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11 सितंबर के बाद बुश को बदलने वाले वो पल

११ सितम्बर २०११

11 सितंबर को जब न्यूयॉर्क पर हमला हुआ तब उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ड डब्ल्यू बुश फ्लोरिडा में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक स्कूल में थे. उनके साथ समाचार एजेंसी रॉयटर्स के दो पत्रकार भी थे... क्या हुआ था तब?

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तस्वीर: AP

शांति और समृद्धि के साथ दुनिया पर वर्चस्व जमाते अमेरिका के राष्ट्रपति से युद्ध का दंश झेलते, झुंझलाते बौखलाते, मंद पड़ते और काट खाने को दौड़ते अमेरिकी राष्ट्रपति तक का सफर जॉर्ज बुश के जीवन की सबसे बड़ी चुनौती रही. ये वो चुनौती साबित हुई जिसकी छाया अमेरिका और दुनिया के आने वाले भविष्य पर हमेशा कायम रहने के लिए चस्पां कर दी गई.

हमलों की खबर आने के तुरंत बाद रॉयटर्स के पत्रकार अरशद मोहम्मद ने फ्लोरिडा के एक स्कूल की क्लास में छोटे बच्चों के साथ मौजूद राष्ट्रपति बुश से पूछा,"मिस्टर प्रेसिडेंट क्या आप न्यूयॉर्क में विमान के टकराने की खबरों से वाकिफ है." अरशद ने ये जब ये सवाल किया तब राष्ट्रपति को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दूसरे टावर से विमान टकराने की जानकारी मिल चुकी थी और ये बात अरशद को पता नहीं थी. एम्मा इ बुकर एलीमेंट्री स्कूल में बुश खामोशी से अमेरिका पर हमले की खबर सुनते रहे और इन पलों ने बताया कि हर समय मीडिया से घिरे रहने वाले राष्ट्रपति की ऐसे मौकों पर कैसी हालत होती है. अरशद कहते हैं कि हमने अपने सामने इतिहास को दर्ज होते देखा, "व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ एंड्र्यू कार्ड दूसरी कक्षा के बच्चों के साथ बैठे बुश के कानों में बुदबुदा रहे थे." एक तरफ राष्ट्रपति बच्चों के सीधे सवालों का जवाब दे रहे थे तो दूसरी तरफ व्हाइट हाउस की तरफ से सूचनाओं के प्रवाह पर कड़ी चौकसी बरती जा रही थी और उन्हें नियंत्रित किया जा रहा था.

George W. Bush
तस्वीर: dpa

अरशद बताते हैं, "क्लासरूम में खड़े खड़े ही हमें पता चला कि पहले टावर से विमान टकरा चुका है लेकिन दूसरे टावर के बारे में हमें नहीं पता था न ही ये कि कार्ड ने बुश के कान में क्या कहा. हम कुछ नहीं समझ पा रहे थे कि अब आगे क्या हो सकता है." बुश ने अरशद के सवालों का जवाब नहीं दिया और बाद में जब स्कूल की लाइब्रेरी में कुछ देर के लिए बात हुई तो बस इतना कहा, "आज हमारे देश में राष्ट्रीय त्रासदी हुई है. हमारे देश हुए पर एक आतंकवादी हमले में दो जहाज वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से टकराए हैं."

हाइजैक किए विमानों से हमले के बाद शुरुआत में बुश की प्रतिक्रिया थोड़ी ठंडी थी. हमले के तुरंत बाद वाशिंगटन लौटने की बजाय वो पूरे दिन एयरफोर्स वन में सवार हो कर अनजान दुश्मन से खुद को सुरक्षित बचाते रहे. उनके इस कदम ने मुसीबतों में घिरे देश को उनके नेतृत्व पर सवाल करने का मौका दिया.

एक दिन बाद जब वो धुएं और मलबे में तब्दील हो चुके वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की जमीन पर पहुंचे तब उनके कदमों ने एक अलग रास्ते पर चलने का फैसला कर लिया था. चकनचाचूर हो चुकी आग बुझाने वाली गाड़ी पर चढ़ बुश ने हमलावरों को सबक सिखाने की शपथ ली.

