62 अमीरों की गरीब दुनिया
दुनिया के राजनैतिक और आर्थिक नेताओं से गरीबी मिटाने के प्रयासों को बढ़ाने की अपील. ऑक्सफैम के अनुसार सिर्फ 62 लोगों के पास इतना धन है जितना दुनिया की आधी आबादी के पास. बहुतों को खाना-पीना, दवा, छत और शिक्षा मयस्सर नहीं.
पाकिस्तान के शहर पेशावर में बच्चे एक नहर में जमा कूड़े के ढेर से काम का प्लास्टिक निकाल रहे हैं ताकि उसे बेचकर कुछ कमाई कर सकें.
केन्या के शहर नैरोबी में 8 साल की बच्ची प्लास्टिक बोतलों से भरी बोरी लिए. इसे उसने डंडोरा स्लम के कूड़े से इकट्ठा किया है.
मॉस्को में गरीबों की मदद के लिए सामूहिक खाने का आयोजन होता है. एक चर्च द्वारा आयोजित खाने के लिए इकट्ठा भीड़.
युद्ध के बाद बालकान के देश भी भारी गरीबी झेल रहे हैं. क्रोएशिया के जागरेब में परमार्थ संस्थाएं मुफ्त खाने की व्यवस्था करती हैं.
पर्याप्त कमाई न हो हर चीज मुश्किल हो जाती है. नेपाल में बहुत से लोग लकड़ी जलाकर खाना पकाने या घर गर्म करने पर मजबूर हैं.
ईरान में गरीबों की मदद के लिए लोग पुराने सामान देते हैं. यहां अमोल शहर के बाजार में आलमारी में रखे सामान जरूरतमंद लोग ले सकते हैं.
बहुत से लोग गरीबी के कारण छोटी मोटी चीजें बेचकर जीवनयापन करने को मजबूर हैं. लेकिन इससे परिवार की जरूरतें पूरी नहीं होती.
धनी अमेरिका भी गरीबी की समस्या को सुलझा नहीं पाया है. बेहतर जीवन के लिए शिक्षा, रोजगार और भविष्य के मौके जरूरी हैं.
जर्मनी जैसे समृद्ध पश्चिमी देशों में भी गरीबी की समस्या है. खासकर बच्चों वाले परिवारों के लिए. अकेली मांएं बच्चों की देखभाल करें या कमाई के लिए काम.
विश्व के कई देशों में चल रहे संघर्ष के कारण लोग भाग रहे हैं. इसने गरीबी की समस्या को और बढ़ा दिया है. नई जगहों पर इतनी आसानी से रोजगार नहीं मिलता.
फसल न हो तो कैसे कटे जिंदगी. जलवायु परिवर्तन के कारण सूखे और बाढ़ का असर खेती पर हो रहा है. यहां जिम्बाब्वे का एक किसान अपने खेत में.
युद्ध, जातीय संघर्ष, ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन भी विकास को अवरुद्ध कर रहा है और गरीबी की समस्या बढ़ा रहा है.