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सूर्य के सबसे नजदीकी ग्रह तक पहुंचा अंतरिक्ष यान

१९ मार्च २०११

वैज्ञानिकों ने सूर्य के सबसे नजदीकी ग्रह बुध की कक्षा में पृथ्वी से भेजे एक अंतरिक्ष यान को स्थापित करने में कामयाबी हासिल कर ली है. नासा का खोजी यान बुध के दीर्घवृत्ताकार कक्षा में गुरुवार को पहुंच गया है.

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तस्वीर: Picture-Alliance /dpa

अगले 12 महीने तक मैसेंजर नाम का ये यान बुध ग्रह की परिक्रमा करते हुए उसके बारे में जानकारी जुटाएगा. 44.6 करोड़ डॉलर के खर्च वाली इस परियोजना में लक्ष्य तक पहुंचने के लिए मैसेंजर ने 7.9 अरब किलोमीटर का सफर तय किया. मैरीलैंड में जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में यान के लक्ष्य तक पहुंचने की खबर सुनते ही खुशी की लहर दौड़ गई. इस परियोजना का काम इसी यूनिवर्सिटी के भौतिकी विभाग के जिम्मे है.

Bilder der Messenger vom Merkur
बुध के सतह की तस्वीरतस्वीर: NASA

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा में विज्ञान के सहायक प्रशासनिक अधिकारी एडवर्ड वाइलर ने इस मौके पर कहा, "मानव इतिहास में पहली बार कोई बुध की कक्षा तक पहुंचा है. हम लोगों ने जिसका ख्वाब भी कभी नहीं देखा था बुध के बारे में वो जानकारी भी अब हम तक पहुंचेगी. सबसे दिलचस्प बात ये है कि ऐसा बहुत कुछ होने वाला है जिसके बारे में हम कुछ नहीं जानते." इस सफलता के साथ ही नासा के खाते में सौरमंडल के पांच ऐसे ग्रह आ गए हैं जिनकी कक्षा में वह अपने यान स्थापित कर चुका है.

बुध की कक्षा में घूम रहा मैसेंजर ग्रह की सतह से 200 किलोमीटर करीब तक जाने में कामयाब होगा. वैसे ज्यादातर वक्त ये उससे करीब 15,000 किलोमीटर की दूरी पर रहेगा. सात अलग अलग उपकरणों की मदद से ये यान बुध के वातावरण और सतह के बारे में जानकारी जुटाएगा साथ ही नक्शा भी बनाएगा. वैज्ञानिक बुध के वातावरण और सतह में मौजूद तत्वों के बारे में जानकारी हासिल करना चाहते हैं. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वो बुध के क्रोड में मौजूद चुंबकीय क्षेत्र के बारे में ज्यादा जानकारी जुटा पाएंगे. इसके साथ ही उन्हें इस बारे में भी जानकारी मिलने की उम्मीद है कि ग्रह के ध्रुवीय क्षेत्रों पर बर्फ है या नहीं.

Bilder der Messenger vom Merkur
बुध का वायुमंडलतस्वीर: NASA

यहां तक पहुंचने के लिए मैसेंजर को साढ़े छह साल का वक्त लगा. रास्ते में इसने सूर्य के 15 बार चक्कर लगाए इसके साथ ही एक बार पृथ्वी, दो बार शुक्र और तीन बार बुध के चक्कर काटने के बाद मैसेंजर अपने लक्ष्य पर पहुंचा. मैसेंजर को इतने चक्कर इसलिए लगवाए गए जिससे कि इसकी गति को नियंत्रित कर बुध की कक्षा में स्थापित किया जा सके. पहली बार जब इसने बुध का चक्कर लगाया तो इसने ग्रह की सतह के एक बड़े हिस्से की कई शानदार तस्वीरें ली और उसे पृथ्वी पर भेजा.

इससे पहले 1974-75 में नासा का खोजी यान मैरीनर 10 बुध के पास से गुजरा था. मैसेंजर अभियान की तुलना में वो अभियान तो बस एक अभ्यास जैसा ही था.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह