए. (भले ही कई लोग मानते हैं कि लक्ष्य अभी भी अपर्याप्त है.)

पर्यावरण के लिए सरकारों को उनकी जिम्मेदारी याद दिलानी होगी
पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग का फ्राइडे फॉर फ्यूचर सरकारों के सामने अपनी मांग रख रहा हैतस्वीर: Markus Schreiber/AP/picture alliance

कभीकभार अदालतें भी सुन लेती हैं. अप्रैल 2021 में फ्राइडेज फॉर फ्यूचर अभियान के युवाओं ने जर्मनी की एक उच्च अदालत में हुई जिरह में कहा कि जलवायु कार्रवाई नहीं होने से उनकी बुनियादी आजादी पर खतरा बन आया है जो असंवैधानिक है. नतीजतन, कोर्ट ने सरकार को उत्सर्जन कटौती के लक्ष्यों को मजबूत करने के लिए बाध्य किया- दो महीने बाद सरकार को अदालती आदेश पर अमल करना पड़ा.

मतदाताओं की नयी पीढ़ी में जलवायु का मुद्दा शीर्ष पर आ गया है. लिहाजा कई युवा विरोध प्रदर्शनों, आंदोलनो, सोशल मीडिया अभियानों या स्थानीय प्रतिनिधियों को लिखकर, राजनीतिज्ञों पर दबाव बना रहे हैं.

जर्मनी की राजधानी बर्लिन में जलवायु जनादेश को लेकर एक नागरिक अभियान चल रहा है. 2030 तक कार्बन निरपेक्षता की मांग उसकी एक अच्छी शुरुआत है.

4. हरित ऊर्जा और जहां संभव है वहां अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल करिए

ऊर्जा के लिए जीवाश्म ईंधनों को जलाना, ग्लोबल ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जनों का सबसे बड़ा स्रोत है. साफ, अक्षय स्रोत जैसे पवन ऊर्जा या सौर ऊर्जा से हरित ऊर्जा हासिल करने का विकल्प बढ़िया है. यह जलवायु तबाह करने वाले कार्बन के मुख्य स्रोत को खत्म कर सकता है. 

ग्राहक पहले ही अंतर पैदा कर चुके हैं. यूरोपीय संघ में 2019 से, अक्षय ऊर्जा उत्पादन 2005 की तुलना में दोगुना हो चुका है, 34 फीसदी बिजली उसी से आती है. इसका मतलब है कि यूरोपीय संघ की अधिकांश बिजली कोयले से पैदा नहीं की जाती है. कोयला उत्सर्जन केलिए सबसे बड़े जिम्मेदार जीवाश्म ईंधन है.

एक घर या मकान या अपार्टमेंट में रहने वाले लोग भी अपनी छलों पर सौर ऊर्जा लगा सकते हैं या गैस हीटिंग के बदले, जहां संभव है, इलेक्ट्रिक हीट पंप लगा सकते हैं. कुछ समुदाय तो अपने आसपास, विशिष्ट रूप से अक्षय ऊर्जा पर ही निर्भर रहने के लिए एक साथ आ रहे हैं.

5. लाइट बंद और हीटिंग कम कीजिए

हीटिंग को कम करना या बंद करना जैसी सामान्य सी चीज भी बहुत सारी ऊर्जा बचा सकती है. रूसी गैस पर देश की निर्भरता से पैदा हुए ऊर्जा संकट से जूझ रही जर्मन सरकार इसीलिए इन सर्दियों में सरकारी इमारतों में हीटिंग के तापमान को 19 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करेगी.

अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल बड़े बदलाव ला सकता है
दक्षिणी जर्मनी का फ्राइबुर्ग शहर सोलर सिटी के नाम से जाना जाने लगा हैतस्वीर: AP

रात में कम्प्यूटर बंद करना और उपयोग में नहीं आ रहे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को अनप्लग कर जलवायु को सोखने वाली ऊर्जा को हटाना भी जलवायु बदलाव को रोकने वाली एक कार्रवाई है जिसे हम आज के दौर में हासिल कर सकते हैं. इससे भी ज्यादा आसान है कि जब कमरे में ना हों तो लाइट बंद कर दें.

ऊर्जा की उच्च बचत वाले उपकरणों का इस्तेमाल, जैसे कि गैस के चूल्हों के बदले इंडक्शन भी आगे की ओर एक कदम है. इससे भी अच्छा है कि आप सरकार से स्मारकों और इमारतों में रात भर जलने वाली लाइटें बंद करने की मांग करें. जर्मन राजधानी बर्लिन में हाल में ये नीति लागू कर दी गई है.

6. खाना बेकार ना जाने दीजिए

दुनिया का एक तिहाई भोजन फेंक दिया जाता है. अगर उत्पादन, परिवहन और उपयोग का आकलन किया जाए तो खाने का ये नुकसान और कचरा एक बहुत बड़ा कार्बन उत्सर्जक है. कचरा ठिकानों में फेंका जाने वाला खाना मीथेन पैदा करता है, वो छोटी अवधि में एक बड़े नुकसान वाली ग्रीनहाउस गैस है.

अमेरिका में, सालाना भोजन नुकसान और खाद्य कचरे से 17 करोड़ मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है और इसमें कचरा ठिकानों के उत्सर्जन शामिल नहीं हैं. कुल मिलाकर ये कोयले से चलने वाले 42 ऊर्जा संयंत्रों के सालाना उत्सर्जनों के बराबर है.

इसीलिए फ्रिज में रखी हर चीज हम ना खा सकें, तो उसे कम से कम खाद में डाल दीजिए जो बगीचे को उर्वर बनाएगी या बायोगैस में इस्तेमाल कर लीजिए.

इस बीच सुपरबाजारों को अतिरिक्त भोजन ना फेंकने के लिए दबाव डाले, उसे फूड बैंको या दान संस्थाओं को दे दीजिए. या रेस्तरां को कहिए कि वो नहीं खाये गये भोजन के लिए "डॉगी बैग्स" दें. ये दोनों उपाय हाल में स्पेन में पारित हुए फूड वेस्ट कानून में शामिल हैं.

खाने की बर्बादी पर्यावरण के लिए घातक है
खाने की बर्बादी रोकना सबसे ज्यादा जरूरी है

7. पेड़ लगाइये

पेड़ एक बहुत जरूरी कार्बन सिंक हैं, फिर भी जंगल बड़े पैमाने पर काटे जा रहे हैं. मिसाल के लिए अमेजन जंगल की कटाई में पिछले साल 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो गई थी.

पहले से कहीं ज्यादा, इस समय पेड़ लगाना मतलब वायुमंडल में सीओटू को कम करना है. व्यक्तिगत तौर पर ये सबसे अच्छा उपाय है.

पेड़ ना सिर्फ हवा को साफ करते हैं, जैवविविधता को बढ़ाते हैं और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखते हैं बल्कि वे ऊर्जा भी बचाते हैं. खासकर शहरों में ये देखा जा सकता है जहां सड़कों पर लगे ज्यादा से ज्यादा पेड़ ठंडक पहुंचाते हैं और एयरकंडिशनिंग की जरूरत में कटौती करते हैं. ये कार्बन मुक्त गैरलाभकारी उपाय है.

इसी तरह सर्दियों मे, पेड़ हवा से महफूज रखने वाले शेल्टर होम की तरह काम करते हैं और इस तरह हीटिंग की कीमतों में 25 फीसदी तक की कमी ले आते हैं.