रोशनी की दीवार
28 सालों तक पूर्व और पश्चिम जर्मनी को विभाजित रखने वाली दीवार 9 नवंबर 1989 को गिरा दी गई. एकीकरण के 25 सालों का जश्न शहर भर में रोशनी की दीवार बनाकर मनाया गया.
8,000 गुब्बारों से बनी दीवार तीन दिन तक बर्लिन की दीवार की याद दिलाती रही. बोर्नहोल्मर स्ट्रासे से ब्रांडेनबुर्ग गेट, चेकप्वाइंट चार्ली और ईस्ट साइड गैलरी से गुजरती हुई.
इस कला के नमूने के उद्घाटन के लिए चेकप्वाइंट चार्ली पर सोवियत संघ के पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोव आए. जर्मनी के एकीकरण की राह में खड़ी शीत युद्ध की बाधा को घटाने में उनकी अहम भूमिका रही.
पूर्व और पश्चिम के बीच बोर्नहोल्मर स्ट्रासे बॉर्डर वह पहली क्रॉसिंग थी जहां सैनिकों ने नागरिकों के लिए सबसे पहले गेट खोले. रोशनी की लकीर के साथ चलते हुए लोगों ने दीवार पार करने के उस पुराने रास्ते को याद किया.
बर्लिन का यह बॉर्डर नदी के किनारे किनारे कुछ यूं ही चला जा रहा था. तस्वीर में नजर आ रहा टीवी टावर एकीकरण से पहले पूर्वी बर्लिन का हिस्सा था.
इस कलाकृति को तैयार करने का आइडिया दो भाइयों क्रिस्टोफर और मार्क बाउडर का था. वे बर्लिन की दीवार से जुड़ी भावनाओं को किसी ताकतवर माध्यम के जरिए दोबारा जीवित करना चाहते थे.
पूर्व और पश्चिम बर्लिन के बीच की दीवार ब्रांडनबुर्ग गेट के बहुत पास से होकर गुजरती थी.
बर्लिन की दीवार जर्मन संसद के सामने से होकर गुजरती थी. एकीकरण के बाद इस इलाके में कई सरकारी इमारतें बन गई हैं.
पूर्वी बर्लिन के इलाका प्रेंसलावरबैर्ग को पश्चिम बर्लिन से बर्लिन की दीवार अलग करती थी. अब यहां माउएर पार्क यानि दीवार वाला पार्क है.
बर्लिन आने वाले ईस्ट साइड गैलरी देखने जरूर जाते हैं. बर्लिन दीवार का अब तक साबुत बचा सबसे बड़ा टुकड़ा यही है. इस दिवार पर दुनिया भर से कलाकारों ने कलाकृतियां बनाई हैं.
इन सफेद गुब्बारों के भीतर लाइट लगाई गईं. 60 सेंटीमीटर व्यास वाले गुब्बारों को 2.5 मीटर लंबे रॉड की मदद से शहर भर में खड़ा किया गया.
इस प्रोजेक्ट को अंजाम देने के लिए बर्लिन वालों को शामिल होने का न्योता दिया गया था. नौ नवंबर की रात सबने अपने अपने गुब्बारे हवा में छोड़े.