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यूपी चुनाव समय पर, आयोग ने कहा राजनीतिक दल यही चाहते हैं

समीरात्मज मिश्र
३० दिसम्बर २०२१

भारत के चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव को लेकर लखनऊ में तीन दिन तक बैठक की. आयोग ने कहा कि प्रांत के राजनीतिक दलों की इच्छा है कि चुनाव समय पर हों. ओमिक्रॉन को लेकर चुनाव कराने पर असमंजस की स्थिति है.

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तस्वीर: Samiratmaj Mishra/DW

गुरुवार को लखनऊ में प्रेस कॉन्फेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा, "यूपी में वर्तमान सरकार का कार्यकाल 14 मई को समाप्त हो रहा है. निर्वाचन आयोग सामान्य पोलिंग ही कराएगा. हमने राजनीतिक पार्टियों के साथ मीटिंग की है. राजनीतिक दल चाहते हैं कि चुनाव समय पर हों. हमने मुख्य सचिव, डीजीपी और जिलाधिकारियों के साथ भी बैठक की है." पिछले दिनों इलाहाबाद हाई कोर्ट ने चुनाव टालने को लेकर सुझाव दिया था. इसके बाद चुनाव आयोग ने तय किया कि राज्यों की रिपोर्ट के आधार पर ही चुनाव कराने का फैसला किया जाएगा.

प्रदेश के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में आयोग ने ओमिक्रॉन संकट, कोरोना संक्रमण और टीकाकरण जैसे मुद्दों पर भी जानकारी ली. सुशील चंद्रा ने कहा कि कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए राज्य में वोटिंग का समय एक घंटे के लिए बढ़ाए जाने का फैसला किया गया है. ओमिक्रॉन वैरिएंट के खतरे को देखते हुए आयोग ने साफ किया है कि जब मतदान की तारीखों की घोषणा होगी, उस समय कोरोना की स्थिति के हिसाब से उम्मीदवारों और मतदाताओं के लिए खास गाइडलाइंस की भी घोषणा होगी. मतदान से जुड़े सारे कर्मचारियों का टीकाकरण कराया जाएगा और चुनावी रैलियों में कोरोना गाइडलाइंस के पालन को लेकर कड़े निर्देश जारी होंगे.

चुनाव से पहले खूब हो रही हैं रैलियां

हाईकोर्ट के चिंता जताने और राज्य में रात्रिकालीन कर्फ्यू लागू करने के बावजूद राज्य भर में राजनीतिक दल न सिर्फ रैलियां कर रहे हैं बल्कि रोड शो भी हो रहे हैं और कोरोना गाइडलाइंस का पालन होता शायद ही कहीं दिख रहा हो. रोड शो और रैलियों में भीड़ से सोशल डिस्टैंसिंग की उम्मीद करना भी बेमानी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर और आस-पास के इलाकों में कई जगह अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेताओं की छोटी-बड़ी कई सभाएं हुईं.

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विपक्षी समाजवादी पार्टी भी कर रही है रैलियांतस्वीर: Samiratmaj Mishra/DW

महराजगंज में खुद योगी आदित्यनाथ की सभा थी और मुरादाबाद-अलीगढ़ में बीजेपी नेता और देश के गृहमंत्री अमित शाह की रैली थी. इसके अलावा समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी लगातार रैलियां और रोड शो कर रहे हैं. हां, बहुजन समाज पार्टी की एक-दो सभाओं को छोड़कर अब तक कोई बड़ी रैली नहीं हुई है.

महराजगंज में योगी आदित्यनाथ की रैली से लौटे दिनेश कुमार ने मास्क नहीं लगा रखा है और न ही वे इसकी जरूरत समझते हैं. वो कहते हैं, "जब कोई नेता नहीं लगा रहा है तो हम लगाकर क्या करेंगे. मास्क वास्क से कुछ होता भी नहीं है. कोरोना को रोकना है तो रैली रोकें, लोगों को इकट्ठा होने से रोकें तो अपने आप कोरोना रुक जाएगा. लेकिन नेताओं को अपना काम नहीं रोकना है, आम आदमी का सब काम भले रुक जाए."  

भारत की 'गुम' कोविड जेनेरेशन

कोरोना दौर में चुनाव के अनुभव

बिहार और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान भी कोरोना संकट था और चुनाव आयोग से लेकर हाईकोर्ट तक ने इसीलिए चिंता जताई थी कि यदि संभव हो तो चुनाव टाल दिए जाएं. साल 2019 के अक्टूबर-नवंबर में बिहार और 2021 के मार्च-अप्रैल में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव हुए थे. बड़ी-बड़ी रैलियां हुई थीं और चुनाव तक कोविड संक्रमण की गंभीरता को नजरअंदाज किया गया जबकि देश के अन्य हिस्सों में तब तक संक्रमण का दूसरा दौर कहर ढाने लगा था.

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सभाओं में दूरी का नहीं हो रहा है पालनतस्वीर: Samiratmaj Mishra/DW

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव भी उसी समय हुए थे और राज्य में संक्रमण की दूसरी लहर के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार पंचायत चुनाव को ही माना गया. चुनाव ड्यूटी करके लौटे हजारों कर्मचारी संक्रमण की चपेट में आए और बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी जान भी गंवाई. पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव के दौरान मतदान को लेकर चुनाव आयोग ने कड़े निर्देश जारी किए थे और राजनीतिक दलों से डिजिटल रैलियों पर ज्यादा केंद्रित रहने की बात कही गई थी लेकिन किसी भी राजनीतिक दल ने इन निर्देशों का पालन नहीं किया. रैलियों और जनसभाओं में उमड़ी भीड़ को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी लगे.

संभल कर चल रहा है चुनाव आयोग

यूपी में भी चुनाव आयोग किसी भी तरह की चूक न होने का दावा कर रहा है लेकिन इसमें वह कितना सफल होगा, ये कहना मुश्किल है. उत्तर प्रदेश में यदि वक्त पर चुनाव कराने हैं तो संभव है कि 15 जनवरी के आस-पास अधिसूचना जारी कर दी जाए. साल 2017 में विधानसभा चुनाव की अधिसूचना 4 जनवरी को जारी की गई थी और मतदान सात चरणों में 11 फरवरी से लेकर 8 मार्च के बीच कराए गए थे.

यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च 2017 को शपथ ली थी इसलिए 18 मार्च तक नई सरकार का गठन हो जाना चाहिए, अन्यथा राष्ट्रपति शासन लगाने की स्थिति आ जाएगी. उत्तर प्रदेश में इस बार के विधानसभा ​चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या करीब 15 करोड़ है जिसमें 52.8 लाख नए मतदाता हैं. नए मतदाताओं में 28.86 लाख महिला मतदाता हैं.

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