श्रीलंका में फ़ोन्सेका का होगा कोर्ट मार्शल
८ फ़रवरी २०१०तमिल विद्रोहियों के ख़िलाफ़ युद्ध में मिलकर काम करने वाले राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे और पूर्व सेना प्रमुख जनरल सरथ फोन्सेका अब एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी है. और ठीक उसी तरह व्यवहार भी कर रहे हैं. फोन्सेका जहां किसी भी ट्राइब्यूनल में तमिल विद्रोहियों के ख़िलाफ़ लड़ाई में युद्ध अपराध के सबूत देने की बात कर रहे हैं, वहीं राजपक्षे की सरकार ने कल उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
हालांकि फ़ोन्सेका की गिरफ़्तारी का अटकलें तो पिछले महीने तभी लगाई जा रही थीं जब श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आए थे. एक तरफ़ वोटों की गिनती हो रही थी तो दूसरी तरफ़ सैनिकों ने कोलंबो में फोन्सेका के होटल को घेर लिया था. हालांकि राष्ट्रपति चुनाव में राजपक्षे की जीत के बाद यह कहते हुए सैनिकों को हटा लिया गया कि वे तो सेना के भगौड़ों की तलाश में यहां आए थे.
लेकिन कल फोन्सेका को गिरफ़्तार कर ही लिया गया. श्रीलंका की जेवीपी पार्टी के प्रवक्ता ने बताया कि जब फोन्सेका तीन विपक्षी नेताओं से बातचीत कर रहे थे तो लगभग 100 सैनिक उनके दफ़्तर में घुसे और उन्हें उठाकर ले गए. श्रीलंका मुस्लिम कांग्रेस के नेता रउफ़ हकीम का कहना है कि सैनिक फोन्सेका को अपमानजनक तरीक़े से खदेड़ते हुए ले गए. इसके बाद दफ़्तर को चारों तरफ़ से घेर लिया गया है. वहां न तो पत्रकारों को जाने दिया जा रहा है और न ही फ़ोटोग्राफरों को.
इससे पहले चुनाव जीतने के बाद राष्ट्रपति राजपक्षे ने फोन्सेका के क़रीबी समझे जाने वाले लगभग 50 सैन्य अफ़सरों को यह कहते हुए हटा दिया कि वे सुरक्षा के लिए ख़तरा हैं. उधर फ़ोन्सेका यह दावा करते हैं कि उनके 50 अन्य समर्थकों को सरकार से इसलिए गिरफ़्तार कर लिया है ताकि वे चुनावों धांधली के सबूत न जुटा सकें. इस बीच अमेरिका और यूरोपीय आयोग ने श्रीलंका पर चुनावी धांधली के आरोपों की जांच के लिए दबाव डाला है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ए कुमार
संपादन: ओ सिंह