माली पहुंचे ओलांद
२ फ़रवरी २०१३माली में फ्रांसीसी सेनाओं की कार्रवाई शुरू होने के तीन हफ्ते बाद राष्ट्रपति ओलांद मामले का ब्योरा लेने खुद माली पहुंचे हैं. राजधानी बामाको से 620 किलोमीटर दूर सैन्य शहर सवारे में कड़ी सुरक्षा के बीच राष्ट्रपति का प्लेन उतरा. यहां से उन्हें टिम्बकटू ले जाया गया. यात्रा शुरू करने से पहले ओलांद ने रेडियो फ्रांस इंटरनेशनल से बात करते हुए कहा, "मैं माली जा रहा हूं ताकि अपने सैनिकों का समर्थन कर सकूं, उनका हौसला बढ़ा सकूं, उन्हें बता सकूं कि हमें उन पर गर्व है." साथ ही ओलांद ने यह भी साफ किया कि वह अफ्रीकी सेनाओं की मदद चाहते हैं, "मैं इसलिए भी जा रहा हूं कि यह बात सुनिश्चित कर सकूं कि अफ्रीकी सेनाएं जल्द से जल्द हमारा साथ देने आ सकें, मैं उन्हें समझाना चाहता हूं कि इस अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई के लिए हमें उनकी जरूरत है."
फ्रांस ने 11 जनवरी को माली में इस्लामी संगठनों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई शुरू की. माली फ्रांस का उपनिवेश रहा है. आज भी वह फ्रांस के लोगों की पसंद की जगह है. लम्बे समय से ओलांद इस समस्या से जूझ रहे थे कि माली में फैले अल कायदा के समर्थकों के साथ किस तरह से निपटा जाए. अपने राष्ट्रपति काल में पहली बार उन्होंने हमले के आदेश देते हुए सेनाओं को माली भेजा है. हस्तक्षेप का मुख्य कारण था अल कायदा से जुड़े इस्लामी कट्टरपंथियों को राजधानी बामाको पर कब्जा करने से रोकना. आतंकवादियों ने कोना शहर पर कब्जा कर लिया था जो कि राजधानी के रास्ते में आता है. इसके बाद ही ओलांद ने हमले के आदेश दिए.
फिलहाल माली में फ्रांस के 3,500 सैनिक तैनात हैं. इनमें से कई के पास अफगानिस्तान में युद्ध लड़ने का अनुभव भी है. सेनाएं युद्धक विमानों, हेलीकॉप्टरों और हथियारबद्ध गाड़ियों से लैस हैं. ओलांद का कहना है कि वह हस्तक्षेप के अगले चरण में संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित 8,000 अफ्रीकी सेनाओं को कार्रवाई का एक बड़ा हिस्सा सौंप देना चाहते हैं.
अफ्रीकी सैना जरूरी
माली में फ्रांस की सेनाओं पर दुनिया भर की नजरे लगी हुई है. अमेरिका के रक्षा मंत्री लियोन पेनेटा ने हाल ही में कहा कि फ्रांस ने अमेरिका की उम्मीदों से बहुत जल्द ही माली में असर दिखाना शुरू कर दिया है. पर साथ ही उन्होंने चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि असली काम अब शुरू होगा जब फ्रांस को अफ्रीकी सेनाओं को तैयार करना होगा. इसी को देखते हुए यह भी माना जा रहा है कि माली से फ्रांस की सेनाओं का लौटना इतना आसान नहीं होगा. अफ्रीकी सेनाओं को पूरा प्रशिक्षण देने में अभी काफी समय लग सकता है.
ओलांद अपनी इस यात्रा में टिम्बकटू कि 700 साल पुरानी जिनगरेबार मस्जिद में जाएंगे और अहमद बाबा इंस्टीट्यूट का भी ब्योरा लेंगे जहां टिम्बकटू की तीन लाख से ज्यादा पुरानी हस्तलिपियों का संग्रह है. आतंकवादियों के हमले के दौरान इसे बड़ा नुकसान पहुंचने की खबर थी. हालांकि यूनेस्को ने इस बात की पुष्टि की है कि 15वीं और 16वीं शताब्दी के इस अहम संग्रह को बचा लिया गया है. विदेश मंत्री लौरों फाबिउस और रक्षा मंत्री यों ईव्स ले द्रियां के साथ ओलांद माली के इंतरिम राष्ट्रपति दिओनकोंडा त्राओरे से मुलाकात भी करेंगे.
पिछले तीन हफ्तों में फ्रांस की सेनाएं आतंकवादियों से गाओ और टिम्बकटू शहर छुड़वाने में कामयाब रही हैं. लेकिन अब भी सात फ्रांसीसी नागरिक आतंकवादियों के कब्जे में हैं.
आईबी/एएम (एएफपी,डीपीए,रॉयटर्स)