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स्वर्ग सिर्फ स्वप्निल कहानी है: हॉकिंग

१७ मई २०११

मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने स्वर्ग की अवधारणा को खारिज किया है. उन्होंने स्वर्ग को अंधेरे से डरने वाले लोगों की एक स्वप्निल कहानी करार दिया है. मौत के बाद इंसान का क्या होता है, इसका हॉकिंग ने निराला जवाब दिया है.

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तस्वीर: AP

एक इंटरव्यू में 69 साल के ब्रिटिश वैज्ञानिक हॉकिंग ने कहा, ''हमारा दिमाग कंप्यूटर की तरह है. जब इसके पार्ट खराब हो जाएंगे तो यह काम करना बंद कर देगा. खराब हो चुके कंप्यूटरों के लिए कोई स्वर्ग और बाद का जीवन नहीं है. यह अंधेरे से डरने वाले लोगों के लिए एक चमकीली कहानी की तरह है.''

21 साल की उम्र में पता चला कि हॉकिंग को डिजेनेरेटिव मोटर न्यूरॉन बीमारी है. डॉक्टर कह चुके थे कि हॉकिंग कुछ ही दिनों के मेहमान हैं. लेकिन हॉकिंग ने हार नहीं मानी. 1988 में ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम नाम की किताब से स्टीफन हॉकिंग रातों रात दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिकों में शुमार हो गए.

पुराने दिनों के याद करते हुए वे कहते हैं, ''मैं बीते 49 साल से जल्दी मरने की आशंकाओं के साथ जी रहा हूं. मुझे मौत से डर नहीं लगता है लेकिन मुझे मरने की जल्दी भी नहीं है. अभी ऐसे कई काम है जो मैं करना चाहता हूं.''

इंसान धरती पर क्यों हैं, इस सवाल के जवाब में हॉकिंग कहते हैं कि यह क्वाटंम परिवर्तनों का असर है. ब्रह्मांड को वह भौतिकी विज्ञान के अनवरत प्रयोगों का नतीजा मानते हैं. उनके इन विचारों से कई धर्मों के नेता नाराज होते रहे हैं. 2010 में प्रकाशित उनकी किताब द ग्रैंड डिजायन पर भी काफी विवाद हुआ. व्हीलचेयर पर बैठकर वाइस सिंक्रॉनाइजर के जरिए संवाद करने वाले हॉकिंग इंसानियत को धार्मिक कहानियों से दूर रखते हैं. वह कहते हैं, ''हमें अपने काम में बड़ी उपयोगिताओं को लाना होगा.''

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: एन रंजन

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