शुरू हो गए बॉब्स
५ फ़रवरी २०१४डॉयचे वेले 2004 से बॉब्स पुरस्कारों के जरिए ऑनलाइन मुहिम के शानदार मिसालों की और दुनिया का ध्यान खींच रहा है. कोशिश है कि पारदर्शिता के साथ अभिव्यक्ति की आजादी को बढ़ावा मिले और मानवाधिकारों का भी ख्याल रखा जाए.
डॉयचे वेले के महानिदेशक पेटर लिम्बुर्ग का कहना है, "हमारी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता बॉब्स के जरिए हम उन साहसी लोगों को सम्मानित करते हैं जो डिजिटल मीडिया के जरिए लोकतंत्र को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं. आज की दुनिया में कई देशों में जानकारी के हक के लिए लड़ा जा रहा है और यह संघर्ष और जरूरी होता जा रहा है."
दुनिया भर से इंटरनेट यूजर 5 मार्च तक 14 भाषाओं में अपने उम्मीदवार नामांकित कर सकते हैं. अरबी, बांग्ला, चीनी, जर्मन, अंग्रेजी, फ्रांसीसी, हिन्दी, इंडोनेशियाई, फारसी, पुर्तगाली, रूसी, स्पेनी, तुर्की और यूक्रेनी. जो इसमें शामिल होना चाहता है, उसे बॉब्स वेबसाइट पर सारी जानकारी मिलेगी.
बॉब्स के विजेता चुनेगी अंतरराष्ट्रीय जूरी लेकिन पाठक भी इंटरनेट वोटिंग से विजेता चुन सकेंगे. 15 सदस्यों की जूरी हर भाषा में फाइनलिस्ट चुनती है और छह श्रेणियों में विजेताओं का चयन करती है.
2013 में दुनिया भर से हमारे पाठकों ने 4,200 वेबसाइटों को नामांकित किया. 90,000 से ज्यादा लोगों ने ऑनलाइन वोटिंग में हिस्सा लिया.
पिछले साल चीन के ब्लॉगर और लेखक ली चेंगपेंग ने बेहतरीन ब्लॉग का पुरस्कार जीता. क्यूबा की ऑनलाइन कार्यकर्ता योआनी सांचेस और ट्यूनीशिया की लीना बेन मेनी और ईरान के अरश सिगर्ची ने इनाम जीते.
इस साल 30 जून को ग्लोबल मीडिया फोरम के दौरान बॉब्स विजेताओं को पुरस्कार दिए जाएंगे. इस साल 30 जून से 2 जुलाई तक होने वाले इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का विषय है, "जानकारी से हिस्सेदारी तकः मीडिया की चुनौतियां".
डिजिटल नेटवर्क के जरिए लोग और आसानी से अपने राजनीतिक नजरिए दूसरे लोगों तक पहुंचा सकते हैं. लेकिन इस सिलसिले में कई सवाल भी उठते हैं, हम जानकारी और जानकार की सुरक्षा कैसे तय कर सकते हैं. अगर कोई किसी मामले को लेकर शिकायत करता है तो उसकी सुरक्षा का क्या. प्रेस और अभिव्यक्ति की आजादी की क्या सीमाएं हैं. बॉन में इस साल 2000 से ज्यादा मीडिया कार्यकर्ता और पत्रकार इस बारे में बहस करेंगे.
बॉब्स की वेबसाइट पर जाईए और अपने पसंदीदा ब्लॉग नामांकित कीजिए.