200 साल में भी नहीं भरेगी लिंग असमानता
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर से लिंग असमानता पाटने में अब भी सदियां लग जाएंगी. मध्यपूर्व में जेंडर गैप भरने में 153 साल जाएंगे तो पश्चिमी यूरोप में 61 साल में स्थिति बेहतर हो सकती है.
कैसी है स्थिति
रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2018 में, पिछले सालों की तुलना में वेतन भत्ते बेहतर हुए हैं. वहीं वैश्विक लिंग असमानता में पिछले एक दशक के दौरान पहली बार बढ़ोतरी हुई है. यह भी कहा गया है कि आंकड़ों में सुधार के प्रभाव को महिलाओं का राजनीति में घटते प्रतिनिधित्व समेत स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में बढ़ती असमानता ने कम कर दिया है.
200 साल से ज्यादा
रिपोर्ट कहती है कि अगर मौजूदा दर से जेंडर गैप को कम करने की कोशिश की जाएगी तो इसमें तकरीबन 108 साल लग सकते हैं. वहीं कार्यस्थल पर जेंडर गैप को कम करने में तकरीबन 202 साल तक लग सकते हैं.
चार मानक
वर्ल्ड इकॉनामिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने अपनी यह सालाना रिपोर्ट 149 देशों से जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर बनाई है. इस रिपोर्ट में चार मानकों पर स्थिति को परखा गया है. पहला है शिक्षा, दूसरा स्वास्थ्य, तीसरा आर्थिक अवसर और चौथा राजनीतिक सशक्तिकरण.
आर्थिक स्थिति बेहतर
संस्था कहती है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और राजनीति के क्षेत्रों में अब तक महिलाएं बेहतर प्रदर्शन कर रहीं थी लेकिन साल 2018 के दौरान इसमें गिरावट आई. हालांकि नौकरी और आर्थिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में स्थिति में अंतर थोड़ा कम हुआ लेकिन अब भी वैश्विक मेहनताने का अंतर सिर्फ 51 फीसदी तक ही घटा है.
ऑटोमेशन का खतरा
महिलाओं के लिए एक अच्छी बात यह रही है कि वे अब नेतृत्व कर रही हैं. वहीं एक चिंता ऑटोमेशन को लेकर जाहिर की गई है. स्टडी के मुताबिक नई तकनीक और ऑटोमेशन का असर उन कामों पर ज्यादा पड़ रहा है जो अब तक पारंपरिक रूप से महिलाएं कर रहीं थी.
विज्ञान क्षेत्र में नहीं
इसके अलावा आज के तेजी से बढ़ते क्षेत्र मसलन विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित जैसे क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है. खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में यह आंकड़ा काफी कम है. फिलहाल कुल कार्यबल में उनकी हिस्सेदारी महज 22 फीसदी है, जो किसी भी अन्य इंडस्ट्री के मुकाबले तीन गुना अधिक है.
मध्यपूर्व में 153 साल
हर देश और हर क्षेत्र में यह स्थिति अलग-अलग है. मसलन पश्चिमी यूरोप के देशों में जेंडर गैप खत्म होने में 61 साल लगेंगे तो वहीं मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीकी देशों में यह अंतर भरने में 153 साल तक लग सकते हैं.
अच्छे और बुरे
आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन और फिनलैंड दुनिया के कुछ ऐसे देश हैं जहां पुरूष और महिलाओं की स्थिति लगभग बराबर है. वहीं सीरिया, इराक, पाकिस्तान और यमन में सबसे ज्यादा जेंडर गैप है.(एएफपी/एए)