हो गया गठबंधन
जर्मनी में गठबंधन के लिए बातचीत मुश्किल रही है, महीने भर से ज्यादा चली खींचतान के बाद मतभेदों मिटा कर समझौता कर लिया गया. हालांकि अभी कई चीजें तय होनी बाकी हैं.
बर्लिन में समझौता
कई हफ्तों की राजनीतिक खींचतान के बाद जर्मनी की दो सबसे बड़ी पार्टियों ने बुधवार सुबह नई गठबंधन सरकार बनाने का एलान किया. अंतिम दौर में 17 घंटे चली बातचीत के बाद समझौता हुआ. समझौते में अभी मंत्रालयों पर चर्चा नहीं हुई है और इसे सोशल डेमोक्रैट पार्टी के सदस्यों की मंजूरी मिलनी बाकी है.
समझौते का रास्ता
सितंबर के चुनावों में जब जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू को करीब 42 फीसदी वोट मिले तभी बहुत से लोगों ने मान लिया था कि जिगमार गाब्रिएल की पार्टी एसपीडी ही गठबंधन के लिए सबसे उपयुक्त होगी. हालांकि दोनों पार्टियों के लक्ष्य बिल्कुल अलग हैं, फिर भी समझौता हो गया.
न्यूनतम मजदूरी
राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी के मामले में दोनों पक्षों के बीच फासला सबसे ज्यादा था. आखिरकार एसपीडी की मांग के मुताबिक इसे प्रति घंटे 8.50 यूरो रखने पर सहमति बन गई लेकिन सभी उद्योगों और मजदूर गुटों के लिए 2017 से पहले यह लागू नहीं होगा. सीडीयू मानती है कि इसे तुरंत लागू करने से नौकरियां कम होंगी. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जर्मनी पिछड़ जाएगा.
ऑटोबान के लिए शुल्क
एसपीडी और सीडीयू दोनों में कोई भी जर्मन हाइवे पर शुल्क नहीं चाहता लेकिन सीडीयू की बवेरियाई सहयोगी पार्टी के प्रमुख होर्स्ट सीहोफर इसके पक्ष में हैं. समझौते में इस पर विदेशी गाड़ियों पर शुल्क लगाना शामिल है. हालांकि यूरोपीय संघ के कानूनों को तोड़े बगैर इसे लागू कर पाना एक मुश्किल काम है.
मोटी पेंशन किसे
एसपीडी चाहती है कि 45 साल काम करने वालों को पूरी पेंशन मिले भले ही उनकी उम्र 63 साल ही क्यों न हो जबकि सीडीयू का लक्ष्य है कि पेंशन की बोनस उन मांओं को मिले, जिन्होंने 1992 से पहले बच्चे पैदा किए. अंतिम समझौते में दोनों मांगें पूरी करने की बात है जिसकी वजह से जर्मनी पर अरबों यूरों का बोझ बढ़ेगा.
शीर्ष पदों पर महिलाएं
बीएमडब्ल्यू के बोर्ड में केवल 12.5 फीसदी महिलाएं हैं. दोनों पार्टियां इस हिस्सेदारी को कम मानती हैं. सार्वजनिक कंपनियों को यह बताना होगा कि बोर्ड और शीर्ष प्रबंधन में वो महिलाओं की तादाद कैसे बढ़ाने जा रहे हैं. सुपरवाइजरी बोर्ड में कानूनी तौर पर महिलाओं के लिए 30 फीसदी कोटा होगा. वर्तमान से यह तीन गुना ज्यादा है.
सेहत का ध्यान
सेहत के मामलों में आश्चर्यजनक रूप से आसानी से समझौता हो गया. बीमा की दर बढ़ेगी और सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर लागू सीमा खत्म होगी. एसपीडी कथित हेड टैक्स को हटवाने में सफल रही है. एसपीडी अमीर और गरीबों के लिए बीमा की दर एक बनाने से पहले कुछ समय के लिए इसे लागू करना चाहती थी.
भरोसेमंद विदेश नीति
वैसे अभी यह तय तो नहीं लेकिन उम्मीद की जा रही है कि सोशल डेमोक्रैट फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर विदेश मंत्री बनाए जाएंगे और उन्हें जर्मन विदेश नीति को थोड़ा और आकार देने की जिम्मेदारी दी जाएगी. विदेश मंत्रालय बड़ा विभाग माना जाता है लेकिन इस बार नहीं. सीडीयू वित्त मंत्रालय को ज्यादा अहम मान रही है.
ऊर्जा नीति पर समझौता
दोनों पार्टियां 2030 तक अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल को जर्मनी की कुल ऊर्जा जरूरत के 55 फीसदी से 60 फीसदी तक ले जाने पर रजामंद हुई हैं. एसपीडी इस हिस्सेदारी को 75 फीसदी तक बढ़ाना चाहती थी जबकि सीडीयू के हिसाब से 50-55 फीसदी पर्याप्त है.
हां या ना
नेताओं के बीच तो सहमति हो गई है लेकिन इसके साथ ही एक नया इंतजार शुरू हो गया है. जर्मन इतिहास में पहली बार गठबंधन को स्वीकार करने का अधिकार पार्टी के सदस्यों के पास है. एसपीडी अपने कार्यकर्ताओं से पूछेगी कि क्या वो रजामंद हैं. हां या ना पोस्टल बैलेट से होगी और नतीजे दिसंबर के मध्य तक पता चलेंगे.