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संकट पर बैठक से पहले घिरतीं मैर्केल

१६ अगस्त २०११

आर्थिक संकट से जूझ रहे यूरोप को उबारने का दारोमदार बहुत हद तक जर्मनी और फ्रांस पर आ टिका है. दोनों देशों के नेताओं की मंगलवार को अहम बैठक हो रही है. वैसे जर्मन चांसलर को घरेलू मोर्चे पर काफी दबाव झेलना पड़ रहा है.

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यूरो जोन की मुश्किलतस्वीर: dapd

चांसलर अंगेला मैर्केल के सत्ताधारी गठबंधन के सदस्यों ने साफ कहा है कि कर्ज में दबे यूरोपीय सहयोगियों की मदद के लिए और कड़े कदमों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यह चेतावनी मैर्केल की पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) की ही तरफ से जारी की गई है, जो मंगलवार को जर्मन चांसलर मैर्केल और फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोजी की बैठक से ठीक पहले आई है.

सीडीयू नेताओं ने संकट पर पार्टी की आपात बैठक बुलाने की मांग की है. सीडीयू से संबंध रखने वाले संसद अध्यक्ष ने अपील की कि यूरोपीय वित्तीय स्थिरता तंत्र (ईएफएसएफ) को मजबूत करने के लिए निचले सदन बुंडेसटाग में जल्दबाजी में कोई कदम न उठाया जाए. साथ ही कर्ज में दबे इटली के बॉन्ड खरीदने के यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ईसीबी) के हालिया कदम की आलोचना की गई है.

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मंगलवार की बैठक अहमतस्वीर: picture alliance/dpa

गठबंधन में मतभेद

सत्ताधारी गठबंधन की दूसरी पार्टियों फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी और बवेरिया प्रांत की क्रिश्चयन सोशल यूनियन (सीएसयू) ने यूरो जोन को स्थिर करने के लिए यूरो बॉन्ड लाने की कोशिशों के खिलाफ मुहिम तेज कर दी है. यहां तक कि यूरोपीय राजनीतिक सहयोग के पक्के पैरोकार वित्त मंत्री वोल्फगांग शौएब्ले जैसे लोग भी चेतावनी दे रहे हैं कि जल्दबाजी में कुछ नहीं होना चाहिए. शौएब्ले को मैर्केल की सरकार में 'आखिरी यूरोपीय' समझा जाता है. डेयर श्पीगल पत्रिका के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, "हम स्थिरता को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन हम यह सब एक एक करके ही कर सकते हैं."

यूरो जोन में शामिल 17 देशों के बीच जर्मनी ने अपने यहां सख्त बजट अनुशासन कायम किया है और वह उन देशों को आड़े हाथ लेता है जो वित्तीय तंत्र को ठीक से चलाने में नाकाम रहे हैं. अब और आगे मदद के लिए वित्तीय तंत्र को बेहतर बनाने की शर्त ही रखी जा रही है. लेकिन सीडीयू के सदस्यों का कहना है कि सरकार मदद का कोई और वादा करने से पहले पार्टी सांसदों की बैठक बुलाए.

साझा बॉन्ड का समर्थन

इस बीच जर्मनी के एक अग्रणी आर्थिक संघ ने साझा यूरो जोन बॉन्ड जारी किए जाने का समर्थन किया है, जिसके चलते सारकोजी से मुलाकात से पहले मैर्केल पर और दबाव बढ़ गया है. अब तक जर्मन सरकार तथाकथित यूरो बॉन्ड के विचार की कड़ी आलोचना करती रही है. उसे आशंका है कि इससे जर्मनी के कर्ज लेने की लागत बढ़ जाएगी और यूरो जोन के ग्रीस जैसे कमजोर सदस्यों के लिए अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार की गुंजाइश भी कम होगी.

सोमवार को जर्मन सरकार के प्रवक्ता ने साफ किया कि पैरिस में मैर्केल और सारकोजी की बैठक में साझा यूरो बॉन्ड पर चर्चा नहीं होगी क्योंकि जर्मन सरकार इसके हक में नहीं है. स्टेफान जाइबर्ट ने कहा, "जर्मन सरकार ने कई मौकों पर कहा है कि उसे नहीं लगता कि यूरो बॉन्ड का कोई मतलब है और इसीलिए उन पर कल की बैठक में कोई चर्चा नहीं होगी."

लेकिन हाल के हफ्तों में गहराते कर्ज संकट के चलते इटली, स्पेन और यहां तक कि फ्रांस पर भी दबाव बढ़ा है. हो सकता है कि ऐसी स्थिति में कुछ जर्मन कड़े कदम उठाने के लिए मन बनाएं, हालांकि आला राजनेता इस संभावना से बराबर इनकार कर रहे हैं.

जर्मनी के निर्यातक संघ बीजीए के अध्यक्ष साझा बॉन्ड के हक में खड़े होने वाले पहले बड़े उद्योगपति हैं. एंटोन बोएर्नर का कहना है कि संकट से निपटने के तमाम दूसरे तरीके नाकाफी साबित हुए हैं. वह पूछते हैं, "विकल्प क्या है. विकल्प यह है कि बाजार इटली और फिर फ्रांस पर हमला बोले, हम अपनी एएए रेटिंग खो दें और फिर हमारी बारी आएगी. यह एक भंवर है और फिर दुनिया भर में मंदी आ जाएगी. तो फिर हम क्या हासिल कर सकते हैं. तब तक हम संकट की तीन गुना कीमत चुका चुके होंगे. इस तरह हमें एक गुना ही देना होगा."

जर्मनी में विपक्षी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख जिग्मार गाब्रिएल भी यूरो बॉन्ड के विचार के समर्थन में दिखते हैं. उन्होंने जर्मनी के सरकारी टीवी चैनल एआरडी के साथ बातचीत में कहा कि यूरो जोन के देशों को इस तरह अपनी फंडिंग 50-60 प्रतिशत बढ़ानी चाहिए, अगर वे कुछ शर्तों पर राजी हों. गाब्रिएल ने कहा, "यूरो बॉन्ड को इस्तेमाल करने वाले देशों को अपने बजट पर कुछ हद तक अपनी संप्रभुता छोड़नी होगी."

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कई मुद्दे सामनेतस्वीर: picture alliance/dpa

यूरो बॉन्ड का विरोध

मैर्केल और सारकोजी के बीच मुलाकात में यूरो जोन में आर्थिक प्रशासन को बेहतर करने पर बात होगी. अधिकारियों का कहना है कि वे यूरो जोन के नेताओं की नियमित बैठकें भी शुरू कर सकते हैं जिसकी मांग फ्रांस बहुत समय से कर रहा है. साथ ही यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष हरमन फान रॉम्पोए की भूमिका का विस्तार करने पर भी बात हो सकती है. उन्हें यूरो का प्रवक्ता बनाया जा सकता है.

इन कदमों से साझा मुद्रा वाले 17 देशों के समूह में व्यापक नीतिगत अनुशासन आ सकता है. अकसर इनके अलग अलग सुरों से बाजार में भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है. लेकिन समूह के कुछ देशों में बढ़ते कर्ज और घाटे के बारे में बाजार की चिंताओं को दूर करना आसान नहीं.

जर्मनी के वित्त मंत्री शौएब्ले और अर्थव्यवस्था मंत्री फिलिप रौएसलर ने सप्ताहांत में दिए अपने इंटरव्यू में यूरो जोन बॉन्ड और कर्ज को सामूहिक बनाने के खिलाफ आवाज बुलंद की.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः महेश झा