बिना मंजिल के एयरफोर्स वन की उड़ान

स्कूल से जॉर्ज बुश गाड़ियों के एक लंबे काफिले के साथ तेजी से निकले. 9/11 कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक एयरपोर्ट जाते वक्त राष्ट्रपति को पेंटागन पर हमले की जानकारी मिली और तब उन्होंने खुफिया एजेंसियों की वाशिंगटन न जाने की सलाह पर अमल करने का बेमन से फैसला किया. पत्रकारों के साथ विमान में सवार होने से पहले सुरक्षाकर्मियों और खोजी कुत्तों ने मीडिया के एक एक शख्स और सीढ़ियों के एक एक स्टेप की कड़ी जांच की. खुफिया एजेंसी किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती थी. विमान की सीढ़ियों के पास एक बार फिर पूछा गया कि क्या सब लोग विमान में आ गए हैं. उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद ये पता चल गया कि एक दिन पहले जिस सागर के ऊपर से उड़ते हुए ये लोग फ्लोरिडा आए थे विमान उस रास्ते पर नहीं था. नीचे जमीन नजर आ रही थी और एक तीखे मोड़ के बाद विमान असामान्य रूप से बहुत ऊपर ऊंचा उठता चला गया. विमान के भीतर पत्रकारों के जेहन में कुलबुलाहट मची थी और व्हाइट हाउस के साथ संपर्क में रहने के लिए हर तरह की कोशिश की जा रही थी. ज्यादातर यात्रियों की तरह ही पत्रकारों ने भी टीवी स्क्रीन पर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दोनों टावरों को ध्वस्त होते देखा.

11. September Fünf-Jahresgedenken in den USA Bush in New York Ground Zero Kranzniederlegung
तस्वीर: AP

विमान के डैनों पर भी सुरक्षाकर्मी

अरशद बताते हैं कि उन लोगों को कुछ नहीं पता था कि वो लोग कहां जा रहे हैं. कुछ देर के बाद व्हाइट हाउस के एक युवा अधिकारी ने बताया कि उन्हें लुइसियाना के एयरफोर्स बेस पर ले जाया जा रहा है जहां राष्ट्रपति बयान देंगे. पत्रकारों से कहा गया कि राष्ट्रपति क्या कहेंगे यह वो बता सकते हैं लेकिन उन्होंने ये सब कहां कहा यह नहीं बताना है. विमान जब जमीन पर उतरा तो आमतौर पर राष्ट्रपति के स्वागत के लिए मौजूद रहने वाली औपचारिकताओं का कहीं कुछ पता नहीं था. बोइंग 747 को राष्ट्रपति के उतरने के पहले ही चारों तरफ से सैनिकों ने घेर लिया, एक अधिकारी ने तो जहाज के डैनों पर भी सैनिकों को चढ़ने का आदेश दिया. ऐसा महसूस हो रहा था कि इस सुरक्षित हवाई अड्डे पर भी राष्ट्रपति का विमान सुरक्षित नहीं है जबकि वहां उनकी मौजूदगी के बारे में किसी को खबर नहीं थी.

पत्रकारों को मोबाइल का इस्तेमाल करने से रोक दिया गया जिससे कि उनके मोबाइल नेटवर्क से किसी को राष्ट्रपति कहां है इस बारे में जानकारी न मिल सके. इसके बाद उन्हें एक बिना खिड़कियों वाले कांफ्रेंस रूम में ले जाया गया. सहयोगियों ने एक पोडियम बनाया और दो झंडे लगा दिया जिससे कि राष्ट्रपति अपना बयान दे सकें और पत्रकार उसे अज्ञात जगह से दिए बयान के रूप में रिपोर्ट कर सकें. अरशद के मुताबिक," कांफ्रेंस रूम में जब राष्ट्रपति की प्रतीक्षा हो रही थी तभी किसी ने कहा कि स्थानीय टीवी पर बुश के आगमन की खबर चल गई है. एयरफोर्स के अधिकारी ने इस बात की तुरंत पुष्टि कर दी और तब व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने कहा कि पत्रकार अपने संपादकों को फोन कर सकते हैं. कायराना हरकत को अंजाम देने वालों को ढूंढ निकालने और उन्हें सजा देने की शपथ लेने के तुरंत बाद बुश एयरफोर्स वन में सवार हो कर उड़ गए और तब उनके साथ जाने वालों में बहुत कम लोग थे. सहायकों, खुफिया सेवा के अधिकारियों और मीडिया के लोगों को बाद में एयरफोर्स के एक दूसरे विमान से वाशिंगटन ले जाया गया."

