1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सांप्रदायिक दंगों के बाद मिस्र में आपात बैठक

८ मई २०११

मिस्र में ईसाइयों और मुसलमानों के बीच दंगों के बाद वहां के प्रधानमंत्री ने मंत्रिमंडल की आपातकालीन बैठक बुलाई है. शनिवार को हुए दंगों में नौ लोग मारे गए और 100 घायल हुए.

https://p.dw.com/p/11BfE
कॉप्टिक चर्च में आग के बाद कड़ी सुरक्षातस्वीर: picture-alliance/dpa

मंत्रिमंडल के प्रवक्ता अहमद अल समान ने कहा, "प्रधानमंत्री शरफ ने मंत्रिमंडल की आपात बैठक बुलाई है ताकि इंबाबा में हुई घटनाओं पर मशविरा कर सकें." सरकारी टीवी चैनल के मुताबिक शरफ बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात की अपनी यात्रा स्थगित कर रहे हैं.

इंबाबा के बाहर चर्च में सेना तैनात है और विरोध प्रदर्शनकारियों को रोक रही है. रविवार को चर्च के बाहर खड़े ईसाई और सड़कों पर खड़े मुसलिम प्रदर्शनकारियों ने एक दूसरे पर पत्थर फैंकें. कुछ ईसाई पुलिस से भी लड़ पड़े क्योंकि उन्हें लग रहा था कि वे उनकी सुरक्षा के लिए कुछ नहीं कर रहे.

शनिवार देर रात को काहिरा के इंबाबा इलाके में ईसाइयों और मुसलमानों के बीच दंगे हुए जिनमें नौ लोग मारे गए और सैंकड़ों घायल हुए. सरकारी टीवी के मुताबिक छह मुसलमान और कॉप्टिक चर्च के तीन सदस्य मारे गए. एक पादरी, फादर हरमीना ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि मारे गए लोगों में से कम से कम पांच कॉप्टिक ईसाई थे. शनिवार को कुछ मुसलमानों ने इंबाबा में चर्च पर हमला किया था. उनका कहना था कि एक ईसाई महिला इस्लाम अपनाना चाहती थी और चर्च उसे ऐसा करने से रोक रहा था.

Gewalt zwischen Christen und Moslems in Kairo Ägypten Feuer in Kirche Flash-Galerie
फिर भिड़े दो धड़ेतस्वीर: picture-alliance/dpa

मतभेद सुलझाने की कोशिश

मिस्र के मुफ्ती अली गोमा ने दंगों का खंडन किया और कहा कि उग्र हिंसा में शामिल लोग मिस्र की राष्ट्रीय सुरक्षा से खेल रहे हैं. अली गोमा सरकार में इस्लामी कानून सलाहकार हैं. उन्होंने सरकारी समाचार एजेंसी मेना को बताया कि हिंसा के पीछे वे लोग नहीं हैं "जो अपने धर्म को समझते हैं, मुसलिम हो या ईसाई." मिस्र में दस प्रतिशत लोग कॉप्टिक ईसाई हैं. उन्होंने कई बार शिकायत की है कि उनके साथ मतभेद होता है. कई महीनों से मुसलमानों ने कॉप्टिक चर्च पर आरोप लगा रहे हैं कि वे धर्म परिवर्तन करने वाली महिलाओं को भगा कर चर्चों में बंदी रखते हैं. हालांकि इन समाचारों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी है.

मिस्र में सेना सरकार ने कहा है कि वह सांप्रदायिक दंगों को खत्म करने की हर कोशिश कर रही है. मिस्र में इस बीच सलाफी नाम के उग्रवादी इस्लामी गुट का भी प्रभाव बढ़ रहा है. अल कायदा ने भी इन दंगों का फायदा उठाया है. इस साल की शुरआत में अलेक्जैंड्रिया में एक चर्च के बाहर आत्मघाती हमले में 20 लोग मारे गए थे.

रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी

संपादनः आभा एम