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लोकपाल राज्यसभा में, पास होने पर शक

२९ दिसम्बर २०११

भारत सरकार ने लोकसभा में पास कराने के दो दिन बाद लोकपाल बिल राज्यसभा में पेश कर दिया है. संसद के ऊपरी सदन में भ्रष्टाचार विरोधी बिल को पास कराना सरकार का इस साल का सबसे बड़ा इम्तिहान होगा.

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तस्वीर: Picture-Alliance / Photoshot

राज्यसभा में विपक्षी पार्टी बीजेपी लोकपाल बिल के मौजूदा स्वरूप का विरोध कर रही है. बिल के भविष्य पर आशंकाओं के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने भरोसा जताया है कि सरकार में शामिल सभी दल मिल जुलकर इस बिल को पास करा लेंगे ताकि संसद का संयुक्त अधिवेशन बुलाने की जरूरत न पड़े. केंद्रीय मंत्री वी रामास्वामी ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि सभी साथ आएंगे. हमें सबको साथ लेकर चलना होगा और बिल पास करना होगा."

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संकटमोचक प्रणब दातस्वीर: UNI

लोकसभा ने लोकपाल बिल को मंगलवार को देर रात पास कर दिया है. इस बिल के लिए कई बार संकटमोचन बनने वाले वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी एक बार फिर पर्दे के पीछे सक्रिय हो गए हैं. नारायणस्वामी ने कहा, "प्रणब मुखर्जी ने तृणमूल कांग्रेस के नेताओं से बात की है, जिसने बिल में संशोधन का नोटिस दे रखा है." पश्चिम बंगाल में शासन करने वाली तृणमूल कांग्रेस नहीं चाहती है कि बिल में राज्यों में लोकायुक्त नियुक्त करने वाली धारा रहे. उसके 243 सदस्यों वाली राज्य सभा में 6 सदस्य हैं. कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों का संसद के ऊपरी सदन में बहुमत नहीं है.

दूसरों पर भरोसा

सहयोगी दलों के अलावा निर्दलीय सांसदों पर भरोसा कर रही कांग्रेस इस बार अपने सांसदों को भी सदन में लाने की पूरी कोशिश कर रही है ताकि लोकसभा की तरह उसकी किरकिरी न हो जब उसके दर्जन भर से ज्यादा सांसद अनुपस्थित थे. नारायणस्वामी ने कहा कि लोकसभा जैसी स्थिति पैदा नहीं होने दी जाएगी. उन्होंने कहा कि एक या दो सदस्य बीमार हैं, लेकिन बाकी की उपस्थिति तय की जाएगी. राज्यसभा में बिल पर गुरुवार देर रात मतदान हो सकती है.

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तस्वीर: AP

राज्यसभा में हार मनमोहन सिंह की सरकार के लिए जोरदार तमाचा होगा, जो पिछले महीनों में सरकार के अंदर गंभीर भ्रष्टाचार मामलों से जूझ रही है और उनकी सरकार के मंत्रियों और सांसदों को जेल जाना पड़ा है. इसी महीने उनकी सरकार को रिटेल कारोबार को विदेशी विदेशी पूंजीनिवेश के लिए खोलने के फैसले को वापस लेना पड़ा है.

अन्ना की मायूसी

अगस्त में समाजसेवी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन और 12 दिनों के अनशन के बाद सरकार पर भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाने और प्रभावी लोकपाल बिल लाने का दबाव बढ़ गया है. नागरिक संस्थाओं के दबाव में प्रधानमंत्री को भी कुछ शर्तों के साथ लोकपाल के दायरे में ला दिया गया है लेकिन केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को बाहर रखा गया है, जिस पर खासा बवाल मच रहा है. अन्ना हजारे ने मंगलवार को मुंबई में फिर से मजबूत लोकपाल बिल के लिए तीन दिनों का अनशन शुरू किया लेकिन उसे बीच में ही खत्म कर दिया.

रिपोर्ट: पीटीआई, एएफपी/महेश झा

संपादन: ए जमाल

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