11. September Fünf-Jahresgedenken in den USA Bush in New York Ground Zero
तस्वीर: AP

मीडिया के आधे लोग तो फ्लोरिडा में ही छोड़ दिए गए

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के ही दूसरे पत्रकार स्टीव हॉलैंड भी उस दिन राष्ट्रपति बुश के साथ थे. वो बताते हैं कि फ्लोरिडा में राष्ट्रपति का कार्यक्रम कवर करने गए व्हाइट हाउस के प्रेस की जमात के ज्यादातर सदस्यों को वहीं छोड़ दिया गया. नागरिक उड़ानों पर रोक लग गई थी. अगले दिन भी विमान नहीं उड़े और तब ये लोग चार्टर्ड बसों के जरिए वाशिंगटन की तरफ चल पड़े. पूरी रात बस में कटी और रास्ते में बस हल्का फुल्का नाश्ता ही मिल सका. अगले दिन जब ट्रैफिक जाम में ये लोग फंसे तब उन्हें अहसास हुआ कि टीवी पर दिखती तस्वीरों की तुलना में असल तबाही कितनी ज्यादा है. पेंटागन से उठता धुएं का गुबार उस वक्त तक आसमान का रंग बदल रहा था और सामने से गुजरते हाइवे से तबाही की तस्वीर साफ दिख रही थी. व्हाइट हाउस को सेना ने चारों तरफ से घेर लिया था आसमान में जंगी हैलीकॉप्टर उड़ान भर रहे थे, हाथ में राइफल लिए गश्त लगाते सैनिक राह चलते लोगों को रोक कर उनसे पूछताछ कर रहे थे. ऐसा महसूस हो रहा था कि अमेरिका में जंग छिड़ी है.

धुएं में घिरी स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी

14 सितंबर को मैनहट्टन में ग्राउंड जीरो का पर पहुंचे बुश एक जंगी नेता के रूप में तब्दील हो चुके थे. एयफोर्स वन सुरक्षा कारणों से न्यूयॉर्क की बजाय न्यू जर्सी में उतरा और फिर वहां से बुश को उनके सरकारी अमले के साथ हैलीकॉप्टरों में बिठा कर मैनहट्टन लाया गया. मीलों दूर तक दहकते ट्विन टावरों की गंध फैल चुकी थी. बाहें फैला कर दुनिया का स्वागत करने वाली अमेरिका की पहचान स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी धुएं के गुबार की जद में थी, इस तस्वीर का रंग दर्दनाक था.

जमीन पर ग्राउंड जीरो के आस पास की गलियों सड़कों और इमारतों पर राख की एक मोटी परत जमी थी. राख की ये परत सड़कों पर लंबी कतारों में खड़ी दमकल की गाड़ियों और कर्मचारियों की वर्दी पर भी मौजूद थी. गाड़ियों का काफिला गुजरने वाली सड़क के किनारों पर खामोशी से खड़े ये कर्मचारी अपने साथियों के अवशेष मलबे से निकाल रहे थे. आस पास की इमारतों का भी कोई भरोसा नहीं था और यह बात उनकी मुश्किल और बढ़ा रही थी.

जिस जगह कभी वैभव और सौभाग्य का प्रतीक वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ट्विन टावर थे वहां केवल मौत और तबाही थी. जिन लोहे के खंभो पर ये इमारत टिकी थी वो पिघल कर और टेढे मेढ़े होकर डरावनी शक्ल ले चुके थे, चारों तरफ मलबा बिखरा था.

राष्ट्रपति बुश के पास वहां जमा हुए राहत कर्मचारियों से क्या बोलना है इसकी कोई पहले से तैयारी नहीं थी. न्यूयॉर्क के मेयर उनके साथ थे. भावनाओं से भरे लोगों की यूएस यूएसए चिल्लाती भीड़ ने उनका मन बदल दिया. बुश कबाड़ में तब्दील हो चुकी दमकल गाड़ी पर चढ़े, अपने दोनों हाथों को दमकल कर्मचारी बॉब बेकविथ के कंधे पर रखा और वो दुदंभी बजा दी, जिसने व्हाइट हाउस में उनके बाकी बचे कार्यकाल का एजेंडा तय कर दिया. बुश ने कहा, "मैं आपको सुन सकता हूं, बाकी दुनिया आपको सुन रही है, और वो लोग...वो लोग जिन्होंने इन इमारतों को नीचे गिराया है वो हम लोगों को बहुत जल्द सुनेंगे."

रिपोर्टः रॉयटर्स/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

 

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