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400 से ज्यादा वर्षों तक जिंदा रहता है यह जीव

रूबी रसेल
१५ जुलाई २०२२

औद्योगिक क्रांति से बहुत पहले पैदा हुई ग्रीनलैंड शार्क आज भी आर्कटिक के पानी में मौजूद हैं. हालांकि, जैसे-जैसे उनका बर्फीला आवास गर्म हो रहा है, इस विशालकाय जीव का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है.

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ग्रीनलैंड शार्क
ग्रीनलैंड शार्कतस्वीर: Saul Gonor/Oceans Image/Photoshot/picture alliance

ग्रीनलैंड शार्क वाकई में अद्भुत जीव है. भारी-भरकम शरीर वाले इस जीव को महासागर के ठंडे और गहरे पानी में धीमी गति से तैरते हुए देखा जा सकता है. इसका शरीर विषैला होता है. काफी मजबूत शिकारी होने के बावजूद, यह कुछ भी, जैसे कि सड़ा हुआ मांस भी खा लेता है. इसके पेट में हिरण और घोड़ों के अवशेष भी मिले हैं. 

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इसकी आंखें देखने में काफी ज्यादा आकर्षक नहीं होती हैं. क्रस्टेशियंस जैसे कृमि शार्क की कॉर्निया में चिपक जाते हैं, जिससे शार्क के लिए देखना मुश्किल हो जाता है. हालांकि, इससे शार्क को ज्यादा समस्या नहीं होती. यह 2000 मीटर से ज्यादा की गहराई में भी रह लेता है. 

इन सब बातों के अलावा, सबसे अहम बात है इसका जीवन काल. यह धरती पर सबसे ज्यादा दिन जीवित रहने वाला वर्टीब्रेट जीव (वो जीव जिनके शरीर में हड्डियां होती हैं) है.

400 साल से ज्यादा जिंदा रहती है ये ग्रीनलैंड शार्क
400 साल से ज्यादा जिंदा रहती है ये ग्रीनलैंड शार्कतस्वीर: Doug Perrine/Bluegreen Pictures/IMAGO

आंखों की कार्बन डेटिंग

दूसरे शार्क की उम्र का पता लगाने के लिए उनके शरीर पर मौजूद धारियों को गिना जाता है. यह ठीक उसी तरह होता है, जैसे किसी पेड़ की उम्र का पता लगाने के लिए छल्लों को गिना जाता है. हालांकि, ग्रीनलैंड शार्क का शरीर मुलायम और इसकी हड्डिया जिलेटिन जैसी पतली होती है. इस वजह से इसकी उम्र का सही-सही पता नहीं चल पाता है. 2016 में वैज्ञानिकों ने इसकी आंखों की गहन जांच करके इसकी लंबी उम्र का खुलासा किया था. वैज्ञानिकों ने इसकी उम्र का पता लगाने के लिए, इसकी आंख में पाए जाने वाले प्रोटीन का सहारा लिया.

दरअसल, अन्य प्रजातियों की तरह शार्क की आंखों में भी प्रोटीन होते हैं, जो पूरी जिंदगी जमा होते हैं. वैज्ञानिकों ने 28 ग्रीनलैंड शार्क की आंखें मछली पकड़ने वाले ट्रॉलरों के जाल से इकट्ठा की और रेडियोकार्बन-डेटिंग के जरिये उनकी उम्र का पता लगाया. 

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उन्होंने नमूने के तौर पर जितने शार्क इकट्ठा किए थे उनमें से एक छोटा शार्क 1960 के दशक की शुरुआत से जीवित था. वह एक ऐसा समय था जब परमाणु परीक्षणों की वजह से वातावरण में कार्बन-14 की मात्रा बहुत ही ज्यादा थी. इस वजह से उनके चमड़े पर ‘बम पल्स' के निशान थे. 

हालांकि, पांच मीटर की एक मादा शार्क से यह खुलासा हुआ कि उसका जन्म ना सिर्फ परमाणु युग, बल्कि औद्योगिक क्रांति से भी पहले हुआ था. वैज्ञानिकों ने उसकी जन्मतिथि 1504 और 1744 के बीच बताई थी.

बर्फ पिघलने से ग्रीन शार्क को खतरा

यह जीव ऐसे युग में जीवित रहा जब इसके लीवर में मौजूद तेल के लिए और स्वादिष्ट भोजन के तौर पर खाने के लिए इस तरह के जीवों का शिकार किया जाता था. यह वह दौर था जब बिजली का इजाद नहीं हुआ था. इसके तेल का इस्तेमाल लैंप जलाने के लिए किया जाता था.

अब इनके लिए खतरा पहले की तुलना में काफी बढ़ गया है. गर्मी की वजह से आर्कटिक का बर्फ पिघल रहा है. पानी गर्म हो रही है. इनके प्राकृतिक आवास में व्यावसायिक तौर पर मछली पकड़ने की इजाजत दी जा रही है. इस वजह से हर साल हजारों ग्रीनलैंड शार्क की मौत हो रही है.

रिसर्च से पता चला है कि यह जीव काफी धीमी गति से विकसित होता है. इसका शरीर एक साल में मात्र एक सेंटीमीटर ही बढ़ता है. यह 150 साल की उम्र के बाद ही प्रजनन करने में सक्षम हो पाता है. इसलिए, जब किसी वयस्क शार्क को मार दिया जाता है, तो लंबे समय बाद ही कोई दूसरा शार्क उसकी जगह ले पाता है.

ग्रीनलैंड शार्क के लिए, जलवायु संकट एक परजीवी से चिपकी आंखों के पलक झपकने भर में आ गया है. अगर मौजूदा समय में जन्मी एक नई पीढ़ी अपनी विरासत को आगे बढ़ाते हुए जीवित रहती है, तो वो अपने जन्म के समय से काफी अलग दुनिया देख सकती है.

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