सफेद घोड़े पर सवार किम जोंग उन क्या कहना चाहते थे
१६ अक्टूबर २०१९उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने सफेद घोड़े पर सवार, चश्मा पहने किम जोंग उन की तस्वीरें और कुछ बयान जारी किए हैं. अमेरिका के साथ परमाणु हथियारों के मसले पर उत्तर कोरिया की बातचीत का वक्त करीब आ रहा है. उत्तर कोरिया में किम वंश के शासन के लिए घोड़ा और माउंट पाएक्टू की पवित्र पहाड़ी बड़े प्रतीकों में शामिल है. कोरियाई प्रायद्वीप में मौजूद इस सबसे ऊंची जगह पर कोरियाई शासक अकसर आते रहे हैं. 2013 में अपने ताकतवर फूफा को मौत की सजा देने और 2018 में दक्षिण कोरिया और अमेरिका के साथ कूटनीतिक बातचीत शुरू करने से पहले भी किम जोंग उन इस पहाड़ी पर आए थे.
दक्षिण कोरिया की मीडिया ने तस्वीरों और बयान को देखने के बाद यह अंदाजा लगाने में देर नहीं लगाई कि शायद किम अमेरिका के साथ एक नई रणनीति पर विचार कर रहे हैं. पहले किम जोंग उन अमेरिका से मांग कर रहे थे कि वो नये प्रस्ताव लेकर आए ताकि दिसंबर के अंत तक दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों में आए ठहराव को खत्म किया जा सके. उत्तर कोरिया की सरकारी समाचार एजेंसी कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) का कहना है, "माउंट पाएक्टू में घोड़े की पीठ पर बैठ कर उन्होंने उन अभिलाषाओं को और मजबूत किया है जिसके साथ उन्होंने यहां तक के कठिन संघर्ष का रास्ता तय किया, ताकि माउंट पाएक्टू जैसी दृढ़ता और विश्वास के साथ सबसे ताकतवर देश का निर्माण किया जा सके."
उत्तर कोरिया के दस्तावेजों के मुताबिक किम के दादा और साम्यवादी शासन के संस्थापक किम इल सुंग ने 1910-45 में जापान के औपनिवेशिक शासन के दौरान पाएक्टू की ढलानों में एक गुरिल्ला बेस बनाया था. आधिकारिक जीवनी के मुताबिक किम जोंग उन के पिता किम जोंग इल के बारे में कहा जाता है कि उनका जन्म पाएक्टू में हुआ और उस वक्त दोहरे इंद्रधुनुष ने आकाश को रंगीन कर दिया था.
सात दशकों से कोरिया पर शासन कर रहे किम परिवार के लिए सफेद घोड़ा भी उनकी मजबूत छवि का एक बड़ा प्रतीक रहा है. सरकारी मीडिया कई मौकों पर किम, उनकी बहन और उनके पिता को सफेद घोड़ों पर सवारी करते दिखाता रहा है. यह प्रतीक किम इल सुंग के दौर से जुड़ा है. उत्तर कोरिया में आधिकारिक तौर पर कहा जाता है कि उन्होंने सफेद घोड़े पर सवार हो कर जापान के औपनिवेशिक शासकों का मुकाबला किया था.
केसीएनए का कहना है कि किम उन जोंग ने पास ही मौजूद सामजियोन काउंटी में एक निर्माण की जगह का भी दौरा किया और उत्तर कोरिया पर अमेरिका के नेतृत्व में लगे संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों की आलोचना की. किम उन जोंग के हवाले से कहा गया है, "देश पर लगे अनवरत प्रतिबंधों और शत्रु ताकतों के दबाव के कारण देश मुश्किल में हैं, बहुत सारी कठिनाइयां और चुनौतियां हमारे सामने हैं, लेकिन हमारे लोग इन चुनौतियों से मजबूत हो रहे हैं और विकास के लिए अपने रास्ते तलाशने के साथ ही यह भी सीख रहे हैं कि इन चुनौतियों का सामना करने में कैसे हमेशा जीत हासिल की जाए."
किम ने यह भी कहा, "अमेरिकी नेतृत्व में (उत्तर कोरिया) विरोधी शत्रु ताकतों ने जो दर्द कोरिया के लोगों को दिया है, वह गुस्से में बदल गया है."
उत्तर कोरिया पर 2006 से अब तक 11 दौर के प्रतिबंध लग चुके हैं. 2016 के बाद से इन प्रतिबंधों की सख्ती बहुत ज्यादा बढ़ गई जब किम जोंग उन ने परमाणु बमों और मिसाइलों के परीक्षण किए. इस वक्त कोरिया से कोयला, कपड़े और सीफूड के निर्यात पर भी पाबंदी है. इसके साथ ही तेल के आयात को भी काफी कम कर दिया गया है.
वियतनाम में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से दूसरी मुलाकात के दौरान किम ने मांग रखी कि अमेरिका नए और ज्यादा कड़े प्रतिबंधों को हटाए. इसके बदले में उन्होंने परमाणु हथियारों को खत्म करने की दिशा में सीमित कदम उठाने की बात कही थी. इसमें परमाणु हथियार विकसित करने वाले मुख्य परिसर को बंद करना भी शामिल था. डॉनल्ड ट्रंप ने इससे इनकार कर दिया और फिर बातचीत बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई. इसके बाद दोनों नेताओं ने अचानक कोरियाई सीमा पर जून के आखिर में मुलाकात की और बातचीत फिर शुरू करने के लिए तैयार हुए.
इसी महीने की शुरुआत में उनके वार्ताकारों ने स्टॉकहोम में मुलाकात की. वियतनाम में हुई बैठक के बाद यह उनकी पहली मुलाकात थी लेकिन बातचीत एक बार फिर टूट गई है. उत्तर कोरिया ने बातचीत टूटने के लिए अमेरिका को दोषी ठहराया है और धमकी दी है कि वह परमाणु परीक्षणों और लंबी दूरी की मिसाइलों का परीक्षण फिर शुरू कर देगा.
एनआर/एमजे(एपी)
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