हॉकी इंडिया की मान्यता सरकार ने रद्द की
६ अगस्त २०१०दिल्ली हाई कोर्ट में हॉकी इंडिया ने घोषणा की है कि वह एक निजी संस्था है. इसके चलते सरकार ने उससे पूछा था कि उसकी मान्यता रद्द क्यों नहीं की जानी चाहिए. हॉकी इंडिया ने अपने जवाब में बताया कि वह एक निजी संस्था इसलिए है क्योंकि वह स्वायत्त है और सरकारी हस्तक्षेप से स्वतंत्र है और यह मान्यता रद्द किए जाने का कारण नहीं होना चाहिए.
लेकिन हॉकी इंडिया की सभी दलीलों को दरकिनार कर खेल मंत्रालय ने हॉकी इंडिया के अध्यक्ष और महासचिव को एक खत में मान्यता रद्द किए जाने की जानकारी दी.
सरकार की ओर से जारी खत में कहा गया, "हॉकी इंडिया के पास अधिकार ही तब आए जब सरकार ने उसे हॉकी इंडिया का नाम इस्तेमाल करने और खुद को रजिस्टर कराने की अनुमति दी. हॉकी इंडिया को भारत में हॉकी को दिशा देने, नियंत्रण रखने और नियम बनाने की इजाजत दी गई.
हॉकी इंडिया ने मान्यता के साथ जुड़ी सभी शर्तों को स्वीकार कर लिया और चुनाव कराने के लिए सरकार की इजाजत मांगी. लेकिन इसके बाद सरकारी दिशानिर्देशों को उसने नहीं माना और यह मान्यता रद्द करने का आधार बनता है."
सरकारी दिशानिर्देशों के मुताबिक कोई भी खेल संस्था सरकारी मान्यता के बगैर देश का अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती. चाहे उसे सरकारी अनुदान मिल रहा हो या न मिल रहा हो.
हॉकी इंडिया का तर्क था कि उसे इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन और इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन की मान्यता मिली हुई है और इसलिए अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हॉकी इंडिया अपने दम पर देश का प्रतिनिधित्व कर सकती है. हॉकी इंडिया ने मान्यता को सिर्फ एक औपचारिकता बताते हुए सरकारी मदद लेने से भी इनकार किया.
इस जवाब पर सरकार ने रुख कड़ा करते हुए कहा कि आम तौर पर खेल संस्थाएं इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन (आईओए) से स्वतंत्र होती हैं लेकिन हॉकी इंडिया को आईओए ने ही रजिस्टर किया है.
हॉकी इंडिया को मान्यता सरकार ने मुश्किल परिस्थितियों और जल्दबाजी में दी क्योंकि संस्था ने हॉकी के प्रचार प्रसार में, विकास में और नियमों को बनाने में खास योगदान नहीं दिया है. हॉकी इंडिया को आगे आईओए ने ही बढ़ाया है और इस वजह से निजी संस्था होने का उसका दावा विरोधाभासी है.
हॉकी इंडिया की मान्यता गुरुवार को रद्द की गई और उसे रद्द किए जाने से पहले चुनाव में उठापठक देखी गई. 83 साल की विद्या स्टोक्स ने पूर्व हॉकी खिलाड़ी परगट सिंह को हरा कर हॉकी इंडिया के अध्यक्ष चुनाव में जीत हासिल की. नरेंद्र बत्रा ने महासचिव पद बरकरार रखा है. लेकिन चुनाव नतीजों के कुछ ही देर बाद मान्यता वापस ले ली गई.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: आभा एम