वेल्टहुंगरहिल्फेः उत्तर कोरिया को मदद
लगभग 20 साल से जर्मन सहायता संगठन वेल्टहुंगरहिल्फे उत्तर कोरिया के गरीब लोगों की मदद करता आया है. लेकिन वहां काम करना आसान नहीं और बहुत जोखिम का काम है. देखते हैं संस्था कैसे काम करती है.
लंबी प्रतिबद्धता
जब वेल्टहुंगरहिल्फे ने 1997 में अपना काम दोबारा शुरू किया, तो उसे उत्तर कोरिया में लोगों को खाना, कपड़ा और ईंधन मुहैया कराना था. प्योंगयांग ने खुद को दुनिया से अलग कर रखा था और उसकी जनता को मदद की जरूरत थी. इसके बाद से वेल्टहुंगरहिल्फे ने वहां 70 प्रोजेक्टों में काम किया.
मुश्किल माहौल
उत्तर कोरिया की सिर्फ 20 फीसदी जमीन कृषि योग्य है. वेल्टहुंगरहिल्फे का कहना है कि देश की ज्यादातर जमीन पहाड़ी और चट्टानी है. ऐसे में अगर खेती के वैकल्पिक उपाय नहीं किए गए, तो ढाई करोड़ आबादी के लिए खाना मुहैया कराना मु्श्किल हो जाएगा.
ग्रीनहाउसों का गठन
जर्मन सहायता संगठन उत्तर कोरिया के पांच प्रांतों में काम कर रहा है. इसका प्रमुख काम ग्रीनहाउस बनाना है, जिनमें से एक राजधानी प्योंगयांग के पास ही है. योजना है कि इससे फसल की क्वालिटी बेहतर हो सकती है.
आमदनी कैसे बढ़े
इस कम्युनिस्ट राष्ट्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती पर्याप्त आमदनी की है ताकि जीवन सही ढंग से चल सके. मिसाल के तौर पर वेल्टहुंगरहिल्फे की पास्ता बनाने वाली मशीन से लोग अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं.
सब्जियां उगाएं
वेल्टहुंगरहिल्फे ने अलग अलग आकार के लगभग 700 ग्रीनहाउस तैयार किए हैं. देश में इनका अलग अलग इस्तेमाल हो सकता है. ये ग्रीनहाउस छोटे छोटे घरों में बनाए गए हैं, जिसे दो परिवार बांट भी सकते हैं. यहां लोग टमाटर, ककड़ी और बैगन उगा सकते हैं.
फलों की बहार
उत्तर कोरिया का मौसम फल उगाने के लिए बहुत अच्छा है. तीस साल पहले तक वह फलों का निर्यात भी करता था. लेकिन बाद में वह फसल उगाने लगा. नजरअंदाज किए जाने की वजह से फलों के कई बागान खराब हो गए. वेल्टहुंगरहिल्फे इन्हें फिर हरा भरा करना चाहता है.
फल और जैम
अगर फसल अच्छी हो, तो सेब के रस को पैक करके बेचा जा सकता है. ऐसी जगहों पर सूखे फल और जैम भी पैक किए जा सकते हैं. उद्देश्य है कि यहां के लोग दोबारा से फल उत्पादन पर ध्यान दें.
यूरोप से सीख
वेल्टहुंगरहिल्फे की ट्रेनिंग ऐसी है कि उत्तर कोरिया के लोग यूरोप से कुछ सीख सकें. कभी कभी उत्तर कोरिया के लोगों को स्विट्जरलैंड बुला कर भी ट्रेनिंग दी जाती है.