1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जिम्बाब्वे: गंभीर सूखे के कारण दर्जनों हाथियों की मौत

२० दिसम्बर २०२३

भूख और प्यास से कमजोर हाथी जिम्बाब्वे के अभयारण्य में मर रहे हैं. वहां अब तक 100 हाथियों की मौत हो चुकी है.

https://p.dw.com/p/4aN32
जिम्बाब्वे के सबसे बड़े राष्ट्रीय अभयारण्य में सूखे के कारण कम से कम 100 हाथियों की मौत हुई
जिम्बाब्वे के सबसे बड़े राष्ट्रीय अभयारण्य में सूखे के कारण कम से कम 100 हाथियों की मौत हुईतस्वीर: picture-alliance/AP Photo/T. Mukwazhi

जिम्बाब्वे के अधिकारियों के मुताबिक सबसे अधिक प्रभावित हाथियों में युवा, बूढ़े और बीमार हाथी हैं, जो पानी की तलाश के लिए लंबी दूरी तय नहीं कर सकते. हवांगे नेशनल पार्क में सूखे के कारण 2019 में दो सौ हाथियों की मौत हो गई थी.

हाल के हफ्तों में जिम्बाब्वे के सबसे बड़े राष्ट्रीय अभयारण्य में सूखे के कारण कम से कम 100 हाथियों की मौत हो गई है. वन्यजीव अधिकारी और संरक्षण समूह इन हाथियों की मौत के लिए जलवायु परिवर्तन और अल नीनो को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.

अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि ऐसी और मौतें हो सकती हैं क्योंकि हवांगे नेशनल पार्क समेत दक्षिणी अफ्रीकी देश के कुछ अन्य क्षेत्रों में गर्मी बढ़ने और कम बारिश का अनुमान है.

इंटरनेशनल फंड फॉर एनिमल वेलफेयर ने इसे हाथियों और अन्य जानवरों के लिए संकट बताया है. जिम्बाब्वे राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव प्रबंधन प्राधिकरण के प्रवक्ता तिनशे फरावो ने कहा, "अल नीनो पहले से ही गंभीर स्थिति को और भी बदतर बना रहा है."

यहां तीन साल से नहीं हुआ किसी भी हाथी का शिकार

क्या है अल नीनो?

अल नीनो जलवायु से जुड़ा मौसमी प्रभाव है जो औसतन हर दो से सात साल में आता है. स्पैनिश भाषा के शब्द अल नीनो का अर्थ है, लिटल बॉय यानी छोटा लड़का. इसका संबंध अल नीनो सदर्न ऑसिलेशन में अधिक तापमान से है.

मुख्य रूप से इसकी शुरुआत पूर्वी प्रशांत महासागरीय इलाके में असामान्य तौर पर गर्म पानी के कारण होती है. माना जाता है कि भूमध्यरेखीय प्रशांत के पास पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाएं, जिन्हें ट्रेड विंड्स कहा जाता है, धीमी हो जाती हैं या फिर उलटी दिशा में बहने लगती हैं.

हालांकि, इस साल के अल नीनो के कारण हाल ही में पूर्वी अफ्रीका में घातक बाढ़ आई है, लेकिन इसके कारण दक्षिण अफ्रीका में औसत से कम बारिश होने की आशंका है.

शिकारियों के हाथों में पड़ने से बचाने के लिए मृत हाथियों के दांतों को अलग कर रखा जाता है
शिकारियों के हाथों में पड़ने से बचाने के लिए मृत हाथियों के दांतों को अलग कर रखा जाता हैतस्वीर: picture-alliance/AP Photo/T. Mukwazhi

कम बारिश से जानवरों पर संकट

अल नीनो घटना जिम्बाब्वे में पहले ही महसूस की जा चुकी है, जहां बारिश का मौसम सामान्य से कई सप्ताह बाद शुरू हुआ. अध्ययनों से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन, अल नीनो को मजबूत बना रहा है, जिससे अधिक गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं.

अधिकारियों को 2019 की घटनाओं की पुनरावृत्ति की आशंका है, जब गंभीर सूखे के कारण नेशनल पार्क हवांगे में 200 से अधिक हाथियों की मौत हो गई थी. इंटरनेशनल फंड फॉर एनिमल वेलफेयर में लैंडस्केप प्रोग्राम के निदेशक फिलिप कावाउगा ने कहा, "यह प्रवृत्ति बार-बार हो रही है."

जिम्बाब्वे पार्क्स एजेंसी के प्रवक्ता फरावो ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें एक युवा हाथी पानी के तालाब में कीचड़ में फंसने के बाद अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है.

प्यास से मर रहे हैं हाथी

फरावो ने कहा, "सबसे अधिक प्रभावित हाथियों में युवा, बूढ़े और बीमार हाथी शामिल हैं, जो पानी खोजने के लिए लंबी दूरी तय नहीं कर सकते."

उन्होंने कहा एक औसत आकार के हाथी को प्रतिदिन लगभग 200 लीटर पानी की जरूरत होती है. उन्होंने बताया पार्क रेंजर मृत हाथियों के दांतों को अलग करते हैं और उसे संरक्षित करते हैं ताकि ये शव शिकारियों को आकर्षित न करें.

हवांगे लगभग 45,000 हाथियों के साथ-साथ अन्य स्तनधारियों की सौ से अधिक प्रजातियों और पक्षियों की चार सौ से अधिक प्रजातियों का घर है.

जिम्बाब्वे में बारिश का मौसम अक्टूबर में पूरी तरह से शुरू हुआ और मार्च तक चला. हालांकि, हाल के वर्षों में यह अनियमित हो गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में काफी कम बारिश होगी, इसलिए अल नीनो के कारण शुष्क मौसम होगा.

एए/वीके (एपी)