1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

लीबिया ने की युद्धविराम की घोषणा

१८ मार्च २०११

लीबिया के विदेश मंत्री ने कहा कि लीबिया ने तुरंत युद्धविराम करने का फैसला करते हुए सारी सैन्य कार्रवाई पर रोक लगा दी है. फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका के सैन्य कार्रवाई के एलान के दबाव में आ कर लीबिया ने यह कदम उठाया.

https://p.dw.com/p/RANv
फ्रांस के पक्ष में गद्दाफी के विरोधीतस्वीर: AP

लीबिया के विदेश मंत्री मूसा कूसा ने कहा कि लीबिया संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के फैसलों को मान रहा है और इसके तहत वहां की सरकार हिंसा पर तुरंत रोक लगा रही है.

इससे पहले शुक्रवार को फ्रांस और ब्रिटेन ने सुरक्षा परिषद से हरी झंडी के बाद लीबिया पर नो फ्लाई जोन लागू करने और सैन्य हमले का एलान किया. फ्रांस की सरकार के प्रवक्ता फ्रांस्वा बारवां ने कहा, "हमले जल्द ही होंगे, कुछ घंटों में". बारवां ने एक रेडियो चैनल से बातचीत में यह कहा. बारवां ने कहा कि लीबिया पर सैन्य कार्रवाई नियंत्रण के लिए नहीं की जा रही है बल्कि "इससे लीबिया के लोगों की रक्षा करने की कोशिश की जा रही है और आजादी के लिए उनकी मदद की जा रही है. इसका मतलब है गद्दाफी के शासन को खत्म करना." बारवां ने कहा कि गद्दाफी और उनके बेटे सैफ अल इस्लाम के रवैये को देखते हुए ऐसा नहीं लगता कि इन "आतंकवादियों और खून के प्यासे तानाशाहों को किसी तरह से समझाया जा सकता है."

Libya.jpg
गद्दाफीतस्वीर: AP

हालांकि बारवां ने सही सही नहीं बताया कि हमले कब, कहां और किन जगहों पर किए जाएंगे. बारवां ने कहा कि फ्रांस इन हमलों की अगुवाई कर रहा है. बारवां ने इस फैसले में अरब लीग के नेताओं की भूमिका को भी सराहा और कहा कि उनकी सहमति के बिना अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई संभव नहीं हो सकती.

बारवां के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का फैसला बहुत अहम है. लीबिया में गद्दाफी अपने लोगों को ही मार रहा है और इस युद्ध को खत्म करने में राष्ट्रपति सारकोजी और फ्रांस की भूमिका को मान्यता मिलनी चाहिए. बारवां के बयान के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोजी ने फ्रांस के प्रधानमंत्री फ्रांस्वा फिलों, रक्षा मंत्री जेरार लोंगे और सेना प्रमुख एदुआर गिलो से मुलाकात की. हालांकि कार्रवाई में जर्मनी के शामिल न होने को लेकर बारवां ने कहा, "जर्मनी सहित चार और देशों ने सुरक्षा परिषद में लीबिया पर वोट देने से इनकार किया. यूरोपीय परिषद में भी जर्मनी ने कार्रवाई में फ्रांस और ब्रिटेन का साथ नहीं दिया, जिस वजह से हमें निराशा हुई है."

इससे पहले राजनयिकों ने संकेत दिया था कि लीबिया पर फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका सैन्य कार्रवाई कर सकते हैं. हालांकि सुरक्षा परिषद के फैसले के मुताबिक कार्रवाई में जमीनी हमले मुमकिन नहीं होंगे. गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने लीबिया पर हमलों को रजामंदी दी. लीबिया पर हवाई हमले होंगे और वहां नो फ्लाई जोन लागू करने के लिए सारी तैयारियां की जाएंगी.

रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी

संपादनः ओ सिंह

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी