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25 साल बाद म्यांमार पहुंचे भारतीय प्रधानमंत्री

२७ मई २०१२

भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह रविवार को तीन दिन के दौरे पर म्यांमार पहुंचे हैं. 25 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री म्यांमार पहुंचा है. माना जा रहा है कि नई दिल्ली बदलते म्यांमार के साथ संबंध मीठे करना चाहता है.

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तस्वीर: AP

म्यांमार के लिए रवाना होने से पहले मनमोहन सिंह ने अपने बयान में कहा कि इस दौरे में वह दोनों देशों के बीच बेहतर यातायात पर चर्चा करेंगे. इसके अलावा सीमा से सटे इलाकों की देख रेख और व्यापार और निवेश को बढ़ावा दिए जाने पर बात होगी. सिंह अपने दौरे पर म्यांमार के राष्ट्रपति थेन सेन से मुलाकात करेंगे और विपक्ष की नेता आंग सान सू ची से भी. मनमोहन सिंह से पहले 1987 में राजीव गांधी वहां गए थे.

पिछले साल अक्टूबर में म्यांमार के राष्ट्रपति थेन सेन ने भारत का दौरा किया. सिंह ने कहा कि वह देश के अल्पसंख्यकों से मिलेंगे और यंगून में रहने वाले भारतीयों से भी. दोनों देशों में संबंधों को मजबूत करने की कोशिशों पर उन्होंने कहा, "भारत और म्यांमार के साझा इतिहास और संस्कृति के कारण दोनों देशों के लोगों में आपसी संपर्क बढ़ाने में आसानी होगी. भारत म्यांमार की सरकार और वहां के लोगों के साथ सहयोग और साझेदारी के लिए प्रतिबद्ध है." इस यात्रा के दौरान दोनों देशों में कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है.

चीन से मुकाबला

जानकारों का मानना है कि म्यांमार के साथ संबंधों में सुधार भारत के लिए म्यांमार की चीन से बढ़ती नजदीकियों को देखते हुए भी जरूरी है. म्यांमार में सैकड़ों चीनी हैं जो वहां आधारभूत संरचना के विकास में काम कर रहे हैं. इसके आलावा म्यांमार में तेल और गैस से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर भी बीजिंग का दबदबा है.

चीन म्यांमार के विकास में मदद कर रहा है. भारत ने भी म्यांमार को मदद की भेंट की है, लेकिन चीन की तुलना में यह काफी कम है. माना जा रहा है कि मनमोहन सिंह के दौरे से दोनों देशों के बीच बस सेवा शुरू हो सकेगी. यह सेवा मणिपुर की राजधानी इम्फाल और म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मंडले के बीच चलेगी. इसके अलावा भारत ने एक आईटी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट खोलने की भी बात कही है और कृषि के विकास के लिए रिसर्च सेंटर खोलने की भी. हाल के सालों में भारत म्यांमार को रेलवे और सडकें बनाने के लिए 80 करोड़ डॉलर की मदद राशि दे चुका है. वहीं चीन अब तक देश में अरबों का निवेश कर चुका है.

म्यांमार को कभी बर्मा के नाम से जाना जाता था. दशकों तक यहां सैन्य जुंटा का शासन रहा. इस दौरान अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने म्यांमार के लिए दरवाजे बंद कर दिए थे. 2010 में देश में लोकतंत्र की स्थापना के बाद से म्यांमार से प्रतिबंध हटाए जाने लगे. हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने भी म्यांमार का दौरा किया. भारत के साथ म्यांमार की 1,600 किलोमीटर की सीमा है. इसके बावजूद दोनों देशों में लम्बे समय से कोई संपर्क नहीं रहा है.

पहले अक्टूबर में थेन सेन का भारत आना और अब मनमोहन सिंह का म्यांमार का दौरा करना दोनों देशों के संबंधों को आगे बढ़ता दिखता है. सिंह इस दौरान बौद्ध धार्मिक स्थल श्वेदागौन पगौड़ा भी जाएंगे और यांगोन में भारत के आखिरी बादशाह बहादुर शाह जफर की मजार पर भी.

आईबी, ओजेएस (एएफपी, पीटीआई)