सूख रही हैं जर्मनी में नदियां और झीलें
इस साल लंबे समय तक चली गर्मी के कारण पूरे जर्मनी में नदियों का जलस्तर बहुत ज्यादा नीच चला गया है. मौसमविज्ञानियों का कहना है कि ये साल जर्मनी हाल के इतिहास का सबसे सूखा साल साबित हो सकता है.
राइन नदी
जर्मनी की सबसे बड़ी नदी राइन का जलस्तर महीनों की गर्मी के बाद रिकॉर्ड निचले स्तर पर है. ऐतिहासिक जगहों के लिए विख्यात राइन नदी का बीच का हिस्सा यानी राइनलैंड पलैटिनेट प्रांत का इलाका खास तौर पर प्रभावित हुआ है. मौसम कार्यालय के अनुसार देश का 70 प्रतिशत इलाका सूखे से प्रभावित है.
डैन्यूब नदी
जर्मनी में सूखे मौसम का असर डैन्यूब नदी के कुछ हिस्सों पर भी पड़ा है जहां पानी कम होने के कारण जहाजों की आवाजाही प्रभावित हुई है. नौवहन वाले जहाजों को या तो वजन कम करना पड़ा है या ट्रांसपोर्ट को रोक देना पड़ा है. डैन्यूब नदी जर्मनी से शुरू होकर काला सागर तक जाती है.
एल्बे नदी
पूर्वी और उत्तरी जर्मनी से होकर गुजरने वाली एल्बे नदी में पानी कम होने की वजह से तटीय इलाके सूखे पड़े हैं. पूर्वी चेक गणतंत्र की क्रोकोनोस पहाड़ियों से निकलने वाली नदी जर्मनी के सेक्सनी, सेक्सनी अनहाल्ट, लोवर सेक्सनी, ब्रांडेनबुर्ग, मैक्लेनबुर्ग, हैम्बर्ग और श्लेसविष होल्श्टाइन प्रांतों से गुजरती है.
लेक कोंसटांस
जर्मनी, ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड की सीमा पर स्थित 63 किलोमीटर बड़ी कोंसटांस लेक में पानी इतना नीचे चला गया है कि वहां एक नया द्वीप पैदा हो गया है. सैलानियों के लिए मशहूर इस जगह पर जाने वाले पर्यटक कई महीनों से 200 मीटर लंबा और 50 मीटर चौड़ा रेतीला द्वीप देख पा रहे हैं.
बिग्गेजे लेक
जर्मनी में कई छोटी झीलें भी हैं जहां वर्षा का पानी इकट्ठा किया जाता है और ये जगहें सैलानियों को लुभाती हैं. ऐसी ही झीलों में नॉर्थराइन वेस्टफेलिया प्रांत का बिग्गेजे लेक है जहां चलने वाली पर्यटक जहाजों को पानी कम होने के कारण अपने लंगर की जगह बदलनी पड़ी है. रिपोर्ट: अलेक्जांडर पियर्सन