शरीर से फैट हटाने का नया तरीका
२२ जनवरी २०१८47 वर्षीया स्टेफानी बार्टेल्स चुस्त दुरुस्त हैं. वे खूब एक्सरसाइज करती हैं, हफ्ते में तीन दिन घुड़सवारी, बैडमिटन और ऐरोबिक्स भी करती हैं फिर भी स्टेफानी को शरीर के एक हिस्से के साथ समस्या है. वे कहती हैं, "खास उम्र के बाद वजन ऊपर से नीचे पेट की ओर जाने लगता है. चाहे मैं कुछ भी कोशिश क्यों न करूं." वे पेट पर जमा फैट खत्म करना चाहती हैं लेकिन ऑपरेशन के जरिए फैट निकालना उनके लिए कोई विकल्प नहीं है.
स्टेफानी को ऑपरेशन से डर लगता है. इसलिए उन्होंने फैट खत्म करने के लिए डॉ. रेगिना वाग्नर के यहां क्रायोलिपोलिसिस तरीका आजमाने का फैसला किया. डॉ. रेगिना वाग्नर हैम्बर्ग में प्लास्टिक सर्जन हैं. क्रायोलिपोलिसिस के बारे में वे बताती हैं, "फैट सेल बॉडी टेम्परेचर को बेहतर ढंग से झेल सकते हैं. लेकिन जब उनका सामना पांच डिग्री कम तापमान से होता है, तो वे मरने लगते हैं. इसे एपोप्टोसिस कहते हैं, कोशिकाओं का मरना."
क्रायोलिपोलिसिस का विकास अमेरिका में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने किया है और उसकी क्लिनिकल जांच भी की है. अब यह विधि जर्मनी में भी अपनाई जा रही है. शरीर में एक जगह फैट वाली जगह पर ठंड से सुरक्षित रखने वाला जेल लगा दिया जाता है ताकि त्वाचा को तकलीफ न हो और सिर्फ फैट सेल ठंडे हों. उसके बाद कूलिंग मशीन लगाई जाती है जो प्रभावित जगह को 4 डिग्री सेल्सियस ठंडा करता है.
एक घंटे तक कूलिंग की जाती है. कूलिंग मशीन की ठंड फैट सेल की ऊर्जा को खत्म कर देती है, उसका मेटाबॉलिज्म रुक जाता है और वह मरने लगता है. एक घंटे के बाद मशीन हटा दी जाती है, वहां बच जाता है ठंडा उभार, जिसे मसाज कर हटा दिया जाता है. हनोवर के मेडिकल कॉलेज में शरीर से फैट हटाने की इस विधि के जोखिमों की जांच की गई है. तरीका सुरक्षित है, लेकिन हैम्बर्ग के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रो. पेटर फोग्ट के अनुसार यह ब्लड क्लॉटिंग रोकने वाली दवा लेने वालों या त्वचा रोग के मरीजों और गर्भवती महिलाओं को लिए नहीं है."
इस प्रक्रिया में साइड इफेक्ट के मामले बहुत कम हुए हैं. कभी कभी त्वचा के रंगीन होने या मूड में उतार चढ़ाव के मामले होते हैं.
स्टेफानी बार्टेल्स का वजन कम हो गया है और पेट का व्यास 6 सेंटीमीटर घट गया है. पहले और बाद की तस्वीरों की तुलना में अंतर दिखता है. तो क्या अब यहां फैट नहीं जमेगा? डॉ. रेगिना वाग्नर का कहना है, "यह खाने पीने की आदत पर निर्भर है. यदि मरीज अपने दूसरे फैट सेलों को आहार देता है, तो यहां भी और फैट जमा होगा." स्टेफानी बार्टेल्स को भविष्य में भी कसरत करते रहना होगा, पहले की ही तरह ताकि वे भविष्य में भी छरहरी रहें.