वेस्पा: आजादी और रोमांस की पहचान
70 साल पहले इटली में वेस्पा मोटर स्कूटर बनाया गया. मोटरसाइकिल की सैन्य ताकत या मर्दाना छवि के उलट स्कूटर परिवार, आजादी और फक्कड़ी की पहचान बन गया. एक नजर वेस्पा की दुनिया पर.
अप्रैल 1946 को पिआजो नाम की कंपनी का पंजीकरण हुआ. कंपनी ने वेस्पा स्कूटर नाम से पेटेंट हासिल किया. इटली के गेनोआ शहर में कंपनी ने स्कूटरों का उत्पादन शुरू किया. वेस्पा स्कूटर ने तुरंत यूरोप को अपने आगोश में ले लिया. स्कूटर युवाओं की पहचान बन गया.
एनरिको पिआजो (तस्वीर में) ने मोटरसाइकिल से अलग डिजायन बनाया. पिआजो असल में एक हेलिकॉप्टर बनाना चाहते थे, लेकिन अनुभव की कमी आड़े आ गई. लेकिन उनके भीतर की कशमकश उन्हें कुछ न कुछ बनाने के लिए प्रेरित करती रही. आखिरकार उन्होंने वेस्पा स्कूटर डियाजन किया.
डिजायनर चाहते थे कि मशीन आसान हो, हल्की हो और उसका रखरखाव भी सस्ता हो, ताकि लोगों को उसके इस्तेमाल में दिक्कत न हो. स्कूटर की बॉडी के साथ वो ऐसा करने में कामयाब भी हुए.
1946 में कंपनी ने "वेस्पा 98" मॉडल का उत्पादन शुरू किया. अधिकतम रफ्तार थी 60 किलोमीटर प्रतिघंटा. युवाओं के लिए यह तेज रफ्तार आजादी जैसी थी. अब वे आसानी से आसपास की जगहों पर जा सकते थे.
वेस्पा का अगला मॉडल 1953 में लॉन्च हुआ. उसे पोप प्रियुस ने पेश किया. 5 हॉर्सपॉवर की ताकत वाला ये स्कूटर 75 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से भाग सकता था. पहली बार स्कूटर के हैंडल पर लाइट भी लगाई गई.
वेस्पा की लोकप्रियता ऐसी बढ़ी कि 1953 की रोमांटिक कॉमेडी फिल्म "रोमन हॉलीडे" के मुख्य कलाकार भी इसी स्कूटर की सवारी करते दिखे. फिल्म ने भी उसकी लोकप्रियता में योगदान दिया.
अब स्कूटर का लाभ सेना को भी दिखा. 1956 में सेना के लिए वेस्पा के मॉडल भी बने. इनमें एंटी टैंक हथियार लगाया गया. यह फ्रांसीसी सेना के लिए बनाया गया था. यह मॉडल आज भी म्यूजियम में है.
1950 के दशक में यूरोप में सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं को पेंट और स्कर्ट पहनने की आजादी नहीं थी. लेकिन वेस्पा ने युवा महिलाओं को आजादी दी. 1960 के दशक में महिलाएं भी वेस्पा लेकर निकलने लगीं.
वेस्पा स्कूटर का मतलब सिर्फ शहरों में घुमाई नहीं था. इसके लिए जरिए लोग एक गांव से दूसरे गांव या दूसरे शहर जाने लगे. प्रेमियों की इस स्कूटर ने खासी मदद की. 1965 में 30 लाख से ज्यादा वेस्पा स्कूटर बिके.
लेकिन 1970 का दशक आते आते यूरोप में वेस्पा की बिक्री गिरने लगी. युवाओं की आर्थिक स्थिति बेहतर होने लगी और वे कार खरीदने लगे. लेकिन तभी वेस्पा के लिए भारत, ईरान, पूर्वी एशिया और अफ्रीका में बाजार खुला.
यूरोप के कई देशों में आज भी वेस्पा प्रेमियों के क्लब हैं. जर्मनी के वेस्पा प्रेमी आज भी समय समय पर मिलते है और अपने प्यारे स्कूटर के साथ रैली सी निकालते हैं.
वक्त के साथ वेस्पा स्कूटरों का चेहरा भी बदला. आज यह और ज्यादा हल्के और स्कूटी के रूप में सामने आ रहे हैं. हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में अब वेस्पा को होंडा और बजाज जैसी कंपनियों से कड़ी टक्कर मिल रही है. लेकिन यूरोप में वेस्पा अब भी भावुकता से भरी आजादी जैसा अहसास है.