सामाजिक कार्यकर्ता सतीश शेट्टी की हत्या
१३ जनवरी २०१०बुधवार सुबह हुए इस हमले के बाद उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. बताया जा रहा है कि सतीश शेट्टी के सिर और हाथों पर गहरे घाव थे. अभी इस हमले का कोई ग़वाह सामने नहीं आया है और पुलिस को भी हमलावरों की पहचान के बारे में कोई सुराग हाथ नहीं मिला है.
सतीश 38 साल के थे और पुणे से 40 किलोमीटर दूर तालेगांव दाभाडे में रहते थे. सूचना के अधिकार के तहत सतीश कई मामलों में मुहिम चला चुके थे और पुणे की भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति के संयोजक थे. महाराष्ट्र में कई ज़मीन घोटालों और मुंबई पुणे एक्सप्रेस वे में घोटाले को उजागर करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी.
सूचना के अधिकार क़ानून के सहारे पिछले पांच सालों में उन्होंने सरकारी ऑफ़िसों में जारी गड़बड़ियों को सामने लाने की कोशिश की थी. आरटीआई एक्ट की मदद से उन्होंने ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से बंगले के निर्माण, मिट्टी के तेल की बिक्री, राशन के वितरण और काला बाज़ारी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई.
सतीश अविवाहित थे और उनके दो भाई और दो बहनें हैं. इस हत्या के विरोध में तालेगांव में बुधवार को बंद रखा गया. इसका आह्वान कई राजनीतिक दलों ने किया था. शहर में स्कूल, कॉलेज बंद रहे.
इस हत्या की निंदा करते हुए मुंबई की सामाजिक कार्यकर्ता सुमैरा अब्दुलाली ने बताया कि हफ़्ते भर पहले ही एक और कार्यकर्ता नयना कथपालिया पर हमला हो चुका है जबकि नीरज पुंज को धमकी दी जा रही हैं. अब्दुलाली ने कहा है कि सरकार को सामाजिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए क़दम उठाने चाहिए क्योंकि वे आसान निशाना बनते जा रहे हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए कुमार