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सिर्फ 20 फीसदी भारतीय निकले लीबिया से

२ मार्च २०११

लगातार कोशिशों के बाद भी अब तक लीबिया में फंसे भारत के सिर्फ 20 फीसदी लोगों को ही निकाला जा सका है. भारतीय विदेश मंत्री ने लीबिया के मंत्री से बात की और मदद मांगी है. वहां करीब 18,000 भारतीय हैं.

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इंग्लैंड ने बचाए अपने लोगतस्वीर: dapd

कृष्णा ने लीबिया के विदेश मंत्री मुसा कूसा से बात की और भारतीयों को वहां से निकालने में मदद मांगी. उत्तर अफ्रीकी देश लीबिया में दसियों दिन से घमासान छिड़ा है, जहां भारत के करीब 18,000 लोग रहते हैं.

इस बीच भारत की तीन उड़ानों को लीबिया की राजधानी त्रिपोली के हवाई अड्डे पर हर रोज उतरने की इजाजत मिल गई है. पहले यह अनुमति सात मार्च तक थी, जिसे बढ़ा कर 12 मार्च तक कर दी गई है.

कृष्णा ने कहा, "अगले 10 दिनों तक लीबिया में हर रोज तीन विशेष विमान उतारने पर सहमति बन गई है. इसके अलावा हम त्रिपोली के अलावा लीबिया के दूसरे हिस्सों सिरते और सेबा में भी संभावना तलाश रहे हैं." उन्होंने बताया कि समुद्री रास्ते से भी करीब 1200 भारतीय बेनगाजी से मिस्र के शहर सिकंदरिया की ओर रवाना हो गए हैं. इसके अलावा कुछ भारतीय सड़क के रास्ते मिस्र की राजधानी काहिरा पहुंच गए हैं, जो विशेष विमानों से मुंबई के लिए रवाना होंगे.

भारतीय विदेश सचिव निरुपमा राव ने ट्वीट किया है, "करीब 20 प्रतिशत भारतीय लीबिया से निकल चुके हैं. 12 मार्च तक हर रोज तीन फ्लाइट्स को त्रिपोली में उतरने की इजाजत मिल गई है."

अब तक सिर्फ एक हजार भारतीय ही लीबिया से घर लौट पाए हैं. भारत पर आरोप लग रहा है कि वह चीन जितनी तेजी से अपने नागरिकों को लीबिया से नहीं निकाल रहा है. इस पर निरुपमा राव का कहना है कि वह इस मामले में चीन से प्रतियोगिता नहीं कर रही हैं, बल्कि अपने नागरिकों को सुरक्षित घर लाना चाहती हैं.

भारत सरकार ने निजी विमान सेवाओं से कहा है कि वे हर रोज कम से कम एक उड़ान लीबिया भेजें. इसके बाद जेट एयरवेज और किंगफिशर बुधवार से यह सेवा शुरू कर देंगे. भारत की कोशिश है कि हर रोज 2000 नागरिकों को वापस लाया जाए.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः वी कुमार

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