वैटिकन में महिला अधिकार!
४ मार्च २०१३अर्जेंटीना के 69 साल के कार्डिनल लियोनार्डो सांद्री का कहना है कि अगले पोप का चुनाव सिर्फ किसी खास देश को ध्यान में रख कर नहीं, बल्कि उनकी गुणवत्ता को ध्यान में रख कर किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि चर्च मुश्किल दौर से गुजर रहा है और इसके सामने इस बात की चुनौती है कि उन लोगों को वापस लाया जाए, जो विश्वास खोते जा रहे हैं और जिन्होंने "ईश्वर को पीठ दिखानी" शुरू कर दी है.
वैटिकन के कामकाज में दूसरे नंबर पर रह चुके सांद्री उन महत्वपूर्ण लोगों में शामिल हैं, जिनकी राय पर अगले पोप का चुनाव किया जाएगा. उनका कहना है, "दुनिया में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ी है और चर्च को भी इस बारे में खुद से सवाल पूछना चाहिए."
वैटिकन में इन दिनों ज्यादा गहमागहमी है क्योंकि नए पोप का चुनाव शुरू हो रहा है. सांद्री का कहना है, "उनके सामने चर्च में ज्यादा रोल अदा करने की चुनौती है क्योंकि चर्च का कई हिस्सा अभी भी सिर्फ मर्दों के लिए खुला है और हमारे सामने इस बात को सुलझाने की चुनौती है." मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक वैटिकन में काम करने वाली ज्यादातर महिलाएं नन होती हैं और वे तीसरे स्तर यानी अंडर सेक्रेटरी के पद तक ही पहुंच पाती हैं. उनसे ऊपर प्रेसिडेंट और सेक्रेटरी का पद सिर्फ पुरुषों के लिए है.
इतालवी मूल के सांद्री का नाम भी पोप की रेस में चल रहा है, जिनका मानना है कि महिलाओं को वैटिकन के प्रशासन में ज्यादा अधिकार देने से सिर्फ बेहतर ही हो सकता है क्योंकि "वे अपनी योग्यता के आधार पर अच्छा सहयोग दे सकती हैं." कैथोलिक चर्च का कहना है कि महिलाएं पादरी नहीं बन सकतीं क्योंकि खुद ईसा मसीह ने अपने उत्तराधिकार में सिर्फ पुरुषों को जगह दी थी. सांद्री ने इस मसले पर कुछ नहीं कहा.
पोप बेनेडिक्ट 16वें के इस्तीफे के बाद दुनिया भर के कार्डिनल वैटिकन में मिल रहे हैं, जहां उन्हें नए पोप का चुनाव करना है. समझा जाता है कि 10 मार्च तक वे किसी नतीजे पर पहुंच जाएंगे. सांद्री के मुताबिक नए पोप में कुछ खास खूबियां होनी चाहिएः
पोप ऐसा शख्स होना चाहिए, जिसके पास शारीरिक क्षमता और मानसिक शक्ति हो कि वह पोप के उत्तरदायित्वों का निर्वाह कर सके.
जिसमें संवाद करने की गजब की क्षमता हो और जिसमें ईश्वर का प्रतिनिधि होने के लक्षण हों लेकिन जिसमें मानव सुलभ गुण भी हों, जो मुस्कुराता हो, जो हाथ मिलाता हो, जो लोगों को गले लगाता हो और जो लोग उससे मिलना चाहें, उनसे मिलने को तत्पर हो.
उसे ऐसा होना चाहिए, जिसे पता हो कि काम कैसे किया जाना है. सिर्फ निजी अनुभव के आधार पर नहीं, बल्कि उन लोगों को ध्यान में रख कर जो उसके आस पास होते हैं.
ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि अगला पोप गैर यूरोपीय हो सकता है और हो सकता है कि एशिया या अफ्रीका के किसी कार्डिनल को पोप बनाया जाए. घाना के 64 साल के कार्डिनल पीटर टुर्कसन वैटिकन में न्याय और शांति विभाग के प्रमुख हैं और उनका नाम सबसे आगे चल रहा है. सांद्री का कहना है, "चर्च तो एक अश्वेत पोप के लिए तैयार है, पर शायद दुनिया नहीं. जो कोई भी सबसे ज्यादा तैयार होगा, उसे ही पोप चुना जाना चाहिए."
एजेए/एमजे (रॉयटर्स)