सौदा सॉफ्टवेयरों का
व्हाट्सऐप का सौदा करने के बाद फेसबुक उन बड़ी कंपनियों में शामिल हो गई है, जिन्होंने हाल के बरसों में उभरती हुई इंटरनेट और कंप्यूटर कंपनियों का सौदा किया है. देखते हुए दुनिया की कुछ बड़ी डील.
इंस्टाग्राम की खरीद
फोटो शेयरिंग सॉफ्टवेयर इंस्टाग्राम कभी सुर्खियां बटोर रहा था. 2012 में फेसबुक ने इसे अपनी झोली में डाल लिया. 1.1 अरब डॉलर के सौदे के बाद इंस्टाग्राम पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया.
याहू का टंबलर
माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट टंबलर की शुरुआत 2007 में हुई. छह साल बाद 2013 में याहू ने 1.1 अरब डॉलर में इस कंपनी को खरीद लिया. टंबलर पर 17 करोड़ से ज्यादा ब्लॉग हैं.
स्काइप की बिक्री
बिल गेट्स की माइक्रोसॉफ्ट ने तेजी से उभर रही इंटरनेट टेलीफोनी स्काइप को 2011 में जब 8.5 अरब डॉलर में खरीदा, तो कंप्यूटर जगत में तहलका मच गया. स्काइप इसके बाद भी खासा पॉपुलर है.
सबसे बड़ा सौदा
कंप्यूटर बनाने वाली कंपनी कॉमपैक को 2001 में अमेरिका की दिग्गज कंप्यूटर कंपनी ह्यूलेट पैकर्ड यानि एचपी ने 25 अरब डॉलर में खरीदा. इसके बाद से कॉमपैक के ज्यादातर प्रोडक्ट एचपी के नाम से आने लगे.
नोकिया में विंडो
एप्पल और सैमसंग को चुनौती देने के इरादे से माइक्रोसॉफ्ट ने नोकिया को 7.2 अरब डॉलर में खरीद लिया. 2013 में हुए इस सौदे के बाद विंडो फोन से दूसरे स्मार्टफोनों को टक्कर देने की कोशिश हो रही है.
दोबारा बिका मोटोरोला
2011 में गूगल ने मोटोरोला को 12.5 अरब डॉलर में खरीदा था लेकिन तीन साल बाद इसे सिर्फ 2.9 अरब डॉलर में लेनेवो के हवाले कर दिया. हालांकि सौदे में कई लाइसेंस गूगल ने अपने पास रखे हैं.
सबसे फायदेमंद सौदा
दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वेबसाइट यूट्यूब 2006 में सिर्फ 1.65 अरब डॉलर में बिकी. अगर यह सौदा अब होता तो गूगल को शायद सबसे ज्यादा रकम का सौदा करना पड़ता.
जावा का संघर्ष
सन का जावा सॉफ्टवेयर बेहद मशहूर है. लेकिन कंपनी संघर्ष कर रही थी और 2009 में अमेरिका की विशाल ओरैकल ने सन माइक्रोसिस्टम और इसके जावा प्रोग्रामिंग को 7.4 अरब डॉलर में खरीद लिया.
व्हाट्सऐप
जब इस सॉफ्टवेयर का कोड भी नहीं लिखा गया था, तभी नाम तय हो गया था. व्हाट्सऐप की तर्ज पर. चार साल में हरे रंग का चौकोर निशान 19 अरब डॉलर का हो गया.