अपने ही बयान में घिरीं स्मृति ईरानी
२५ फ़रवरी २०१६समाचार वैबसाइट 'दि न्यूज मिनट' ने अपनी एक रिपोर्ट में मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के उस दावे को खारिज किया है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि हैदराबाद युनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला की मौत को सुबह तक भी किसी डॉक्टर से नहीं सत्यापित कराया गया था. ईरानी ने बुधवार को लोकसभा में तेलंगाना पुलिस के हवाले से कहा था, ''किसी ने भी उस बच्चे के करीब एक डॉक्टर को नहीं जाने दिया. इसके बजाय उसकी लाश का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के बतौर किया गया.''
मंत्री के बयान को खारिज करते हुए 'दि न्यूज मिनट' की इस रिपोर्ट में उस वक्त ड्यूटी पर तैनात मुख्य स्वास्थ अधिकारी एम. राजश्री का बयान छापा गया है. इसमें वे कहते हैं, ''सुरक्षाकर्मियों को एनआरएस हॉस्टल के एक कमरे में लाश मिली. मुझे शाम 7:20 बजे कॉल आया और मैं इसकी जांच के लिए हॉस्टल की तरफ भागा. जब मैं वहां पहुंचा तो लाश को पंखे से उतार लिया गया था. 10 मिनट में हमने उसे मृत घोषित कर दिया. मैंने तुरंत कुलपति को भी इसकी जानकारी दी. उन्होंने मुझे पूछा कि क्या रोहित के बच सकने की कोई संभावना है. मैं 3 बजे सुबह तक वहीं था.'' वैबसाइट ने अपनी रिपोर्ट में विश्वविद्यालय की हैल्थ बुक के उस पृष्ठ की तस्वीर भी प्रकाशित की है जिसमें इस सबका ब्योरा लिखा हुआ है और रोहित की मौत की पुष्टि की गई है.
इससे पहले बुधवार को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने संसद में बेहद तल्ख अंदाज में अपना पक्ष रखा था. ईरानी ने रोहित वेमुला और जेएनयू के मसले पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर भी राजनीति करने के आरोप लगाए. इसके अलावा जेएनयू मसले पर बोलते हुए उन्होंने उमर खालिद की ओर से जेएनयू प्रशासन को दिए गए प्रार्थनापत्र का जिक्र करते हुए कहा कि वहां कविता पाठ के लिए मंजूरी ली गई थी लेकिन 'राष्ट्रविरोधी' नारे लगाए गए. केंद्रीय मंत्री ने अपने संबोधन में इन नारों का भी जिक्र किया.
इधर प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस मसले पर पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने अपने ट्वीटर हैंडल से लोकसभा में दिए स्मृति ईरानी के भाषण का 'सत्यमेव जयते' लिखकर लिंक शेयर किया.
गुरूवार को राज्यसभा में इन दोनों मसलों पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और माकपा नेता सीताराम येचुरी ने अपना पक्ष रखा. येचुरी ने दोनों मामलों में सरकार की भूमिका को आपत्तिजनक बताते हुए कहा, ''मनुवाद से आजादी का नारा बरकरार रहेगा. अगर कोई इसके लिए मुझे गिरफ्तार करना चाहता है तो मैं तैयार हूं. मैं ये नारा लगाउंगा. मुझे शर्म है कि दुनियाभर में हर रोज 5 लोग भूख से मर जाते हैं और इनमें से तीन लोग हिंदुस्तान से होते हैं. इसलिए मेरी अपील है कि उन छात्रों को निशाना न बनाया जाए जो इन मसलों को उठा रहे हैं.''
येचुरी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना था, ''यह बहस किसी सिद्धांत को लेकर या अवचेतन में नहीं हो रही है, यह बहस जेएनयू में हुई घटना को लेकर हो रही है. लेकिन जब भूपेंद्र यादव की ओर से उस घटना का जिक्र किया जा रहा है, तो आप लोग असहिष्णुता दिखा रहे हैं.''
इस बीच जेएनयू में अफजल गुरू के समर्थन में लगे नारों से खड़े हुए विवाद के बीच यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरन के एक बयान ने ध्यान खींचा है. अंग्रेजी अखबार इकॉनोमिक टाइम्स को दिए अपने साक्षात्कार में पी चिदंबरम ने कहा है कि अफजल गुरू पर 'फैसला शायद ठीक नहीं था." उन्होंने कहा, ''लेकिन सरकार में होने के नाते आप नहीं कह सकते कि कोर्ट ने ठीक फैसला दिया क्योंकि सरकार ने उस पर आरोप लगाए थे. लेकिन कोई स्वतंत्र व्यक्ति यह राय जरूर रख सकता है कि इस मामले में सही फैसला नहीं आया था.''