विदेश मंत्रालय का खत नहीं देगी सीबीआई
१३ जुलाई २०१०सूचना का अधिकार कानून के तहत दायर एक याचिका के जवाब में सीबीआई ने कहा, "भोपाल गैस कांड में एंडरसन फरार है और केस अब भी पूरा नहीं हुआ है. हमें लगता है कि आपके सवाल का जवाब देने से यूनियन कार्बाइड के पूर्व प्रमुख वॉरन एंडरसन के प्रत्यर्पण और उन्हें सजा दिलवाने की प्रक्रिया में बाधा आएगी."
हालांकि सीबीआई के चीफ पब्लिक इन्फॉरमेशन ऑफिसर राकेश अग्रवाल ने अपने जवाब में स्पष्ट किया है कि उनके जवाब को पारदर्शिता कानून के तहत अगले 30 दिनों के भीतर चुनौती दी जा सकती है. यह याचिका एडवोकेट अजय अग्रवाल की ओर से दायर की गई थी.
इस याचिका में विदेश मंत्रालय के उस खत की कॉपी मांगी गई है जिसमें विदेश मंत्रालय ने सीबीआई से कथित रूप से कहा कि एंडरसन के प्रत्यर्पण के प्रयास न किए जाएं. रिपोर्टों के मुताबिक विदेश मंत्रालय ने सीबीआई को यह निर्देश 1994-96 में किया.
याचिका में बीआर लाल के बयान का भी उल्लेख किया गया है जो उस समय सीबीआई के संयुक्त निदेशक थे. लाल ने कहा है कि भारत का विदेश मंत्रालय एंडरसन के प्रत्यर्पण के खिलाफ था. लाल के हवाले से याचिका में कहा गया, "मुझे नहीं पता. भारत और अमेरिका में इस मामले में क्या सहमति है. वैसे भी हमारे देश में अमीर और बड़े रसूख वाले आदमियों के खिलाफ कोई जांच नहीं की जा सकती."
भोपाल गैस कांड 1984 में दो-तीन दिसम्बर की रात में हुआ. यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस के रिसाव से हजारों लोग मौत की नींद सो गए. इस हादसे में करीब 15 हजार लोगों की मौत हुई.
एंडरसन पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया था लेकिन 1984 में भोपाल में उन्हें जमानत दी गई और फिर राज्य सरकार के विमान से वह दिल्ली आ गए. उसके बाद एंडरसन कभी न वापस आने के लिए दिल्ली से अमेरिका रवाना हो गए.
हाल ही में भोपाल की एक अदालत ने सात आरोपियों को लापरवाही से मौत का जिम्मेदार मानते हुए भोपाल गैस कांड में दो दो साल की सजा सुनाई है. सरकार ने पीड़ितों के लिए करीब 1500 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है और एंडरसन के प्रत्यर्पण की कोशिशों को नए सिरे से शुरू करने की बात कही है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए जमाल