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आखिरकार लेबनान के प्रधानमंत्री ने दिया इस्तीफा

२९ अक्टूबर २०१९

दो हफ्ते से लगातार चले रहे विरोध प्रदर्शनों और देश में कामकाज लगभग रुक जाने के बाद लेबनान के प्रधानमंत्री ने आखिरकार इस्तीफा देने का एलान कर दिया है.

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Saad Hariri
तस्वीर: Reuters/M. Azakir

सु्न्नी राजनेता साद अल हरीरी ने टेलीविजन पर राष्ट्र को संबोधित किया. उन्होंने कहा, "लेबनान के लोगों ने (अर्थव्यवस्था में) गिरावट को रोकने के लिए राजनीतिक समाधान के इस फैसले का पिछले 13 दिन से इंतजार किया है. मैंने इस दौरान लोगों की आवाज सुन कर यह कोशिश की है ताकि कोई रास्ता निकले." उन्होंने यह भी कहा, "हमारे लिए अब समय आ गया है कि हमें एक झटका लगे, हम संकट का सामना करें. मैं बादबा (प्रेसिडेंशियल) पैलेस जा रहा हूं, सरकार का इस्तीफा देने. राजनीतिक जीवन में हमारे सभी सहयोगियों की और हमारी जिम्मेदारी है कि हम लेबनान की रक्षा करें और अर्थव्यवस्था को खड़ा करें."

Libanon Anti-Regierungsproteste in Beirut
तस्वीर: Reuters/A. Taher

इससे पहले शिया मुसलमानों के गुट हिज्बुल्ला की वफादार माने जाने वाली एक भीड़ ने बेरुत में प्रदर्शनकारियों के एक शिविर पर हमला कर उसे तहस नहस कर दिया. सेंट्रल बेरूत में काले कपड़े पहने कुछ लोगों की भीड़ ने हाथों में डंडे और पाइप ले रखे थे और उन्होंने विरोध करने जमा हुए कार्यकर्ताओं के शिविर पर हमला कर दिया. यह शिविर पिछले कुछ दिनों से चल रहे प्रदर्शनों के केंद्र में है. पिछले हफ्ते हिज्बुल्ला के नेता सैयद हसन नसरल्ला ने कहा था कि प्रदर्शनकारियों ने जिन सड़कों को बंद किया था, उन्हें खोला जाना चाहिए. नसरल्लाह का यह भी कहना है कि प्रदर्शनकारियों को विदेशी दुश्मनों से पैसा मिल रहा है और वो उनका एजेंडा चला रहे हैं. 2008 में हिज्बुल्ला ने राजधानी बेरुत का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था, उसके बाद से यह बेरुत की सड़कों पर अब तक का सबसे बड़ा संघर्ष कहा जा रहा है.

देश की राजनीति में व्यापक भ्रष्टाचार को लेकर लेबनान में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला इसी महीने 17 अक्टूबर को शुरू हुआ. बीते 10 दिनों से सरकार का पूरा काम काज ठप्प हो गया है, यहां तक कि बैंक और स्कूल कॉलेज के साथ कारोबार भी बंद पड़े हैं.

Libanon Menschenkette in Beirut
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Hussein

देश 1975-90 में हुए गृहयुद्ध के बाद पहली बार इतनी खराब आर्थिक स्थिति का सामना कर रहा है. लेबनानी मुद्रा पाउंड की हालत बेहद खराब है. बीते महीनों में डॉलर का एक काला बाजार भी उभर आया है. विदेशी मुद्रा का कारोबार करने वाले तीन डीलरों ने बताया कि सोमवार को एक डॉलर 1700 लेबनानी पाउंड में मिल रहा था जो मंगलवार को 1800 तक चला गया जबकि डॉलर की आधिकारिक कीमत 1507.5 पाउंड ही है.

हरीरी का इस्तीफा एक तरह से ताकतवर हिज्बुल्ला की नाफरमानी है क्योंकि नसरल्लाह ने चेतावनी दी थी कि इस तरह के कदम से सत्ता के गलियारे में एक खतरनाक खालीपन आएगा. संविधान के मुताबिक हरीरी की कैबिनेट अगली सरकार का गठन होने तक कार्यवाहक सरकार के रूप में काम करती रहेगी. हरीरी ने पिछले हफ्ते कुछ सुधारों का एलान कर लोगों की नाराजगी दूर करने की कोशिश की थी. इसमें गठबंधन सरकार के सहयोगी दलों को भी भरोसे में लिया गया था. इन कदमों में भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाने और आर्थिक सुधारों की बात थी. हालांकि इन पर तुरंत कदम ना उठाए जाने की वजह से प्रदर्शनों को शांत नहीं किया जा सका और विरोध करने वाले सरकार के इस्तीफे पर अड़ गए. 

एनआर/एके(रॉयटर्स)

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