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सिडनी में भी हार का सिलसिला

६ जनवरी २०१२

साल का पहला टेस्ट भारत पहले दिन के पहले सत्र में ही हार चुका था. लेकिन रस्म अदायगी में तीन दिन और लगे. बड़े बल्लेबाजों ने हमेशा की तरह विदेशी ग्राउंड पर पिद्दी खेल दिखाया और ग्राउंड्समैन को पांचवें दिन की छुट्टी दे दी.

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गॉटी के 83 रनतस्वीर: AP

सिडनी टेस्ट के चौथे दिन मेजबान ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए सिर्फ आठ विकेट की जरूरत थी, जबकि भारत के पास करीब 350 रन का कर्जा चुकाने के बाद इतने और रन जमा करने की चुनौती थी कि ऑस्ट्रेलिया को दूसरी पारी में कुछ परेशान किया जा सके. क्रिकेट को अद्भुत अनिश्चितताओं का खेल जरूर कहा जाता है लेकिन इस तरह के चमत्कार हर रोज नहीं होते. सिडनी में भी नहीं हुआ. हुआ सिर्फ इतना की भारत लंबे वक्त बाद विदेशी धरती पर 400 रन का आंकड़ा छू पाया. लेकिन फिर भी दोनों पारियों को मिला कर भी वह ऑस्ट्रेलिया की एक पारी की बराबरी नहीं कर पाया. यानी पारी और 68 रन की हार.

सीरीज में यह लगातार दूसरा मौका है, जब खेल सिर्फ चार दिन में खत्म हो गया. भले ही भारतीय बैटिंग लाइनअप को दुनिया की बेहतरीन बल्लेबाजी कहते हैं लेकिन इस सीरीज में अब तक भारत के 40 विकेट गिर चुके हैं, जबकि मेजबान टीम के सिर्फ 24.

Sachin Tendulkar
नहीं बना सचिन का सैकड़ातस्वीर: AP

सचिन तेंदुलकर और गौतम गंभीर ने भारत की दूसरी पारी को चौथे दिन कुछ इस अंदाज में आगे बढ़ाया मानो कोई दबाव ही न हो. लेकिन बकरे की मां आखिर कब तक खैर मनाती. 83 रन पर गॉटी का विकेट गिरने के साथ ही किला ढहने लगा. वीवीएस लक्ष्मण ने बड़े दिनों बाद अच्छा बल्ला चलाया लेकिन पहाड़ जैसे स्कोर का दबाव उनके चेहरे, खेल और बल्ले पर दिख रहा था. दूसरी तरफ सचिन तेंदुलकर हमेशा की तरह आसानी से खेल रहे थे.

सिडनी को जब यह लगने लगा कि उसका सौवां टेस्ट सचिन का सौवां शतक ला रहा है, तभी खेल खत्म हो गया. सचिन एक बार फिर इस रिकॉर्ड की दहशत के जाल में फंस गए और 80 रन पर विकेट गंवा दिया. पिछले लगभग एक साल से यही हो रहा है. सचिन बेदाग बल्लेबाजी कर रहे हैं लेकिन शतक के पास आते ही उन्हें कुछ हो जाता है. वह भले कितना ही कहें कि सौवें शतक का दबाव उन पर नहीं है लेकिन सच तो यही है कि यह दबाव अब इतना ज्यादा बढ़ गया है कि वह खुद इसे नहीं झेल पा रहे हैं. हालांकि इस मैच में उन्हें माइकल क्लार्क से सीखना चाहिए था, जिन्होंने 329 रन पर नाबाद रहते हुए भी पारी घोषित कर दी. इस पड़ाव पर तो कोई भी बल्लेबाज 400 के आंकड़े को छूने को कोशिश करता, पर क्लार्क ने उससे ज्यादा जरूरी टीम की जीत को समझा.

इस जीत को माइकल क्लार्क के तिहरे शतक के लिए भले याद किया जाए लेकिन सिडनी टेस्ट में बेन हिलफेनहाउस ने एक बार फिर पांच विकेट चटका कर अपनी टीम का रास्ता आसान किया. हिलफेनहाउस ने इसके लिए सिर्फ 106 रन खर्च किए. बड़ी बड़ी अंगुली दिखाने वाले विराट कोहली सिर्फ नौ रन पर चलते बने, जबकि किस्मत के बल पर पहली पारी में अर्धशतक बनाने वाले कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के खाते में सिर्फ दो रन आए.

Mahendra Singh Dhoni
धोनी के हिस्से हारतस्वीर: AP

अलबत्ता निचले क्रम में आर अश्विन ने एक बार फिर बड़ी शानदार बल्लेबाजी की और 62 अहम रन बनाए. लेकिन भला कोई अश्विन की बल्लेबाजी से मैच बचाने की तो नहीं सोच सकता. 400 के कुल योग पर अश्विन आउट हुए और खेल खत्म. बड़े बड़े क्रिकेट पंडित एक दिन पहले तक सचिन के बल पर मैच बचाने की संभावनाओं पर चर्चा कर रहे थे. वे फौरन पाला बदल कर टीम इंडिया की फजीहत करने लगे और हार की वजहों पर चर्चा होने लगी. इसका फायदा सिर्फ सिडनी के ग्राउंड्समैन को हुआ. उनके पांच दिन का काम चार दिन में ही पूरा हो गया यानी एक दिन की छुट्टी.

इस हार के साथ ही भारत का सीरीज जीतने का सपना खत्म हो गया. चार टेस्ट मैचों की सीरीज में ऑस्ट्रेलिया अब 2-0 से आगे है. पूरी टीम इंडिया को ग्लेन मैकग्रा की वह शातिर भविष्यवाणी कचोट रही होगी, जिसमें उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के 4-0 से जीतने का अनुमान लगाया है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः महेश झा

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