शरीर में नमक के दाने जितना कैमरा करेगा जासूसी
१५ जुलाई २०१६जर्मन इंजीनियरों ने एक ऐसा छोटा कैमरा बनाया है जो नमक के दाने से भी छोटा है और भविष्य में हेल्थ इमेजिंग की पूरी तस्वीर बदल सकता है. इस समय शरीर के अंदर के अंगों और छोटे बड़े हिस्सों को साफ साफ देखने के लिए हेल्थ इमेजिंग तकनीकों जैसे एक्सरे या कई तरह के स्कैन का सहारा लिया जाता है. लेकिन इस नई खोज का एक दूसरा पहलू ये भी है कि अगर कोई आपके अंदर इस कैमरे को इंजेक्ट कर दे तो वह हर वक्त आपकी गतिविधियों पर नजर रख सकता है.
3-डी प्रिंटिंग तकनीक का इस्तेमाल कर जर्मनी की श्टुटगार्ट युनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने तीन लेंस वाला कैमरा बनाया. फिर इस कैमरे को एक ऑप्टिकल फाइबर के एक छोर पर फिट किया. इस फाइबर की चौड़ाई करीब दो बालों के बराबर थी. इस तकनीक का इस्तेमाल मिनिमली-इंट्रूसिव एंडोस्कोपी में किया जा सकता है, जिससे शरीर के भीतर छांका जा सकेगा. प्रतिष्ठित साइंस जर्नल 'नेचर' में छपे इस रिसर्च में इंजीनियरों ने बताया है कि इसका इस्तेमाल अदृश्य से लगने वाले सुरक्षा मॉनिटरों, "अपनी स्वतंत्र दृष्टि" वाले मिनी रोबोटों में भी हो सकता है.
ऐसे होते हैं 3-डी एक्सरे
बीते कुछ सालों में 3-डी प्रिंटिंग से बेहद बारीक और विशिष्ट त्रिआयामी चीजें बनाई जाने लगी हैं. इसे एडिटिव मैनुफैक्चरिंग भी कहा जाता है क्योंकि इसमें प्लास्टिक, धातु या सिरेमिक जैसे किसी भी पदार्थ की एक के ऊपर एक कई पर्तें जमाते जाना संभव है. हालांकि इतने छोटे लेंस बनाने की निर्माण तकनीक अभी तक विकसित ना होने के कारण मेडिकल क्षेत्र की कई जरूरतें अभी भी पूरी नहीं की जा सकतीं. इस छोटे कैमरे को बनाने वाली जर्मन टीम का मानना है कि 3-डी प्रिंटिंग तकनीक एक बहुत बड़ा बदलाव ला सकती है.
3-डी तकनीक के शानदार नमूने
टीम को इस कण जैसे छोटे कैमरे को डिजायन करने, बनाने और अपनी आंखों से टेस्ट करने में केवल कुछ घंटे लगे. रिसर्च रिपोर्ट में लिखा है कि इतने छोटे आकार के बावजूद इसका ऑप्टिकल प्रदर्शन उच्च स्तर का मिला.
इसका कंपाउंड लेंस मात्र 100 माइक्रोमीटर चौड़ा है और बाहर के केस के साथ कुल 120 माइक्रोमीटर का है. यह 3 मिलीमीटर की दूरी से चीजों पर फोकस कर सकता है और इस जानकारी को कैमरे से जुड़े ऑप्टिकल फाइबर की मदद से 1.7 मीटर दूर भेज सकता है. यह क्रांतिकारी "इमेजिंग सिस्टम" आराम से एक आम सीरिंज में फिट हो जाता है. और इतने छोटे आकार के कारण इंसान के शरीर के किसी भी अंग यहां तक कि उसके मस्तिष्क तक में डाला जा सकता है.