लाल किले की प्राचीर से चीन को चुनौती
भारत कोरोना महामारी के बीच शनिवार को आजादी की 73वीं वर्षगांठ मना रहा है. इस मौके पर लाल किले की ऐतिहासिक प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन को चुनौती दी, तो महामारी से निपटने और डिजिटलाइजेश पर भी उनका जोर था.
अहम भाषण
हर साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से भारत के प्रधानमंत्री का भाषण साल का सबसे अहम भाषण माना जाता है. इस बार आजादी की वर्षगांठ ऐसे समय में आई है जब देश एक तरफ कोरोना महामारी से जूझ रहा है तो दूसरी तरफ चीन से लगने वाली सीमा पर तनाव है.
प्राथमिकता
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश को कोरोना के शिकंजे से निकालना उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है. भारत में कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों का आंकड़ा 25 लाख के पास जा पहुंचा है जबकि मरने वालों की संख्या 49 हजार से ज्यादा हो गई है. आम जनजीवन ही नहीं, बल्कि इस महामारी ने देश की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर डाला है.
संप्रुभता सर्वोच्च है
मोदी ने इस मौके का इस्तेमाल पड़ोसी चीन और पाकिस्तान को चुनौती देने के लिए भी किया. जून के महीने में सीमा झड़प में बीस भारतीयों सैनिकों के मारे जाने के बाद से भारत और चीन के बीच तनाव है. पीएम मोदी ने कहा, "जो भी देश की संप्रभुता की तरफ आंख उठाया है, देश की सेना उसे उसकी भाषा में जवाब देगी." हालांकि उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया.
निवेश पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन प्रोजेक्ट में 100 ट्रिलियन रुपयों का निवेश किया जाएगा, जिसकी घोषणा पहले ही हो चुकी है. इसके तहत सात हजार परियोजनाओं की पहचान की गई है. इनके जरिए रोजगार के अवसरों और उद्योगों को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि देश में बुनियादी ढांचे का व्यापक विस्तार किया जा सके.
डिजिटल हेल्थ मिशन
अपने भाषण में मोदी ने राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ मिशन की भी घोषणा की, जिसके तहत स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा और हर नागरिक को "हेल्थ आई़डी" दी जाएगी. इसमें व्यक्ति को अब तक हुई सभी बीमारियों, उनकी रोकथाम के लिए ली गई दवाओं और उसकी सेहत से जुड़ी सारी जानकारी होगी.
महामारी के बीच जश्न
कोराना महामारी को देखते हुए कई जगहों पर अब भी लॉकडाउन है और संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इसलिए इस बार स्वतंत्रता दिवस के समारोह सीमति ही रहे. सोशल डिंस्टेंसिंग के तहत लाल किले पर भी उतने लोग नहीं थे जितने आम तौर पर होते हैं.