1984 के दंगे, तीन दिन में तीन हजार हत्याएं
1984 के सिख विरोधी दंगे आजाद भारत के कुछ सबसे बदनुमा दागों में से एक हैं. तीन दिन में तीन हजारों लोगों की बलि लेने वाली इस हिंसा के बहुत से पीड़ित आज भी इंसाफ की बाट जोह रहे हैं.
दंगों की शुरुआत
31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी. इसके तुरंत बाद सारे देश में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे.
तीन हजार हत्याएं
तीन दिन तक चले हिंसा के इस तांडव में लगभग तीन हजार सिख मारे गए. इन दंगों में सबसे ज्यादा खून खराबा देश की राजधानी दिल्ली में हुआ.
हत्या की वजह
अपनी हत्या से चार महीने पहले इंदिरा गांधी ने सिखों के पवित्र तीर्थ स्थल अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में सुरक्षा बलों को भेजा था ताकि वहां से खालिस्तानी चरमपंथियों को निकाला जा सके.
ऑपरेशन ब्लू स्टार
इस अभियान में लगभग एक हजार सिख श्रद्धालु मारे गए जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे. इस दौरान 157 सैनिकों की जानें भी गईं.
अपमान का बदला
स्वर्ण मंदिर में टैंक घुसाने के प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कदम से सिखों में भारी नाराजगी थी. यही नाराजगी उनकी हत्या का कारण बनी.
हिंसा ही हिंसा
जैसे ही इंदिरा गांधी की हत्या की खबर फैली तो हिंदू दंगाई सड़कों पर निकल गए और जो भी सिख उनके सामने पड़ा, वह उनका निशाना बना.
सरकार 'प्रायोजित दंगे'
1984 के दंगों ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया, क्योंकि इन दंगों के पीछे सीधे सीधे सरकार का हाथ माना गया और इस हिंसा को उचित ठहराने की कोशिश भी की गई.
जब हिली जमीन...
अपनी मां की हत्या के बाद प्रधानमंत्री पद संभालने वाले राजीव गांधी ने दिल्ली में एक रैली में कहा, "जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो उसके आसपास की जमीन तो हिलती है."
त्रिलोकपुरी नरसंहार
दिल्ली का त्रिलोकपुरी इलाका इन दंगों के दौरान एक बड़े नरसंहार का गवाह बना जहां 72 घंटों के दौरान 350 सिखों को मौत के घाट उतार दिया जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे.
इंसाफ की मांग
दो जांच आयोग बने और सात जांच समितियां, लेकिन त्रिलोकपुरी में हुई हत्याओं के लिए किसी को भी दोषी करार नहीं दिया गया. पीड़ित परिवार आज तक इंसाफ मांग रहे हैं.
दागी नेता
कांग्रेस के कई नेताओं पर दंगे भड़काने और खून खराबा फैलाने के आरोप लगे जिनमें सज्जन कुमार, एचकेएल भगत और जगदीश टाइटलर जैसे नेताओं के नाम शामिल हैं.
दोषी सज्जन
दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व सांसद सज्जन कुमार को 17 दिसंबर 2018 को दोषी करार दिया और उम्रकैद की सजा सुनाई. उन्हें पांच अन्य लोगों के साथ दिल्ली कैंट एरिया में पांच लोगों की हत्या के मामले में दोषी करार दिया गया.
दंगों के दाग
कांग्रेस पार्टी आज तक 1984 के दंगों का दाग अपने दामन से नहीं धो पाई है. खासकर चुनावों से समय उसके विरोधी जरूर उसे इन दंगों की याद दिलाते हैं.