शांति अभियानों पर सामान के बदले सेक्स
१३ जून २०१५संयुक्त राष्ट्र के ऑफिस ऑफ इंटरनल ओवरसाइट सर्विसेस ओआईओएस की ड्राफ्ट स्टडी के अनुसार हैती और लाइबेरिया में सैकड़ों महिलाओं के साथ किए गए सर्वे में पाया गया कि सेक्स बेचने की वजह भूख, गरीबी और जीवन परिस्थितियों में सुधार है. पिछले महीने के ड्राफ्ट के अनुसार, "शांति मिशनों वाले दो देशों के सबूत दिखाते हैं कि सेक्स की खरीद बहुत ही आम है लेकिन इसकी रिपोर्ट नहीं की जाती है."
इस समय दुनिया भर में चल रहे 16 अभियानों में संयुक्त राष्ट्र के 125,000 से ज्यादा सैनिक, पुलिसकर्मी और असैनिक कर्मचारी तैनात हैं. ओआईओएस की ड्राफ्ट रिपोर्ट का कहना है कि वितरित किए गए कंडोम के अलावा स्वैच्छिक काउंसलिंग और गोपनीय एचआईवी टेस्ट करवाने वाले लोगों की संख्या दिखाती है कि शांतिकर्मियों और स्थानीय आबादी के बीच सेक्स के मामले आम हैं.
रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राष्ट्र ने 2003 में ही शांतिकर्मियों द्वारा सामान के बदले सेक्स पर रोक लगा दी थी क्योंकि इससे संगठन की विश्वसनीयता पर असर पड़ रहा था. ड्राफ्ट रिपोर्ट में 2008 से 2013 के बीच यौन शोषण और दुर्व्यवहार की 480 शिकायतें दर्ज की गईं. इनमें से एक तिहाई मामले ऐसे थे जिनमें बच्चों का शारीरिक शोषण हुआ था. सबसे ज्यादा शिकायतें डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, लाइबेरिया, हैती और दक्षिणी सूडान से हैं.
रॉयटर्स ने रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि 2014 में यौन शोषण और दुर्व्यवहार की 51 शिकायतें हुई हैं. संयुक्त राष्ट्र के पास अपनी सेना नहीं है और शिकायतों की जांच का मुख्य जिम्मा उन देशों का होता है जो अपने सैनिक या पुलिसकर्मी शांति अभियानों के लिए देते हैं. ओआईओएस का कहना है कि शिकायतों में कमी के बावजूद यौन शोषण को रोकने में बाधा आ रही है. ड्राफ्ट में संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियान विभाग का जवाब भी है जिसने इस बात पर अफसोस जताया है कि ओआईओएस ने घटनाओं को रोकने के प्रयासों का आकलन नहीं किया है.
एमजे/आईबी (रॉयटर्स)