सत्यम में घोटाले पर संसद में हंगामा
१७ फ़रवरी २००९लोकसभा और राज्यसभा में सदस्यों ने कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री प्रेमचंद गुप्ता से तरह-तरह के सवाल पूछ कर उन्हें खासी परेशानी में डाला. राज्यसभा में तो पूरा प्रश्नकाल ही सत्यम के हवाले हो गया और सभापति हामिद अंसारी ने बाद में अपने कक्ष में सभी दलों के नेताओं की एक बैठक भी बुलाई.
सांसद यह जानना चाहते थे कि प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड(सेबी) और रिज़र्व बैंक जैसी संस्थाएं सत्यम और उसके ऑडिटर प्राइसवॉटरहाउसकूपर्स के कामकाज पर निगाह रखने में असफल क्यों रहीं. राज्यसभा में राम जेठमलानी ने यह भी कहा कि सत्यम के मामले में जांच बहुत नरमी और सुस्त रफ़्तार के साथ की जा रही है.
प्रेमचंद गुप्ता ने कहा कि सरकार ने कल सीबीआई द्वारा जांच के आदेश दे दिए हैं और सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिस ( एस एफ़ आई ओ) से कहा है कि वह तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट दे. गुप्ता ने यह भी कहा कि सरकार को सत्यम के 53 हज़ार कर्मचारियों और तीन लाख शेयरधारकों की चिंता थी और है. सत्यम की प्रवक्ता अर्चना मुतप्पा ने कहा है कि दो वरिष्ठ प्रबंधकों की नौकरी जा चुकी है और ऐसे लोगों की संख्या बढ़ने संभावना है.
मंगलवार को राज्यसभा में बीजेपी की ओर से विपक्ष के नेता जसवंत सिंह ने सत्यम मामले की जांच के लिए संसदीय समिति के गठन की मांग की. बाद में जनता दल ( यू ) के अध्यक्ष शरद यादव ने भी इसका समर्थन किया और कहा कि सरकारी एजेंसियों पर भरोसा नहीं रहा गया है.
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री प्रेमचंद गुप्ता ने सत्यम मामले का राजनीतिकरण न किए जाने की अपील करते हुए कहा कि बी रामलिंग राजू ने बताया है कि यह घोटाला पिछले सात सालों से चल रहा था. उस समय तो केन्द्र और आंध्र प्रदेश दोनों जगह एनडीए की सरकार थी.