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शेख मुजीब के पांच हत्यारों को फ़ांसी

२७ जनवरी २०१०

38 सालों के बाद बंगबंधु शेख मुजीबुर्ररहमान के पांच हत्यारों को फ़ांसी दे दी गई है. सात हत्यारे अभी तक फ़रार हैं. इंटरपोल की ओर से उनके ख़िलाफ़ वारंट जारी किए गए हैं. बांग्लादेश में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था बरती जा रही है.

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तस्वीर: AP

बुधवार रात कड़ी सुरक्षा के तहत राजधानी ढाका के केंद्रीय जेल में इन हत्यारों को मिली फांसी की सज़ा पर अमल किया गया. तोड़फ़ोड़ की आशंकाओं के चलते बांगलादेश में कड़ी चौकसी की स्थिति की घोषणा की गई है.

सन 1975 में 15 अगस्त की रात बांग्लादेश के मुक्तियुद्ध के नेता व राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्ररहमान की सपरिवार हत्या कर दी गई थी. उसके बाद हत्यारों को सज़ा देने के मामले में काफ़ी समय तक अटकलें जारी रहीं. अंततः बुधवार रात कर्नल फ़ारुक़ रहमान, मेजर बजलुल हुदा, मेजर एके एम महिउद्दीन अहमद आर्टिलरी, महिउद्दीन लैंसर व सुलतान शाहरियार रशीद खान को फ़ांसी दी गई. इनके अलावा खांडेकर अब्दुर्रशीद, नूर चौधरी, शरीफ़ुल हक़ दलीम, रिसालदार मुसलेहउद्दीन, कैप्टन अब्दुल मजीद, रशीद चौधरी और अबुल हाशेम मृधा को भी फ़ांसी की सज़ा मिली है. लेकिन वे फ़रार हैं.

लंबे समय तक इन हत्यारों के ख़िलाफ़ कोई मुक़दमा नहीं चलाया गया. 1996 में चुनाव में आवामी लीग की जीत के बाद शेख मुजीब के आवास के प्रबंधक मुहितुल इस्लाम ने 20 आरोपियों के ख़िलाफ़ मुकदमा दायर किया था. 13 साल तक चले मुकदमे के बाद निचली अदालत ने 15 आरोपियों को मौत की सज़ा दी,

जिनमें से 12 की मौत की सज़ा की हाईकोर्ट ने भी पुष्टि की. पांच आरोपियों को गिरफ़्तार किया जा सका था, और उन्होंने सज़ा के ख़िलाफ़ अपील की थी. अपील रद्द होने के बाद राष्ट्रपति से क्षमादान की भी याचना की गई थी. राष्ट्रपति के इंकार के कुछ ही घंटों के बाद इस सज़ा पर अमल हुआ. इस बीच तोड़फ़ोड़ की आशंका के कारण सारे देश में सुरक्षा बलों को चौकस कर दिया गया है.

रिपोर्ट: हारुन उर रशीद, ढाका

संपादन: उ भट्टाचार्य