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रूस से परमाणु समझौते के क़रीब भारत

२० अक्टूबर २००८

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी और एनएसजी से हरी झंडी मिलने के बाद भारत असैनिक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग के लिए अमेरिका औऱ फ्रांस के बाद अब रूस से भी बात कर रहा है

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परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में कई देशों से सहयोग के लिए भारत प्रयासरत हैतस्वीर: AP

अमेरिका और फ्रांस के साथ तो परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर हो चुके हैं जबकि रूस के साथ होने वाले हैं. सोमवार को नई दिल्ली में विदेशमंत्री प्रणब मुखर्जी और भारत की यात्रा पर आए रूस के विदेशमंत्री सर्गेई लावरोफ़ के बीच समझौते को अमली जामा पहनने के बारे में विस्तृत चर्चा हुई. माना जा रहा है कि दिसम्बर में रूस के राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव की भारत यात्रा के दौरान इस परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर हो जाएंगें.

इस साल फ़रवरी में रूस के तत्कालीन प्रधानमंत्री विक्टर ज़ुब्कोफ़ नई दिल्ली आए थे तब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ उनकी वार्ता के दौरान इस समझौते पर सहमति बनी थी. मनमोहन सिंह ने उस समय कहा था कि रूस द्वारा भारत में अतिरिक्त परमाणु संयंत्र लगाने के बारे में समझौता-वार्ता को अन्तिम रूप दे दिया गया है. ख़बर है कि तमिलनाडु के कुडनकुलम-स्थित परमाणु केन्द्र में रूस चार अतिरिक्त परमाणु संयंत्र लगाएगा. संवाददाताओं से बात करते हुए विदेश मंत्री मुखर्जी ने कहा कि दोनों के बीच असैनिक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भावी सहयोग के बारे में विचार-विमर्श हुआ.

लावरोफ़ ने परमाणु अप्रसार के मामले में भारत के बेदाग़ रिकॉर्ड की सराहना की और कहा कि इसीलिए रूस ने आईएईए और एनएसजी में उसका समर्थन किया. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् और जी-8 देशों के समूह की सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी के लिए भी समर्थन व्यक्त किया. इससे पहले आज संसद में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते पर एक बयान में विदेशमंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि अमेरिका और फ्रांस के साथ हुए समझौतों और रूस के साथ होने जा रहे समझौते का आधार यह आश्वासन है कि भारत को परमाणु ईंधन मिलता रहेगा. उन्होंने कहा कि भारत की विदेशनीति पर किसी प्रकार की आंच नहीं आई है और वह खर्च हो चुके ईंधन की रीप्रोसेसिंग यानी पुनर्संस्करण करने के लिए स्वतंत्र है.

कुलदीप कुमार, नई दिल्ली