स्पेन: चर्च में आए ये खास मेहमान कौन हैं
स्पेन में एक नए कानून के तहत पालतू पशु-पक्षियों को "चेतना वाले जीव जंतुओं" की संज्ञा दे दी गई है. लेकिन इस कानून के पहले से ही सेंट एंथनी दिवस पर लोग अपने पालतू पशु-पक्षियों को आशीर्वाद दिलाने चर्च ले कर जाते रहे हैं.
विशेष आशीर्वाद
हर साल सेंट एंथनी दिवस पर लोग अपने पालतू पशु-पक्षियों को आशीर्वाद दिलाने चर्च ले जाते हैं. सड़कों पर हर जगह भौंकते हुए कुत्ते, खिसियाती हुई बिल्लियां और हर तरह के पंछी और सरिसर्प नजर आते हैं. मान्यता है कि सेंट एंथनी एक पशु प्रेमी थे. उन्हें सभी पशुओं का 'पेट्रन सेंट' भी माना जाता है.
बन ठन के चल दिए
सजे संवरे इन कुत्तों के पास जश्न मनाने का कारण भी है. स्पेन के एक नए कानून के तहत पशु-पक्षी भी अब परिवार का हिस्सा हैं और उन्हें "जिंदा, सचेतन जंतु" माना जाए. यहां तक कि तलाक आदि जैसे मामलों में यह भी फैसला लेना होगा कि परिवार के पालतू पशु या पक्षी को कौन रखेगा.
क्या आशीर्वाद लेने की लाइन यही है?
स्पेन के पैम्प्लोना में ये लोग अपने पालतू पशु-पक्षियों को चर्च में आशीर्वाद दिलवाने के लिए लाइन में लगे हुए हैं. देश में कई लोग पहले से ही अपने पालतू पशु-पक्षियों को परिवार का हिस्सा ही समझते हैं.
चर्च में खास मेहमान
सेंट एंथनी दिवस पूरे देश में मनाया जाता है. पारंपरिक आशीर्वाद के बाद चर्च में सर्विस होती है. यह मैड्रिड का सेंट एंथनी का चर्च है और यहां सैकड़ों लोग अपने पालतू पशु-पक्षियों के साथ आए हैं. इस विशेष दिवस पर पशु-पक्षी मास में भी हिस्सा ले सकते हैं.
कुत्ते हों या मछलियां, सबकी बारी आएगी
पैम्प्लोना की इस छोटी सी दुकान में फादर सीजर मगाना एक मछलीघर में मछलियों को आशीर्वाद दे रहे हैं. जी हां, सेंट एंथनी दिवस पर आशीर्वाद देने के लिए पालतू पशु-पक्षियों में भेदभाव नहीं किया जाता, चाहे वो कुत्ते हों या मछलियां.
चर्च की अहमियत
स्पेन में, विशेष रुप से देश के ग्रामीण इलाकों में, रोमन कैथोलिक चर्च की लोगों के रोजमर्रा के जीवन में आज भी महत्वपूर्ण भूमिका है. कई बुजुर्गों के लिए सेंट एंथनी दिवस एक अहम दिन होता है.
मेक्सिको में भी यही परंपरा
सेंट एंथनी दिवस स्पेन से मीलों दूर मेक्सिको में भी मनाया जाता है. हालांकि, मेक्सिको अभी स्पेन के कानून से बहुत कुछ सीख सकता है. पशु अधिकार ऐक्टिविस्ट इस समय पशुओं पर टैटू बनवाने और अंग छिदवाने पर रोक लगवाने के लिए अभियान चला रहे हैं. (यूली हुएनकेन)