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हथियार कम करेंगे अमेरिका और रूस

८ मार्च २००९

अमेरिका और रूस ने अपने रिश्ते बेहतर करने की कोशिश शुरू कर दी है. दोनों देश परमाणु हथियारों की संख्या में और कटौती करेंगे और इसके लिए समझौते पर सहमति बन गई है. हिलेरी क्लिंटन की रूसी मंत्री सर्गेई लावारोव से मुलाक़ात.

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रिश्तों को करो री-सेटतस्वीर: AP

अमेरिकी उप राष्ट्रपति जो बाइडन जब पिछले दिनों म्यूनिख आए थे, तो उन्होंने कहा था कि अमेरिका और रूस के रिश्तों को री-सेट करने की ज़रूरत है. अब जब अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन जीनिवा में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावारोव से मिलीं, तो अपने साथ बाक़ायदा एक सांकेतिक री-सेट बटन लेकर आईं और दोनों मंत्रियों ने मिल कर इस बटन को दबा कर री-सेट किया. क्लिंटन ने कहा कि वह इस मौक़े से बहुत ख़ुश हैं कि दोनों देशों के रिश्ते को फिर से सेट करने पर बात हो रही है. हमें पता है कि इसमें वक्त लगेगा लेकिन शुरुआत तो हुई

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कामयाब यूरोप दौरातस्वीर: AP

क्लिंटन और लावारोव ने अपने परमाणु हथियारों की संख्या और कम करने पर बात आगे बढ़ाई. इस साल के आख़िर में इस सिलसिले का उनका समझौता स्टार्ट-1 ख़त्म हो रहा है. अब स्ट्रैटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी यानी स्टार्ट-2 समझौते की तैयारी चल रही है. अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि इस समझौते पर बात की गई है. परमाणु हथियारों को कम करने और हथियारों के प्रसार को रोकने पर भी चर्चा की गई.

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावारोव का कहना है कि रूस और अमेरिका के सामने एक तरह की प्राथमिकताएं हैं और कुछ मुद्दों पर मतभेद के बावजूद उन्हें मिल कर काम करना होगा. उन्होंने कहा इस मौक़े को छोड़ा नहीं जा सकता, जबकि क्लिंटन ने कहा, वक्त बहुत कम है.

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यूरोप में हिलेरीतस्वीर: AP

पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के वक्त रूस और अमेरिका के रिश्ते बेहद ख़राब हुए थे और यूरोप में अमेरिकी मिसाइल सुरक्षा कवच के प्रस्ताव को लेकर संबंध बेहद खिंच गए थे. बाद में कोसोवो और जॉर्जिया ने भी दोनों देशों को दूर किया. पर अमेरिका की कमान बराक ओबाम और रूस की दिमित्री मेदवेदेव के हाथों में जाने के बाद नए दरवाज़े खुलते दिख रहे हैं. क्लिंटन ने बताया कि दोनों नेता अगले महीने लंदन में जी-20 बैठक में मिलेंगे.

हिलेरी क्लिंटन की पहली यूरोप यात्रा काफ़ी हद तक सफल रही है. नाटो से अलग थलग पड़े रूस को साथ मिलाने की उनकी रणनीति कामयाब रही और अब अमेरिकी रूस रिश्ते भी बेहतर होते दिख रहे हैं. क्लिंटन अब तुर्की जा रही हैं, जो नाटो का एकमात्र मुस्लिम सदस्य देश है.