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लादेन मिशन के सैनिकों से मिलने खुद पहुंचे ओबामा

७ मई २०११

लादेन के मारने के मिशन की कामयाबी अमेरिकी लोगों का भरोसा राष्ट्रपति ओबामा पर वापस ले आई है. ओबामा इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे. शुक्रवार को राष्ट्रपति मिशन लादेन के सैनिकों से मिलने केंटकी के सैनिक अड्डे पर गए.

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तस्वीर: AP

केंटकी में ओबामा ने स्पेशल फोर्स के सैनिकों को धन्यवाद दिया और खुशी से झूमते सैनिकों की एक रैली का नेतृत्व किया. राष्ट्रपति चुनाव के लिए बाहें चढ़ा चुके ओबामा को इस कामयाबी ने विपक्षी रिपब्लिक पार्टी की भी तारीफ के काबिल बना दिया है. ओबामा ने लादेन की मौत का एलान करने के पांच दिन बाद फोर्ट कैम्पबेल में एक गुप्त बैठक की और सैनिकों की उस खास टीम को सम्मानित किया

इस दौरान मिशन में शामिल सैनिकों ने सीधे राष्ट्रपति को हमले के घटनाक्रम का ब्यौरा दिया. राष्ट्रपति ने मिलीट्री यूनिट को मिलने वाले सर्वोच्च सम्मान से उन्हें नवाजा है. अफगानिस्तान से ड्यूटी कर वापस लौटे खुशी से चहकते सैनिकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ओबामा ने कहा, "मेरे लिए यह मौका है कि सभी अमेरिकावासियों और दुनिया की जनता की तरफ से मैं आपसे कह सकूं, बहुत अच्छा काम किया."

US-Präsident Obama bei seiner Ankunft in New York
तस्वीर: AP

ओबामा ने कहा कि "ओसामा बिन लादेन को न्याय" मिलने से यह साफ हो जाता है कि उनकी अफगानिस्तान जंग की नीति काम कर रही है. इसके साथ ही उन्होंने फिर दोहराया कि इसी साल गर्मियों से अफगानिस्तान से फौज की वापसी शुरू हो जाएगी.

मुस्लिम देशों में अमेरिका की इस कार्रवाई पर भले ही सवाल उठ रहे हो लेकिन अमेरिका के लोग सरकार के मिशन लादेन से खुश हैं. मिशन में शामिल सैनिकों को राष्ट्रीय नायकों के रूप में देखा जा रहा है. शायद यही वजह है कि एक दिन पहले न्यूयॉर्क के ग्राउंड जीरों पर जाकर पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के बाद ओबामा खुद सैनिकों से मिलने गए.विमानों के एक विशाल हैंगर में बड़ी संख्या में सैनिक जमा हुए यहां चारो तरफ अमेरिकी झंडे लहरा रहे थे और बैंड पर रॉक एंड रोल की धुन बज रही थी. दीवार पर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा गया था, "जॉब वेल डन."

लादेन को मारने के लिए पाकिस्तान हमला करने गई टीम में सील के कमांडो शामिल थे. इन लोगों को लादेन की ऊंची दीवारों वाले एबटाबाद के घर पर रात में हमला करने के लिए कई हफ्तों तक विशेष ट्रेनिंग दी गई.

गुप्त बैठक

केंटकी का बेस अमेरिकी थल सेना की 160वीं स्पेशल ऑपरेशन एवियेशन रेजिमेंट का ठिकाना है. इस यूनिट को नाइट स्टाकर्स भी कहते हैं. इसी यूनिट के हेलिकॉप्टर पायलटों को मिशन पर लगाया गया. ओबामा के साथ सैनिकों की मुलाकात को गोपनीय रखा गया जिससे कि उनके कामकाज के तरीकों के बारे में दुनिया को पता न चल सके. गोपनीयता का आलम ये था कि ओबामा के साथ यात्रा कर रहे पत्रकारों को भी ओबामा के काफिले से बाहर कर दिया गया और उन्हें स्पेशल ऑपरेशन सेंटर को बाहर से भी देखने की इजाजत नहीं दी गई. इसी जगह पर बैठक हुई.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः उभ