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श्रीलंकाई तमिल: पुनर्वास का विकट इंतज़ार

२० मई २००९

संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा है कि वो इस सप्ताह श्रीलंका का दौरा करेंगे. बान की मून ने कहा है कि युद्ध से बेहाल लोगों की हालत पर फौरन ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है.

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युद्ध क्षेत्र में अपने घरों से विस्थापित आम तमिलतस्वीर: AP

उधर श्रीलंका के राष्ट्रपति महेंदा राजपक्षे ने कल एलान किया था कि देश तमिल चीतों के आतंकवाद से मुक्त हो गया है. और लिट्टे प्रमुख वी प्रभाकरण की मौत के साथ 25 साल पुराने गृह युद्ध का भी अंत हो गया है.

राजपक्षे ने अपने संसदीय वक्तव्य में कहा कि तमिल अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी उनकी है. और तमिल बहुल इलाकों के पुनर्निर्माण का काम जल्द शुरू किया जाएगा. इस बीच ब्रिटेन और कनाडा ने श्रीलंका सरकार से तमिल अधिकारों की रक्षा के लिए कार्यक्रम चलाने का आह्वान किया है.

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री गोरडन ब्राउन ने श्रींलंकाई राष्ट्रपति राजपक्षे से विस्थापित तमिलों को मानवीय मदद जल्द से जल्द मुहैया करना की अपील की है. कनाडा ने श्रीलंका में तमिल अपेक्षाओं के राजनैतिक हल की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है. उधर रूस ने श्रीलंका सरकार के लिट्टे के सफाए के एलान का स्वागत किया है. रूसी विदेश मंत्रालय से जारी एक बयान में कहा गया है कि रूस, श्रीलंका की आतंकवाद के ख़िलाफ़ लडा़ई में साथ है.

Staatsrpräsident Rajapakse feiert Sieg gegen Rebellen
राजपक्षे ने दिलाया भरोसातस्वीर: AP

इससे पहले मंगलवार को श्रीलंका के सेना प्रमुख ने दावा किया है कि लिट्टे प्रमुख वी प्रभाकरण का शव मिल चुका है. श्रीलंका के सरकारी टीवी पर प्रभाकरन की मौत से जुड़े साक्ष्य के रूप में एक लाश की फुटेज भी दिखायी गयी.

श्रीलंकाई सेना के मुताबिक प्रभाकरण का शव मंगलवार को लागून इलाके में मिला. सेना के मुताबिक प्रभाकरण के कपड़ों में एक पहचान पत्र भी मिला है. जिसमें ''0:01'' नंबर लिखा गया है. यह जानकारी श्रीलंकाई सेना के कमांडर जनरल सारथ फोनसेका ने सरकारी टीवी और रेडियो स्टेशनों के ज़रिए दी है.

इससे पहले लिट्टे की वेबसाइट ने दावा किया गया था कि 54 साल के तमिल विद्रोही नेता प्रभाकरण अब भी ज़िंदा हैं. वेबसाइट में कहा गया है कि, ''लड़ाई की ख़बरों से दुनिया भर में परेशान हो रहे तमिल समुदाय को हम संदेश देना चाहते हैं कि हमारे नेता वेलुपिल्लई प्रभाकरण जिंदा हैं और सही सलामत हैं.''


रिपोर्ट- एजेंसियां

संपादन- एस जोशी